देहरादून: कोरोना काल में जनता हल्कान है और सांकेतिक उपवास के ज़रिए नेताजी मेहरबान हैं। सांकेतिक उपवास की सियासत अब तक पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत खूब करते आ रहे थे। अब बीजेपी के संगठन सूबेदार मदन कौशिक भी सांकेतिक उपवास के दंगल में ताल ठोकेंगे। सोमवार को कोरोना काल में कांग्रेस पर नकारात्मक राजनीति का आरोप लगाते हुए आधे घंटे ही सही मौन उपहास पर बैठेंगे। जैसे ही बीजेपी ने इसकी मुनादी की टीम प्रीतम कहां पीछे रहने वाली थी। महानगर कांग्रेस में प्रीतम के महारथी लालचंद शर्मा ने भी कौशिक के जवाब में सांकेतिक उपवास का मंच सजा दिया है. इधर सोमवार सुबह 11 बजे कौशिक मौन उपवास का मंच सजाएँगे और उधर महानगर कांग्रेस के मंच पर प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह तो रहेंगे ही न्यौता हरदा को भी दे दिया गया है।
एक तरह से ठीक ही है कि चलो कोरोना काल में जनता के कौन अधिक से अधिक काम आए ये न सही पर सांकेतिक उपवास को लेकर तो पक्ष-विपक्ष में प्रतिस्पर्धा शुरू हुई।
वैसे पहले सत्तापक्ष से कोई सवाल पूछे कि आखिर विपक्ष कोविड जंग में आपकी कमियाँ न गिनाए तो क्या ताली और थाली पिटता रहे और कोरोना को लेकर किस तरह के हालात हैं इसका सच बताने का ज़िम्मा दुनिया के मीडिया और दूसरे संस्थान ही करें! क्या कुंभ जैसे धार्मिक आयोजनों और लंबे चुनाव अभियान को लेकर विपक्ष ही सवाल उठा रहा या डब्ल्यूएचओ से लेकर की वैश्विक मंचों से मोदी सरकार पर सवाल नहीं उठे?
सवाल विपक्ष से भी कि सांकेतिक उपवास की प्रतिस्पर्धा से ही जनता का भला हो पाएगा या यूथ कांग्रेस के श्रीनिवास की तरह विपक्ष से कोरोना में लोगों की मदद का कोई दूसरा चेहरा यहाँ भी खोज दिखाएंगे?