देहरादून: कोरोना वायरस का नया वैरिएंट डेल्टा प्लस पूरी दुनिया में खौफ का नया सबब बन रहा है। अब तक 85 देशों में कोरोना वायरस का ये वैरिएंट दिखा है और भारत में अभी डेल्टा प्लस वैरिएंट को मामले तेजी से दिख रहे हैं जबकि दक्षिण अफ्रीका में नए वैरिएंट ने कहर बरपाना शुरू कर दिया है। दक्षिण अफ्रीका में कोरोना का नया वैरिएंट इतना घातक रूप अख़्तियार कर चुका है कि वहां अब अस्पतालों में बेड नहीं मिल रहे हैं। दक्षिण अफ्रीका में इस नए वैरिएंट के 18,762 मामले सामने आ चुके हैं और 215 मौतें हो चुकी हैं।
भारत सरकार ने हालात को भांपकर डेल्टा प्लस वैरिएंट को लेकर राज्यों को अलर्ट कर दिया है। नए वायरस के संक्रमण की पड़ताल को उत्तराखंड से भी 30 सैंपल एनसीडीसी दिल्ली भेजे गए है। तीरथ सरकार ने सभी तेरह जिलों को इस नए खतरे को लेकर अलर्ट भी कर दिया है। राहत की बात है कि अभी राज्य में नए वैरिएंट का संक्रमण नहीं मिला है लेकिन ऐसे में जब कोरोना क़ाबू में आ रहा तब टेस्टिंग घटाना ख़तरनाक साबित हो सकता है।
एसडीसी फ़ाउंडेशन की वीकली( वीक 67) में खुलासा हुआ है कि ऐसे में जब राज्य में 469 दिनों के महामारी काल में अब दूसरी लहर में नए मामले. मृत्युदर और एक्टिव केस लगातार घट रहे हैं, पॉजीटिविटी रेट एक फीसदी से भी कम ( 0.62%) रह गया है तब चिन्ताजनक ये है कि टेस्टिंग की रफ्तार धीमी पड़ती जा रही है। ये तब हो रहा है जब मुख्यमंत्री से लेकर मुख्य सचिव टेस्टिंग बढ़ाकर रोजाना 40 हजार करने पर जोर दे रहे हैं।
एसडीसी फ़ाउंडेशन के संस्थापक अनूप नौटियाल ने कहा कि 6 जून से 26 जून के बीच तीन हफ़्तों में 5,04,111 टेस्ट हुए जबकि 16 मई से 5 जून के दौरान तीन हफ़्तों में 7,08307 टेस्ट किए गए थे। यानी 2,04196 टेस्ट कम हुए जो 29 फीसदी बैठता है। ये तब हो रहा जब डेल्टा प्लस वैरिएंट का खतरा देश और उत्तराखंड पर मंडरा रहा तब टेस्टिंग घटाने की बजाय बढ़ाने की दरकार है।
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