
- सिंचाई विभाग-यूजेवीएनएल वॉटर टैक्स मामले में मुख्य सचिव करें हस्तक्षेप- मोर्चा ।
- सिंचाई विभाग द्वारा जल विद्युत निगम की 548 करोड़ रुपये की आरसी काटी गई।
- अब जल विद्युत निगम यूपीसीएल की आरसी काटने की फिराक में।
- यूजेवीएनएल को यूपीसीएल से वसूलने हैं बकाया 2800 करोड़ रुपये।
- एक-दूसरे के पाले में गेंद डालकर झाड़ रहे पल्ला।
विकासनगर: जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने पत्रकार वार्ता कर कहा है कि बीते कुछ दिनों से सिंचाई विभाग, उत्तराखंड जल विद्युत निगम (UJVNL) और उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन ( यूपीसीएल) में वाटर टैक्स मामले को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। रघुनाथ नेगी ने आरोप लगाया है कि इस विवाद में तीनों पक्ष एक-दूसरे की आरसी काटकर अपना पल्ला झाड़ लेना चाह रहे हैं।
जान संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष नेगी ने कहा कि जल विद्युत निगम सिंचाई विभाग के पानी का इस्तेमाल कर बिजली उत्पादन करता है और बदले में टैक्स चुकाता है लेकिन जल विद्युत निगम पर सालों से लगभग 548 करोड़ रुपए वॉटर टैक्स बकाया चल रहा है। इसके चलते सिंचाई विभाग द्वारा जल विद्युत निगम की आरसी काट दी गई है।
अब आरसी कटने से नाराज उत्तराखंड जल विद्युत निगम अपनी नाकामी का ठीकरा यूपीसीएल के सिर फोड़ रहा है। सवाल है कि आखिर क्यों जल विद्युत निगम यूपीसीएल से पैसा वसूलने में नाकाम रहा?
गौर करने वाली बात यह है कि प्रत्यक्ष रूप से जल विद्युत निगम ही सिंचाई विभाग के पानी का इस्तेमाल कर बिजली उत्पादन करता है। ऐसे में जिम्मेदारी भी जल विद्युत निगम की ही बनती है। लेकिन जल विद्युत निगम का कहना है कि उसका यूपीसीएल पर लगभग 2800 करोड़ रुपए वॉटर टैक्स, सेस, रॉयल्टी आदि का बकाया है, जिसका भुगतान नहीं किया जा रहा है |
जन संघर्ष मोर्चा ने कहा है कि ऐसी खींच-तान से प्रदेश का नुक़सान हो रहा है और भविष्य में यह संकट और गहरा सकता है। मोर्चा ने मुख्य सचिव आनंद बर्धन से मांग की है कि इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप कर विवाद सुलझाने की दिशा में सार्थक प्रयास किए जाएं। पत्रकार वार्ता में जन संघर्ष मोर्चा के महासचिव आकाश पंवार एवं अतुल हांडा मौजूद थे।