चिपको आंदोलन से दुनिया में पहचान पाने वाला गौरा देवी का रैणी गांव आपदा की जद में, गौरा देवी का म्यूज़ियम ढहने की कगार पर, ग्रामीण घरों में दरारें आने से दहशत में जी रहे

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  • गौरा देवी की भूमि पर न जाने किसकी लगी नजर!
  • विश्व प्रसिद्ध चिपको आंदोलन के लिए जाना जाने वाला रैणी गांव आज प्राकृतिक आपदा के मुहाने पर
  • चिपको आंदोलन की जननी गौरा देवी के नाम पहचान पाए रैणी गांव के ग्रामीण दहशत के साए में
  • 7 फरवरी की तबाही से गांव अभी उभरा नहीं और बारिश सीजन के साथ ही खतरा बढ़ा


चमोली: रैणी क्षेत्र में 7 फरवरी को प्राकृतिक आपदा क्या आई कि उसके बाद लगातार गांव में कुदरत का कहर जारी है। गांव में लगातार भूस्खलन हो रहा है और गौरा देवी की सहेलियां जो चिपको आंदोलन में उनके साथ शामिल रहीं, उनकी मकानों पर भी धीरे-धीरे दरार पड़ने लगी हैं । गौरा देवी के नाम से बनाया गया म्यूजियम भवन भी धराशाई होने की कगार पर है। भवन के चारों तरफ मोटी मोटी दरारें पड़ चुकी हैं जिससे भवन कभी भी गिर सकता है।अपनी विरासत संजोकर रखने के हमारे दावे खंडहर होते गौरा देवी म्यूज़ियम के साथ बिखरते-ढहते नजर आते हैं।


शासन-प्रशासन को बार-बार सूचित करने के बावजूद गौरी देवी के गांव की सुध लेने वाला कोई नहीं है। जब कुदरत का कहर टूटा तो प्रशासन भी हरकत में आया और अब गांव में सर्वे कर ग्रामीणों को सुरक्षित स्थान पर ठहराने की बात कही जा रही है। जोशीमठ के तहसीलदार चंद्रशेखर वशिष्ठ ने बताया कि मौके पर प्रशासन की टीम पहुंच चुकी है और जायजा लिया जा रहा है। जिन-जिन घरों में दरारें पड़ी हुई है उन्हें शिफ्ट किया जाएगा ताकि लोगों को सुरक्षित बचाया जा सके।
इस सबके बीच लोगों में काफी भय का माहौल है। गांव के लगभग 50फीसदी भवन भूस्खलन की जद में हैं। गांव के निचले इलाकों में दरारें पड़ चुकी हैं। ऋषि गंगा का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है जिससे गांव वालों में दहशत और बढ़ रही है।
रिपोर्ट: नितिन सेमवाल, पत्रकार, जोशीमठ


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