
देहरादून: मंगलवार को मौसम मेहरबान रहा तो मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी बाबा केदारनाथ धाम के दर्शन करने पहुँचेंगे और उसके बाद पुनर्निर्माण कार्यों का जायज़ा लेंगे। सीएम धामी सुबह आठ बजे देहरादून से केदारनाथ धाम दर्शन के लिए रवाना होंगे लेकिन उससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने एक ऐसा बयान दे दिया है जो पहले से देवस्थानम बोर्ड पर भड़की आग में घी का काम कर रहा है। देवस्थानम बोर्ड पर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले तीर्थ-पुरोहित और हक-हकूकधारियों ने टीएसआर के बयान को करोड़ों हिन्दुओं की आस्था का अपमान करार दिया है।
दरअसल पूर्व मुख्यमंत्री टीएसआर ने देवस्थानम बोर्ड को एक क्रांतिकारी और ऐतिहासिक कदम करार देते हुए कहा है कि बोर्ड का विरोध कर रहे कुछ लोग भी दस साल बाद इसके फ़ायदे दिखेंगे तो तारीफ करेंगे। टीएसआर ने कहा कि मैं जब भी देवस्थानम बोर्ड के पक्ष में बात रखता हूँ तो तथ्य भी देता हूँ और फिर वे अपने मोबाइल से तिरुपति, सिद्दी विनायक टेंपल, साई मंदिर, द्वारका, रामेश्वरम से लेकर साई मंदिर आदि को श्राइन बोर्ड से हो रही करोेड़ों की कमाई और इससे चल रहे सामाजिक-शैक्षणिक-चिकित्सकीय कार्यों के आंकड़े गिनाते हैं। लेकिन तीर्थ पुरोहितों ने इसे करोड़ों हिन्दुओं की आस्था और श्रद्धा के केन्द्रों को कमाई का माध्यम बनाने की सरकारी मंशा का सबूत करार दिया है।
तीर्थ पुरोहितों ने पूछा कि पूर्व सीएम बताएं उनके कार्यकाल में देवस्थानम बोर्ड की आय कितनी बढ़ी। पूर्व सीएम टीएसआर के बयान के बाद चारधाम तीर्थ पुरोहित हक-हकूकधारी महापंचायत के प्रवक्ता डॉ बृजेश सती ने कहा है कि ऐसा लगता है जैसे राज्य के आय के तमाम स्त्रोत सूख गए हैं और अब मंदिरों की कमाई से सरकारी ख़ज़ाना भरा जाएगा।
तीर्थ पुरोहितों ने कहा है कि पूर्व सीएम ने देशभर के मंदिरों की कमाई ज़रूर गिनाई लेकिन वह शायद भूल गए कि बाक़ी मंदिर वर्ष भर खुले रहते हैं जबकि चारधाम मंदिर छह माह खुले रहते हैं। साथ ही बाक़ी मंदिरों में महीने भर में जितने श्रद्धालु आते हैं उसके मुक़ाबले चारधाम मंदिरों में पूरे यात्रा काल में पहुँचते हैं। तीर्थ पुरोहितों ने पूछा है कि राज्य की आय के श्रोत बढ़ाने को दुबला हुए जा रहे पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत जनता को बताएं चार साल मुख्यमंत्री रहते आए के कितने नए श्रोत विकसित किए।