
देहरादून: 21 जुलाई को उत्तरकाशी दौरे पर गए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने घोषणा की थी कि सरकार देवस्थानम बोर्ड को लेकर संशोधन करने को तैयार है। लेकिन ऐसा लगता है कि चारों धामों के तीर्थ-पुरोहितों को मुख्यमंत्री धामी की संशोधन को लेकर की गई घोषणा पर भरोसा नहीं है। लिहाजा केदारनाथ में बारिश और कोहरे के बीच तीर्थ-पुरोहित धरना-प्रदर्शन करने को मजबूर हैं।
बुधवार को तेज बारिश व घने कोहरे के बीच केदारनाथ में तीर्थपुरोहितों ने मंदिर परिसर में धरना दिया। कहा कि देवस्थानम बोर्ड उन्हें किसी भी स्थिति में मंजूर नहीं है। यदि शासन-प्रशासन द्वारा इसे जबरन थोपा गया, तो इसका पुरजोर विरोध किया जाएगा। कहा कि बीते एक वर्ष से अधिक समय से चारधाम में देवस्थानम बोर्ड का विरोध किया जा रहा है, लेकिन प्रदेश सरकार ध्यान नहीं दे रही है। एक तरफ कोरे आश्वासन दिए जा रहे हैं
तीर्थ-पुरोहितों ने केदारनाथ में पुनर्निर्माण कार्यों के लिए तीर्थपुरोहितों के भवन/धर्मशालाओं की नापजोख पर भी रोष जताया। कहा कि उन्हें बिना विश्वास में लिए बगैर केदारपुरी के भवनों की नापजोख करना उचित नहीं है।
इधर सरकार और तीर्थ पुरोहितों में पटरी ना बैठती देख कांग्रेस धामी सरकार पर हमलावर हो गई है। उत्तराखंड कांग्रेस के नए नवेले अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने ऐलान किया है कि अगर 2022 में कांग्रेस की सरकार बनती है तो पहली ही कैबिनेट बैठक में चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड को भंग करने का फैसला होगा। गोदियाल ने कहा कि ये एक्ट हक-हकूकधारियों के अधिकारों का हनन करता है लिहाजा इसे खत्म किया जाएगा।
कांग्रेस अध्यक्ष गोदियाल ने कहा कि बीजेपी सरकार ने जिन वर्गों के लिए योजनाएं लेकर आई, वे ही उसका विरोध कर रहे हैं। देवस्थानम बोर्ड का चारधाम से जुड़े तीर्थ पुरोहित ही विरोध कर रहे हैं पर सरकार सुन नहीं रही है।
गोदियाल ने दावा किया कि जब वह मंदिर समिति के अध्यक्ष थे तब समिति की कमाई 40 करोड़ रुपये सालाना थी। यदि सही प्रबंधन हो तो समिति के रहते ही कमाई भी बढ़ाई जा सकती है और चारधाम आने वाले श्रद्धालुओं को उचित सुविधाएं भी मुहैया कराई जा सकती हैं।
उधर, केदारनाथ में तेज बारिश के बीच तीर्थ-पुरोहितों के प्रदर्शन से धामी सरकार पर दबाव बढ़ता जा रहा है। बोर्ड भंग कराने को लेकर केदारनाथ में तीर्थपुरोहितों ने आंदोलन तेज कर दिया है। तेज बारिश में मंदिर के प्रांगण में खड़े तीर्थ-पिरोहित देवस्थानम बोर्ड के खिलाफ नारेबाज़ी कर रहे हैं और धामी सरकार के खिलाफ धरना दे रहे हैं। हक-हकूकधारियों ने बोर्ड भंग करने की मांग करते हुए पुनर्निर्माण के नाम पर केदारनाथ में तीर्थ-पुरोहितों के भवन व धर्मशालाओं के साथ छेड़छाड़ का आरोप भी लगाया है। उन्होंने कहा कि पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपनी हठधर्मिता से बोर्ड का गठन कर उत्तराखंड चारधाम की प्राचीन व्यवस्था को भंग कर दिया है, जो माफी लायक नहीं है।