बेरोजगारों की पीठ पर लाठी हाथ में पत्थर के हालात देख संभले सीएम! नकल विरोधी कानून पर अब और टालमटोल नहीं अध्यादेश पर धामी ने भरी हामी

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Uttarakhand News: देर आए पर दुरुस्त आए! आज अपने बेरोजगार नौजवानों की पीठ पर लाठियां भांजकर ही सही लेकिन धामी सरकार को अहसास तो हुआ कि सख्त नकल विरोधी कानून पर बातें बनाने के बजाय विधानसभा सत्र का इंतजार न कर आगे बढ़ना किस कदर वक्त की मांग है।

यह सही है कि पुष्कर सिंह धामी ने दोबारा शपथ लेने के बाद से भर्तियों पर आगे बढ़ने और नकल माफिया पर नकेल कसने का दम भरा और हाकम सिंह रावत जैसों को सलाखों के पीछे भी धकेला। लेकिन यह भी उतना ही कड़वा सच है कि नकल माफिया ने ठीक सीएम धामी की नाक के नीचे और उनके तमाम दावों के बावजूद UKSSSC स्नातक स्तरीय भर्ती परीक्षा पेपर लीक कांड की पुनरावृति इसी साल आठ जनवरी को UKPSC द्वारा कराई गई पटवारी लेखपाल भर्ती परीक्षा का पेपर लीक के जरिए कर डाली। यानी यह नकल माफिया का सरकार और सिस्टम के इकबाल को सीधा सीधा चैलेंज था।

इतना ही नहीं सख्त नकल विरोधी कानून न होने के कारण कई नकल माफिया जमानत पा गए और 2016 में हरदा सरकार में हुए VPDO भर्ती कांड में तो हाकम सिंह रावत भी जमानत पा गया। अब इसी दिन का इंतजार होने लगा कि नकल माफिया हाकम अन्य मामलों में भी जमानत पाकर खुली हवा में सांस लेता दिखे!


यही वजह रही कि उत्तराखंड बेरोजगार संघ की अगुआई में प्रदेश के बेरोजगार युवाओं ने बारह फरवरी की पटवारी भर्ती परीक्षा का पेपर बिना सख्त नकल विरोधी कानून न कराने तथा पर्चा लीक की जांच सीबीआई को सौंपने की मांग लेकर धरना प्रदर्शन किया लेकिन नौ फरवरी को उत्तराखंड के इतिहास का एक काला दिन ही कहा जाएगा जब नौकरी के लिए दर दर की ठोकरें खाते बेरोजगारों की पीठ पर ‘मित्र’ पुलिस के लाठी डंडे बरस रहे थे और युवा हाथों में पत्थर लेकर वार पर पलटवार कर रहे थे।

जाहिर है दिन भर की इन दुखद तस्वीरों ने युवा मुख्यमंत्री धामी की भी सोचने को मजबूर किया होगा कि वजह जो भी रही हो लेकिन हालात काबू से बाहर होते दिख रहे हैं। इसलिए डैमेज कंट्रोल की रणनीति के तहत मुख्यमंत्री ने और टाल मटोल की बजाय हाथों में पहले से मौजूद अध्यादेश का अस्त्र चलाने की ठान ली। चलिए देर से ही सही सरकार ने कदम आगे बढ़ाया तो सही!

एक प्रेस बयान जारी कर सरकार ने कहा है कि उत्तराखण्ड प्रदेश में प्रतियोगी परीक्षाओं में पारदर्शिता एवं शुचिता को सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार द्वारा आज दिनांक 09 फरवरी, 2023 को उत्तराखण्ड प्रतियोगी परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनों की रोकथाम व निवारण के उपाय) अध्यादेश 2023 को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा अनुमोदन प्रदान किया गया। इस अध्यादेश में दोषियों के विरूद्ध सख्त प्रावधान किए गए हैं।

यदि कोई व्यक्ति, प्रिटिंग प्रेस, सेवा प्रदाता संस्था, प्रबंध तंत्र, कोचिंग संस्थान इत्यादि अनुचित साधनों में लिप्त पाया जाता है तो उसके लिए आजीवन कारावास तक की सजा तथा दस करोड़ रूपए तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है।

यदि कोई व्यक्ति संगठित रूप से परीक्षा कराने वाली संस्था के साथ षडयंत्र करता है तो आजीवन कारावास तक की सजा एवं 10 करोड़ रूपए तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है।

यदि कोई परीक्षार्थी प्रतियोगी परीक्षा में स्वयं नकल करते हुए या अन्य परीक्षार्थी को नकल कराते हुए अनुचित साधनों में लिप्त पाया जाता है तो उसके लिए तीन वर्ष के कारावास व न्यूनतम पांच लाख के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। यदि वह परीक्षार्थी दोबारा अन्य प्रतियोगी परीक्षा में पुनः दोषी पाया जाता है तो न्यूनतम दस वर्ष के कारावास तथा न्यूनतम 10 लाख जुर्माने का प्रावधान किया गया है।

यदि कोई परीक्षार्थी नकल करते हुए पाया जाता है तो आरोप पत्र दाखिल होने की तिथि से दो से पांच वर्ष के लिए डिबार;(अयोग्य/अपात्र) करने तथा दोष सिद्ध ठहराए जाने की दशा में दस वर्ष के लिए समस्त प्रतियोगी परीक्षाओं से डिबार किए जाने का प्रावधान किया गया है। यदि कोई परीक्षार्थी दोबारा नकल करते हुए पाया जाता है तो क्रमशः पांच से दस वर्ष के लिए तथा आजीवन समस्त प्रतियोगी परीक्षाओं से डिबार किए जाने का प्रावधान किया गया है।

अनुचित साधनों के इस्तेमाल से अर्जित सम्पति की कुर्की की जायेगी।

इस अधिनियम के अन्तर्गत अपराध संज्ञेय, गैर जमानती एवं अशमनीय होगा।


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