Kedarnath by-election: केदारनाथ उपचुनाव को लेकर बीजेपी और कांग्रेस ने भले प्रत्याशियों का आधिकारिक तौर पर ऐलान अभी नहीं किया हो लेकिन विपक्षी धड़े की तस्वीर साफ़ होती दिख रही है। कांग्रेस के जानकार सूत्रों की मानें तो पूर्व विधायक मनोज रावत के नाम के आधिकारिक ऐलान की औपचारिकता भर शेष है। जिस अन्दाज़ में शनिवार को तमाम कांग्रेसी दिग्गज मनोज रावत के साथ प्रेस कांफ्रेंस में जुटे उसने एक तरह से तस्वीर साफ़ कर दी है। राजधानी देहरादून में कांग्रेस के दिग्गज नेताओं ने जो प्रेस कांफ्रेस बुलाई दरअसल वह मनोज रावत द्वारा उठाये गये मुद्दे पर ही थी जिसमें उनके निशाने पर भू कानून के मोर्चे पर सत्ताधारी बीजेपी से लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ओए पूर्व मुख्यमंत्री व वर्तमान में हरिद्वार से सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत थे। कांग्रेस नेताओं ने बीजेपी सरकार पर भू क़ानून के मुद्दे पर कई गंभीर आरोप लगाए। खासतौर पर प्रदेश में जमीनों को लेकर विपक्ष ने बड़ा खेल किए जाने आरोप लगाया। कांग्रेस ने कहा कि त्रिवेंद्र सरकार ने जमीनों के मामले में पाप किया है तो धामी सरकार ने महा पाप किया है।
राजपुर रोड स्थित कांग्रेस मुख्यालय में आयोजित में पत्रकार वार्ता में प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा, नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल, पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत, पूर्व विधायक मनोज रावत, रुद्रप्रयाग कांग्रेस जिलाध्यक्ष कुंवर सजवान सहित कई नेता मौजूद रहे। केदारनाथ से पूर्व विधायक मनोज रावत ने कहा कि प्रदेश में भू कानून को लेकर बड़े पैमाने पर आंदोलन हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि हाल ही में सीएम धामी ने अगस्त्यमुनि में कार्यक्रम में घोषणा की है कि वह बहुत सख्त भू कानून लाने जा रहे हैं। इससे पहले भी सीएम ने 2022 में उच्च अधिकार समिति बनाई थी। उसने क्या किया हम नहीं जानते। उत्तराखंड में जो प्रचलित भू कानून है, उसकी दो धाराओं में बदलाव करके किसे फायदा पहुंचाया गया।
मनोज रावत ने कहा कि इन बदलाव के बाद उत्तराखंड की कितनी जमीन कितने लोगों को दी गई है, उसका खुलासा करेंगे। रावत ने कहा कि हरिद्वार और पौड़ी जिले का हमने सर्वे किया है जिसमें जमीनों का खेल सामने आया है। मसूरी के पास पार्क इस्टेट की 422 एकड़ जमीन थी। इसमें से पर्यटन विकास के लिए यूपी ने पूर्व में अधिग्रहित की थी।
प्रेस बयान में कांग्रेस नेता ने कहा कि यूपी के जमाने में समाजवादी पार्टी की सरकार में इस जमीन को एक कम्पनी को देने पर विरोध हुआ था। सचिव पर्यटन कुर्वे ने 172 एकड़ पर्यटन की भूमि में से 142 एकड़ भूमि एक एडवेंचर स्पोर्ट्स कम्पनी को एक करोड़ सालाना किराये पर 15 साल के लिए दे दी है। उत्तराखंड सरकार ने खरबों की भूमि एक कंपनी को दी। वहां से हेलिकॉप्टर संचालन था। 15 साल काम करने के बाद पर्यटन विभाग चाहेगा तो सबसे पहले इसी कम्पनी को देगा। इससे पहले सरकार ने उस जमीन के रख रखाव के लिए एडीबी से 23 करोड़ का कर्ज लिया। मनोज रावत ने आरोप लगाया कि सरकार की नजर अब केदारनाथ विधानसभा की चोपता की जमीनों पर है।
उन्होंने आरोप लगाया कि जिस कंपनी को काम दिया गया, उसकी शर्तें बदली गईं। इस वजह से राजस स्पोर्ट्स कम्पनी को ठेका दिया गया। टेंडर डालने वाली तीन कंपनियां हैं, जिनका ऑफिस एक ही जगह है। उत्तराखंड सरकार वित्त अनुभाग के शासनादेश का उल्लंघन किया गया है। कंपनी ने सबसे पहले इस जमीन के आसपास रहने वालों के सभी रास्ते बंद कर दिए। इस जमीन से नियमविरुद्ध हेलिकॉप्टर संचालन हो रहा है। सरकार ने पिछले साल केदारनाथ के लिए भी राजस एरो स्पोर्ट्स को काम देना चाहती थी, जो विरोध के बाद रुका था।
कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि 2018 के बाद भू कानून में 11 परिवर्तन किए गए। त्रिवेंद्र सरकार ने जमीनों के मामले में पाप किया है तो धामी सरकार ने महापाप किया है। कहा कि त्रिवेंद्र रावत ने ये नियम जोड़ा था कि जमीन का प्रयोग नहीं किया जाएगा तो वह जमीन सरकार में निहित होगी। धामी सरकार ने 2022 में ये नियम हटा दिया। सदन में उस समय ये विधेयक लाए गए हैं, जब विपक्ष ने बहिष्कार किया है।
वही नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि उत्तराखंड के जल, जंगल, जमीन पर उत्तराखंड के जन मानस का अधिकार होना चाहिए। ये जमीनों का बड़ा घोटाला है। लैंड यूज बदल दिए गए। जनमानस का सरकार से भरोसा उठ गया है। सरकार इस ममले पर अपना रुख स्पष्ट करे।
कांग्रेस नेता हरक सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखंड में तिवारी सरकार ने सशक्त भू कानून बनाया था, वह अपने आप में बहुत मजबूत था। मेरी अध्यक्षता में बनी मंत्रिमंडल की उप समिति ने सिफारिश की थी कि भू कानून के लिए उत्तराखंड के मूल निवासियों के लिए राहत दी जाए जो कि पिछली सरकार ने नहीं किया। आज फिर राज्य आंदोलन की भांति ही माहौल बन रहा है और प्रदेश की हमारी ही सरकार उत्तराखंड के लोगों के साथ अन्याय कर रही है।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि 1961, 1962 के बाद से प्रदेश में बंदोबस्ती नहीं हुई, जो जल्दी किया जाए। कुमाऊँ मंडल विकास निगम ने भी इसी कम्पनी के साथ मिलकर हेली सेवा शुरू की है। लोगों की पुश्तैनी जमीनों को सरकार निहित कर रही है। जिससे लोगों में भारी आक्रोश है। प्रदेश में 80% से ज्यादा जमीनें बंजर पड़ी हैं। राजा भैया की जमीन सरकार में निहित करने वाले कल हमारी और आपकी बंजर जमीनें भी सरकार में निहित करेगी।
कांग्रेस पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने कहा कि उत्तराखंड सरकार बहती हुई नदी के पास बगुले भगत की तरह है। सीएम धामी ने मजबूत भू कानून की बात की थी। अगर उन्हें लग रहा है कि गलत हो रहा है तो तत्काल अध्यादेश लाना चाहिए था। लेकिन सरकार ने सख्त कानून की घोषणा कर उन लोगों को अलर्ट किया है। उत्तराखंड में एक न्यायिक आयोग बने। वह आयोग गड़बड़ी करने वालों की जांच करे। उन्होंने सीएम के इस्तीफे की मांग की।