पुलिस ग्रेड पर सब-कमेटी में फैसला नहीं: कार्मिकों के लिए इसे धामी सरकार का स्पष्ट संदेश क्यों न समझें, ग्रेड पे मसला अब कैबिनेट के हवाले यहां से शत्रुघ्न समिति को जा सकता

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देहरादून: पुलिसकर्मियों के ग्रेड पे मसले पर सब-कमेटी की फाइनल बैठक भी बेनतीजा रही अब बॉल धामी कैबिनेट के पाले में चली गई है, जहाँ से पूर्व सीएस शत्रुघ्न सिंह की अगुआई वाली वेतन विसंगति समिति को चली जाए तो कोई आश्चर्य नहीं होगा। आखिर शत्रुघ्न सिंह वेतन विसंगति समिति कार्मिकों के एसीपी बनाम एमएसीपी और ग्रेड संबंधी तमाम शिकायतों के निपटारे के लिए बनाई गई है। लिहाजा पूरी संभावना है कि सब कमेटी की रिपोर्ट पाकर धामी कैबिनेट इस मसले पर कोई निर्णय लेने की बजाय इसे वेतन विसंगति समिति को सौंप दें।
सूत्रों के हवाले से खबर यह है कि पुलिस कर्मियों के 4600 ग्रेड पे मसले पर सोमवार को हुई तीसरी और अंतिम बैठक में पुलिस, वित्त और कैबिनेट उपसमिति के मध्य काफी विचार विमर्श हुआ जिसमें वित्त विभाग ने आर्थिक बोझ का रोना और पुलिस विभाग की ग्रेड पे मांग मानने पर अन्य विभागों से ऐसी ही डिमांड जोर पकड़ सकती हैं। ऐसे में एक सवा महीने की कसरत का नतीजा यही निकला कि मसला कैबिनेट के पाले में डालना बेहतर समझा है। यानी मसला न केवल बेहद पेचीदा है बल्कि नए तरह की माँगों को हवा देने वाला भी हो सकता है। लिहाजा कैबिनेट इस पर तत्काल निर्णय ले पाएगी यह देखना होगा क्योंकि आसान रास्ता इसे तीन महीने तक टालने का यही हो सकता है कि धामी सरकार इसे शत्रुघ्न सिंह वेतन विसंगति समिति को सौेप दे! यह समिति ग्रेड पे और एसीपी वर्सेस एमएसीपी जैसे वेतन संबंधी तमाम मसलों पर मंथन करेगी। इस वेतन समिति का तीन माह का कार्यकाल तय किया गया आज यानी 16 अगस्त को अध्यक्ष के तौर पर शत्रुघ्न सिंह ने चार्ज संभाला है। यानी अक्तूबर आखिर समिति रिपोर्ट दे सकती है। ऐसे मामलों में अधिकतर समिति को एक्सटेंशन भी मिल जाता है और अगर ऐसा हुआ तो फिर चुनाव आचार संहिता लग जायेगी और नई सरकार गठन के बाद इस मसले को ठंडे बस्ते में डाला जा सकेगा।

पुलिस कर्मियोें का ग्रेड पे विवाद

उत्तराखंड पुलिस के जवान ग्रेड पे के मसले पर ऊपर से जरूर संयत बने हुए हैं लेकिन उनकी पीड़ा का इज़हार परिजन सड़कों पर उतरकर कर चुके हैं। इसकी वजह यह है कि पुलिस विभाग में पहले 10 वर्ष, 16 वर्ष और 26 वर्ष की सेवा पर पदोन्नति की व्यवस्था थी और पदोन्नति न होने पर उस पद का ग्रेड पे दिया जाता था। लेकिन सातवें वेतनमान के बाद अब 10 वर्ष, 20 वर्ष और 30 वर्ष में पदोन्नति देने का प्रावधान कर दिया गया है। पुलिस जवानों का विरोध इस बात पर है कि अब अगले पद पर पदोन्नति न होने की स्थिति में उन्हें अगले पद का ग्रेड पे भी नहीं मिलेगा। ग्रेड पे स्लैब का अगला ग्रेड पे जो उन्हें दिया जाएगा वह बेहद कम है।
दरअसल पुलिसकर्मियों का पहला ग्रेड पे 2400 का है। पदोन्नति न होने की सूरत में उन्हें अगला ग्रेड पे 2800 रुपये का मिलता है, जो पहले 4600 रुपये मिल रहा था। पुलिस कर्मी इसी पुराने ग्रेड पे को देने की मांग कर रहे हैं। जब हालात बेक़ाबू होते दिखे तो राज्य सरकार ने हल तलाशने को कैबिनेट सब कमेटी का गठन कर दिया। सोमवार को विधानसभा में कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल की अध्यक्षता में सब कमेटी की तीसरी और आखिरी बैठक हुई जिसमें PHQ द्वारा गठित समिति ने अपना प्रत्यावेदन प्रस्तुत किया और वित्त विभाग ने भी अपनी संस्तुतियां रख दी हैं। सूत्रों का दावा है कि पुलिस मुख्यालय के प्रत्यावेदन में पुलिस कर्मियों को पहले की तरह ही ग्रेड पे देने की सिफ़ारिश की गई है।जबकि वित्त विभाग ने ऐसा करने पर ख़ज़ाने पर पड़ने वाले आर्थिक बोझ का रोना रोया है। बैठक के बाद सब-कमेटी अध्यक्ष सुबोध उनियाल ने कहा है कि ग्रेड पे को लेकर सब-कमेटी की बैठकें पूरी हो चुकी हैं। अब मीटिंग ऑफ मिनट्स तैयार करने के साथ रिपोर्ट कैबिनेट के समक्ष प्रस्तुत कर दी जाएगी।


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