पुलिस विभाग के आरक्षी (कॉंन्सटेबल) पदधारकों के ग्रेड वेतन में वृद्धि को लेकर आज उत्तराखण्ड जनरल ओबीसी एम्पलाईज एसोसिएशन के प्रान्तीय अध्यक्ष एवं महासचिव की ओर से इस सम्बन्ध में गठित मंत्रिमण्डल उप समिति के अध्यक्ष कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल और अन्य सदस्यों को सम्पूर्ण तथ्यात्मक आधारों के साथ पत्र हस्तगत कराया गया है। पत्र के सन्दर्भ में एसोसिएशन के प्रान्तीय अध्यक्ष दीपक जोशी, जिनके द्वारा दिनांक 21.07.2021 को इस मामले में कृषि मंत्री से भेंट वार्ता की गयी थी, द्वारा पुनः बताया गया है कि पुलिस विभाग के संवर्गीय ढॉंचे में स्वीकृत पदों के अन्तर्गत पुलिस फोर्स संवर्ग के अन्तर्गत आरक्षी (कॉन्सटेबल)-ग्रेड वेतन 2000, मुख्य आरक्षी (हेड कॉन्सटेबल)-2400, उप निरीक्षक-ग्रेड वेतन 4600 एवं निरीक्षक-ग्रेड वेतन 4800 के पद विद्यमान हैं। आरक्षी का पद पूर्ण रूप से सीधी भर्ती का पद है जिसके उपरान्त संवर्गीय ढॉंचे की व्यवस्थानुसार मुख्य आरक्षी, उप निरीक्षक एवं निरीक्षक के पद पदोन्नति सोपान के हैं। इसके मध्य में कोई भी पद/वेतनमान पुलिस फोर्स के संवर्ग में उपलब्ध नहीं हैं।
उनके द्वारा कहा गया कि वेतन आयोग की समय-समय पर लागू संस्तुतियों में इस बात की स्पष्ट व्यवस्था है कि प्रत्येक सरकारी कार्मिक को पूर्ण सेवाकाल में कम से कम 03 पदोन्नति अथवा 03 बार इसके सापेक्ष वित्तीय स्तरोन्नयन (ए0सी0पी0) का लाभ दिया जाये। इसी व्यवस्था के अनुरूप वर्ष 2016 तक सभी पदधारकों को उक्त पदों पर पदोन्नति का लाभ तथा पदोन्नति का लाभ न मिल पाने की स्थिति में ए0सी0पी0 का लाभ मिलता आया है। एकाएक वर्ष 2017 से ऐसे सभी पदधारकों को अनुमन्य होने वाली ए0सी0पी0 की अनुमन्यता का निर्धारण वित्त विभाग के वेतनक्रम के अनुसार न्यून ग्रेड वेतन में करने का विरोधाभास उत्पन्न कर देने से वेतन परिलब्धियों में कार्मिकों को अनावश्यक वित्तीय हानि हो रही है। राज्य के कर्मचारियों हेतु कार्मिक एवं वित्त विभाग के सामान्य निर्देशों के अन्तर्गत किसी भी विभाग के सवंर्गीय ढॉंचे में उपलब्ध पदोन्नति के पदों के अनुरूप ही विभाग के कार्मिकों को ए0सी0पी0 के अन्तर्गत समकक्षीय वेतनमान देय किये जाते हैं। पुलिस विभाग में इस व्यवस्था के विपरीत पुलिस आरक्षी पदधारकों को संवर्ग में उपलब्ध पदों से इतर ऐसा निम्न ग्रेड वेतन दिये जाने की कार्ययोजना प्रकाश में आयी है, जो संवर्ग में उपलब्ध/विद्यमान ही नही है।
एसोसिएशन के अध्यक्ष एवं महासचिव द्वारा स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि यह मामला वित्तीय नियमों के विपरीत होने के साथ-साथ अत्यन्त गम्भीर बिन्दु भी है, जिसका प्रतिकूल प्रभाव अन्य सेवा संघों व विभागीय कार्मिकों पर पड़ने से प्रदेश के कई कार्मिकों को इसका वित्तीय खामियाजा भुगतना पड़ेगा। राज्य के पुलिस आरक्षी पदधारकों को ए0सी0पी0 की देयता में ग्रेड वेतन निर्धारण में वित्त विभाग द्वारा दिनांक 01 जनवरी, 2017 के उपरान्त की गयी गलत व्याख्या के कारण पुलिस के कार्मिकों को वित्तीय नुकसान उठाना पड़ रहा है।
वित्त विभाग द्वारा अपने ही आदेश दिनांक 04 मई, 2018 के विरूद्व पुलिस विभाग में अनुमन्य की जाने वाली ए0सी0पी0 के सम्बन्ध में किये जा रहे वेतन क्रम का निर्धारण नियमों के विपरीत है। इस सम्बन्ध में वित्त अनुभाग-7 के शासनादेश दिनांक 04 मई, 2018 का हवाला देते हुये बताया गया है कि इसके प्रस्तर- 2(1) में स्पष्ट रूप से प्राविधानित है कि ‘‘ऐसे कार्मिकों के लिये पदोन्नत वेतनमान का तात्पर्य केवल उनके संवर्गीय ढ़ॉचे एवं उनकी संगत सेवा नियमावली में उल्लिखित पदोन्नति के पदों के वेतनमान से है।’’ उक्त प्रावधानों से पुलिस विभाग का प्रकरण पूर्ण रूप से आच्छादित है, जिसके आधार पर नियमानुसार पुलिस विभाग के आरक्षी पदधारकों को संवर्गीय ढॉचे के अग्रेत्तर पदों यथा-मुख्य आरक्षी, उपनिरीक्षक एवं निरीक्षक के वेतनमानों के समकक्ष प्रथम, द्वितीय व तृतीय ए0सी0पी0 के रूप में क्रमशः ग्रेड वेतन रू0 2400, 4600 व 4800 ही नियमानुसार देय होगा, जिसकी देयता का निर्धारण मंत्रिमण्डल उप समिति की आगामी बैठक में लेते हुये सार्थक निर्णय/संस्तुति प्रदान करने का अनुरोध एसोसिएशन की तरफ से किया गया है, ताकि कोविड काल में प्रदेश के आम जनमानस की सुरक्षा एवं राहत कार्य में अपना सम्पूर्ण योगदान एवं सेवा करने वाले हमारे प्रदेश के सुरक्षा प्रहरियों को किसी प्रकार का कोई वित्तीय नुकसान न हो तथा उन्हे पूर्व में अनुमन्य द्वितीय ए0सी0पी0 से रूप में ग्रेड वेतन 4600 का लाभ अग्रेत्तर मिलता रहे।