न्यूज़ 360

UTTARAKHAND URBAN AGENDA 2022: क्या पर्वतीय राज्य के शहरों में खस्ताहाल पब्लिक ट्रांसपोर्ट, पार्किंग किल्लत और जाम के झाम से जनता को राहत दिलाना चाहेंगे जनप्रतिनिधि? भाजपा, कांग्रेस और AAP के मेनिफ़ेस्टो में इन मुद्दों को मिलेगी जगह?

Share now
  • उत्तराखंड विधान सभा चुनाव को लेकर एसडीसी फाउंडेशन ने उत्तराखंड अर्बन एजेंडा 2022 पर जारी की चौथी फैक्टशीट
  • उत्तराखंड मे जन हित से जुड़े पब्लिक ट्रांसपोर्ट, पार्किंग और ट्रैफिक मैनेजमेंट की बड़ी चुनौती
  • 20 साल मे प्रदेश मे 750% वाहनों मे बढ़ोतरी

देहरादून: विधानसभा चुनाव से पहले शुरू किये गये उत्तराखंड अर्बन एजेंडा 2022 के तहत एसडीसी फाउंडेशन ने अपनी चौथी फैक्टशीट जारी की। पब्लिक ट्रांसपोर्ट की कमी, पार्किंग की उचित व्यवस्था न होने और प्रदेश मे चारों तरफ लगते ट्रैफिक जाम को लेकर यह फैक्टशीट जारी की गई है। उल्लेखनीय है कि एसडीसी फाउंडेशन सतत शहरीकरण के मुद्दों को लेकर लगातार फैक्टशीट जारी कर रहा है। यह फैक्टशीट सभी राजनीतिक दलों को इस अनुरोध के साथ भेजी जा रही हैं कि वे जन हित के इन मुद्दों को अपने मेनिफेस्टो में उचित जगह दें।

एसडीसी फाउंडेशन के अध्यक्ष अनूप नौटियाल का कहना है कि राज्य में पब्लिक ट्रांसपोर्ट और पार्किंग की कमी से मैदानों से लेकर पहाड़ों तक जाम लग रहे हैं। यह बड़ी चुनौती है और राजनीतिक दलों को इस तरफ ध्यान देने की जरूरत है। वे कहते हैं कि राज्य में तेजी के साथ शहरीकरण हो रहा है, लेकिन अभी तक पब्लिक ट्रांसपोर्टेशन की कोई ठोस नीति या व्यवस्था नहीं है । इसे देखते हुए आने वाले वर्षों में प्राइवेट वाहनों की संख्या और ज्यादा बढ़ेगी और इसी के साथ पार्किंग और ट्रैफिक जाम की समस्या भी।

अनूप नौटियाल ने कहा की सरकारी डाटा के आधार पर 20 वर्षों के दौरान वाहनों की संख्या में 750% बढ़ोत्तरी हुई है। वर्ष 2000 में राज्य गठन के समय करीब 3,50,000 वाहन रजिस्टर्ड थे। जबकि उत्तराखंड सरकार की सांख्यिकीय डायरी 2019-20 के अनुसार 31 मार्च 2020 को यह संख्या 29,68,892 हो गई थी। कुल वाहनों में से 73 प्रतिशत दोपहिया और 20 प्रतिशत कार आदि छोटे चारपहिया वाहन हैं।

अनूप नौटियाल के अनुसार यातायात पुलिस और यूपीईएस देहरादून की 2019 की एक रिसर्च बताती है कि शहर में एक औसत वाहन 7 से 20 मिनट जाम में फँसता है, जो 2025 में अगर हालात ना बदले तो लगभग 90 मिनट प्रतिदिन हो जाएगा। पीडब्ल्यूडी ट्रैफिक सेंसस 2019 में पाया गया कि देहरादून मे पीक ऑवर पर घंटाघर के एक किलोमीटर परिधि के दायरे में 9,000 वाहन चल रहे हैं जबकि इलाके मे 5,000 वाहन की कैपेसिटी है । यातायात पुलिस के अनुसार देहरादून में 2016 में 7,000 धरना, जुलूस, शोभायात्रा, चक्का जाम और अन्य विरोध प्रदर्शन से भी ट्रैफिक जाम हुए थे ।

एसडीसी फाउंडेशन ने अपनी फैक्टशीट के साथ 10 ऐसे सुझाव भी दिये हैं, जिन्हें लागू कर इस समस्या से निपटा जा सकता है। अनूप नौटियाल का कहना है कि उत्तराखंड पुलिस, परिवहन, रोडवेज, शहरी विकास, आरटओ और स्मार्ट सिटी जैसे सभी विभागों को मिलकर ट्रैफिक मैनेजमेंट की योजना पर काम करना चाहिए।

अनूप नौटियाल के मुताबिक इसके अलावा सरकार को देश के अन्य प्रगतिशील शहरों की तरह इंटेग्रटेड मल्टी मॉडल ट्रांसपोर्ट मॉडल विकसित करने की ज़रूरत है । शहरों की सेहत के लिए ग्रीन ट्रांसपोर्ट भी जरूरी है। इंट्रासिटी कनेक्टिविटी के लिए रणनीति बने, साइकिल ट्रैक और फुटपाथ बने, टूरिस्ट के लिए वैकल्पिक परिवहन व्यवस्था हो।

अनूप ने कहा की पार्किंग और ट्रैफिक मैनेजमेंट के लिये हर कॉम्प्लेक्स के लिए पार्किंग अनिवार्य की जाए। पुलिस ट्रैफिक कर्मचारियों की संख्या बढ़ाई जाए और सड़क सुरक्षा व प्रदूषण को सवोच्च प्राथमिकता दी जाए। अनूप नौटियाल का कहना है कि इन बातों को ध्यान में रखकर रणनीति तैयार की जाए तो ट्रैफिक व्यवस्था में सुधार के साथ ही गाड़ियों से होने वाले प्रदूषण में भी कमी लाई जा सकती है।

सवाल सिर्फ राजनीतिक दलों या जनप्रतिनिधियों के इन मुद्दों पर मुखर होकर नीति-निर्माण का हिस्सा बनाने की सोच दिखाने भर तक सीमित नहीं है। क्या वोटर को भी अपना वोट डालते हुए अपने शहर में ट्रांसपोर्ट, पार्किंग, ट्रैफ़िक जाम, फुटपाथ और हरे-भरे पार्क, सार्वजनिक शौचालय, स्वच्छ पेयजल आदि मुद्दों पर विचार नहीं करना चाहिए!

Show More

The News Adda

The News अड्डा एक प्रयास है बिना किसी पूर्वाग्रह के बेबाक़ी से ख़बर को ख़बर की तरह कहने का आख़िर खबर जब किसी के लिये अचार और किसी के सामने लाचार बनती दिखे तब कोई तो अड्डा हो जहां से ख़बर का सही रास्ता भी दिखे और विमर्श का मज़बूत मंच भी मिले. आख़िर ख़बर ही जीवन है.

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!