Dehradun News: उत्तराखंड विधानसभा का बजट सत्र 14 जून से शुरू हो रहा है। बजट सत्र को लेकर जहां सरकार अपनी तैयारियां पूरी कर चुकी है, वहीं विपक्षी कांग्रेस ने भी सदन से सड़क तक हल्लाबोल के लिए कमर कस ली है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण (भराड़ीसैंण विधानभवन) में बजट सत्र से धामी सरकार के कदम पीछे खींचने पर गैरसैंण जाकर उपवास प्रहार करेंगे। वहीं कांग्रेस विधायक विधानसभा सदन के भीतर धामी सरकार पर चारधाम यात्रा अव्यवस्थाओं, लगातार हो रहे सड़क हादसों और महंगाई जैसे मुद्दों पर हल्लाबोल करेंगे। कांग्रेस एनएच 74 मुआवजा घोटाले और कुंभ में फर्जी कोविड जांच घोटाले को लेकर भी भाजपा सरकार से जवाब माँगेगी।
पूर्व सीएम हरीश रावत पहले ही ऐलान कर चुके कि वे गैरसैंण की उपेक्षा को लेकर ग्रीष्मकालीन राजधानी पहुंचकर उपवास करेंगे। हरदा के साथ प्रदेश के कई और नेता-कार्यकर्ता भी गैरसैंण में उपवास आंदोलन में शामिल होंगे।
प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने आरोप लगाया है कि भाजपा ने गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी ज़रूर घोषित किया लेकिन उसके बाद पलटकर कभी सरकार ने गैरसैंण की ओर देखना गंवारा नहीं किया है। माहरा ने कहा है कि कांग्रेस विधायक दल की बैठक में धामी सरकार की घेराबंदी के तीरों को और धार दी जाएगी, जबकि प्रदेश संगठन सड़क पर सरकार के खिलाफ हल्लाबोल करेगा।
यहां पढ़िए हूबहू हरदा ने भाजपा पर गैरसैंण को ‘गैर’ ही रखने का आरोप लगाते हुए उपवास को लेकर क्या कहा है:
गैरसैंण-भराड़ीसैण हम कितनी ही शब्दों की चासनी परोसें, मगर जब भी कोई ऐसा बहाना मिला है, जिससे गैरसैंण-भराड़ीसैंण से बचा जा सके, बड़े लोग बचे हैं। आख़िर भराड़ीसैंण में ठण्ड लगती है, यह शब्द भी तो हमारे मान्यवरों के मुंह से ही निकला। सत्र कितने ही दिन का हो, जाते ही बिस्तर बांध कर वापस लौटने की तैयारी करते हुए भी हमारे मान्यवर ही दिखाई देते हैं और इस बार जो बहाना गैरसैंण में बजट सत्र आयोजित न करने का लिया गया है, वह बहाना गैरसैंण और भराड़ीसैंण के साथ खड़े लोगों की भावनाओं का गंभीरतम अपमान है।
चारधाम यात्रा तो हर वर्ष होगी। हर वर्ष यात्रा में चुनौतियां आएंगी तो इसका अर्थ है कि भराड़ीसैंण में कभी भी बजट सत्र नहीं होगा और बजट सत्र ही क्यों, कभी बरसात होगी, कभी ठंड होगी, तो भराड़ीसैंण का विधानसभा भवन केवल एक स्तूप के तरीके से हम सब लोगों के कृतित्व का साक्षी बनता रहेगा।
मेरे लिए भराड़ीसैंण गैरसैंण की उपेक्षा, वह भी षड्यंत्रपूर्ण तरीके से उपेक्षा को सहन करना अत्यधिक कठिन है। इसीलिए मैंने तय किया है कि मैं 14 जून को जब विधानसभा बैठेगी तो मैं भराड़ीसैंण में जाकर विधान भवन से सारे उत्तराखंड के लोगों को प्रणाम करूंगा और मैं उनसे इस तथ्य के लिए क्षमा चाहूंगा कि भराड़ीसैंण सहित उसके चारों तरफ के क्षेत्र जिनमें अल्मोड़ा, पौड़ी, चमोली, रुद्रप्रयाग व बागेश्वर जिले के कुछ क्षेत्र सम्मिलित हैं।
वहां के विकास के लिए हमने 1000 करोड़ रुपए से अधिक खर्च किया। यह धन, राज्य की जनता का धन है और आज जिस तरीके से भराड़ीसैंण याचक के तौर पर वरमाला लिये अपने मान्यवरों के स्वागत के लिए एक टक निहार रहा है और उसकी माला स्वीकार करने के लिए न सरकार तैयार है, न मान्यवर तैयार हैं!
तो ऐसी स्थिति में मेरे जैसे व्यक्ति के लिए राज्य की जनता से क्षमा मांगने के अतिरिक्त और कुछ करना शेष नहीं है। हां एक सवाल मेरा उन लोगों से है जो अपने को भराड़ीसैंण विचार के साथ जोर-शोर से जोड़ते हैं। जिनमें ग्रीष्मकालीन राजधानी और 25 हजार करोड़ रुपए के पैकेज की घोषणा करने वाले श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत जी, भराड़ीसैंण विधानसभा भवन के विचार के जनक श्री सतपाल महाराज जी, गैरसैंण में प्रथम कैबिनेट मीटिंग आहूत करने वाली श्री विजय बहुगुणा जी और निरंतर गैरसैंण-भराड़ीसैंण की जागर लगाने वाले पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल जी सहित कई लोगों से समय यह जरुर पूछेगा कि ऐसे समय में जब भराड़ीसैंण की उपेक्षा के लिए बहाना ढूंढा जा रहा है तो आप कहां पर खड़े हैं!
मैं 14 जून को भराड़ीसैंण पहुंचूंगा और उत्तराखंड वासियों से हाथ जोड़ेगा कि यदि मैंने कोई गलती की है तो उसके लिए क्षमा चाहूंगा। मैं कोई गाजे-बाजे के साथ वहां नहीं पहुंच रहा हूं, न अपने साथी-सहयोगियों का आवाहन् कर रहा हूं कि आप भराड़ीसैंण पहुंचिये। मगर अकेले या कुछ लोग जो आ ही जाएंगे, उन सबके साथ मैं अपने मन की भावना के कर्तव्य को 14 जून को जरूर पूरा करूंगा।
जय भराड़ीसैंण-जय गैरसैंण,
वीरचंद्र सिंह गढ़वाली जिंदाबाद,
जय उत्तराखंड-जय उत्तराखंडियत।।
–हरीश रावत, पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तराखंड