दिल्ली: दुनियाभर में कोरोना संक्रमित मरीजों की तादाद को लेकर आज भारत 2.43 करोड़ मरीजों के साथ अमेरिका के बाद दूसरे नंबर है, उसके बाद ब्राज़ील है। कोरोना के इस संक्रमण के खिलाफ एकमात्र ढाल का काम एंटी कोविड टीका कर रहा है लेकिन भारत में आबादी के मुकाबले टीकाकरण की रफ़्तार बहुत धीमी है। शनिवार सुबह 11 बजे से प्रधानमंत्री मोदी एक उच्च-स्तरीय बैठक कर रहे हैं जिसमें कोविड हालात के साथ साथ टीकाकरण अभियान की समीक्षा हो रही है।
एक तरफ विपक्ष कोरोना महामारी को क़ाबू करने में प्रधानमंत्री और सरकार पर नाकामी का इल्ज़ाम लगा रहा गै, तो दूसरी तरफ प्रधानमंत्री मोदी ने कोविड महामारी को सदी की सबसे बड़ी महामारी करार दिया है। भले प्रधानमंत्री कोरोना को सदी की सबसे बड़ी महामारी बता रहे हों लेकिन जिस तरह अस्पतालों में मेडिकल ऑक्सीजन की क़िल्लत से अनेक जानें जा चुकी हैं, उसने सरकारी तैयारियों को लेकर सबको बेनक़ाब किया है।
ऑक्सीजन संकट के बीच अब कई राज्य एंटी कोविड वैक्सीन की कमी के चलते टीकाकरण अभियान को सुस्त करते दिख रहे या रोक देने की चेतावनी देते दिख रहे हैं। हालॉकि नीति आयोग ने गुरुवार को कहा कि इस साल दिसंबर आखिर तक 200 करोड़ से ज्चादा कोविड वैक्सीन डोज उपलब्ध हो जाएंगे। फिलहाल तो राज्य सरकारें अपने स्तर पर ग्लोबल टेंडर निकाल कही ताकि जल्द से जल्द वैक्सीन शॉर्टेज का समाधान निकाला जाए। वो अलग बात है कि ग्लोबल प्लेटफ़ॉर्म पर टेंडर फ़्लॉट कर कितना तेजी से उत्तराखंड जैसे राज्य वैक्सीन ले आते हैं इसे देखना महत्वपूर्ण होगा।
भारत में टीकाकरण इस साल 16 जनवरी से टीकाकरण शुरू हुआ था और पिछले 120 दिनों में लगभग 18 करोड़ वैक्सीन डोज लगाई गई हैं जिनमें पूर्ण टीकाकरण यानी दोनों डोज करीब चार करोड़ लग पाई हैं। पहली डोज का आंकड़ा लें तो हर दिन करीब 15 लाख डोज लगाई जा रही है. लेकिन देश की कुल व्यस्क आबादी 94-95 करोड़ है जिसके लिए 188 करोड़ डोज चाहिए। यानी अगर इस साल अगर सबका टीकाकरण करना है तो वर्तमान टीकाकरण रफ़्तार को पांच गुना बढ़ाना होगा।
प्रधानमंत्री मोदी और केन्द्र के सामने सबसे बड़ी चुनौती टीकाकरण केन्द्र से लेकर मैनपॉवर बढ़ाना तो है ही उससे कहीं बड़ी चुनौती दो सौ करोड़ वैक्सीन डोज का इंतजाम करना। अभी कोवीशील्ड और कोवैक्सीन की उत्पादन क्षमता 6-7 करोड़ डोज महीना ही है। अब स्पुतनिक वी भी तीसरी वैक्सीन आ गयी है जबकि कई और वैक्सीन जल्द भारतीय बाज़ार में उतरेंगी. जाहिर है वैक्सीनेशन अभियान मेँ तेजी सबसे अहम भी है और सबसे कठिन चुनौती भी।