ADDA ANALYSIS कांग्रेस की दहलीज़ पर खड़े हरक के लिए आज नहीं खुला दरवाजा, BJP ने बर्खास्त कर नहीं छोड़ा सियासी सौदेबाज़ी लायक, अब बहू की टिकट पर भी संकट, क्या कांग्रेस ले रही संयम की परीक्षा या हरदा बढ़ा रहे ‘उज्याडू बल्द’ हरक की हार्ट बीट?

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देहरादून: उत्तराखंड की चुनावी राजनीति के लिहाज से 16 जनवरी रविवार का दिन बेहद खास था। खासतौर पर बाइस बैटल के नतीजों पर इस तारीख का बड़ा असर दिख सकता है। दरअसल, कल शाम दिल्ली पहुँचे हरक सिंह रावत को कांग्रेस नेताओं के साथ बैकडोर चैनल से बातचीत कर रहे हरक सिंह रावत को भाजपा ने सरकार और पार्टी से बेदख़ल कर दिया। THE NEWS ADDA से लाइव एंड एक्सक्लूसिव बातचीत करते हरक सिंह रावत ने कहा कि उनका पक्ष सुने बिना सोशल मीडिया में चली मनगढ़ंत खबरों के आघार पर छह साल के लिए भाजपा से निकाल दिया गया जो उनके साथ नाइंसाफ़ी है और इसकी क़ीमत सत्ताधारी दल को चुनाव में चुकानी पड़ेगी।

रविवार रात्रि के बीजेपी के बिग एक्शन के बाद यह माना जा रहा था कि हरक सिंह रावत सुबह होते-होते सोमवार को कांग्रेसी पटका पहने 24 अकबर रोड स्थित पार्टी मुख्यालय में नजर आएंगे लेकिन हरक सिंह रावत दिन भर साउथ दिल्ली स्थित अपने निजी आवास पर डटे रहे, मीडिया से बातचीत में अगली सरकार कांग्रेस की बनने और भाजपा पर छल के आरोप लगाते रहे। कांग्रेस में आज हरक सिंह रावत की ज्वाइनिंग तो नहीं हो पाई लेकिन पूर्व सीएम हरीश रावत का एक बयान ज़रूर आया जिसमें उन्होंने ‘लोकतंत्र के लुटेरों’ के माफी माँगने पर ही कांग्रेस में एंट्री के अपने बयान पर कायम होने की बात कहकर अपने ‘छोटे भाई’ हरक सिंह रावत की अच्छी-खासी टेंशन बढ़ा दी है।

अब सियासी गलियारे में चर्चा यही हो रही है कि क्या वाकई हरीश रावत ने हरक सिंह रावत की कांग्रेस में घर वापसी के राह में रोड़ा अटका दिया है? सवाल है कि क्या भाजपा से बर्खास्त हरक सिंह रावत की सियासी कश्ती अब मँझधार में फ़ंस चुकी है? ऐसे तमाम सवाल हैं जो देहरादून से लेकर दिल्ली तक सियासी गलियारे में उठ रहे हैं। इस बारे में जब आपके THE NEWS ADDA ने दिल्ली में एआईसीसी की राजनीतिक गतिविधियों पर नजर रख रहे वरिष्ठ पत्रकार आदेश रावल से पूछा तो उनका कहना था कि हरक सिंह रावत को लेकर कांग्रेस मौटे तौर पर किसी नेता या गुट की नाराजगी खुलकर सामने नहीं आई है। आदेश ने कहा कि हरक सिंह रावत की ज्वाइनिंग अब महज औपचारिकता भर रह गई है और संभवतया कल इस फोटो ऑप को अंजाम दे दिया जाए।


हरीश रावत के हरक सिंह रावत की एंट्री की राह में रोड़े अटकाने के सवाल पर आदेश रावल ने तर्क दिया कि हरदा के पास जो अमोघ शक्ति थी वे उसका इस्तेमाल पिछली बार किए ट्विट के दौरान कर चुके अब शायद ही पार्टी किसी भा तरह के दबाव में हरक की घर वापसी को लेकर विचार बदले। हाँ यह जरूर है कि हरक सिंह रावत को भाजपा ने कांग्रेस में एंट्री से पहले पार्टी से निकालकर उनकी राजनीतिक सौदेबाज़ी की क्षमता को शून्य कर दिया है। इस हालत में संभव है कि हरक सिंह रावत को अब एक सीट से ही काम चलाना पड़े और पार्टी उनकी पुत्रवधू अनुकृति गुंसाई को टिकट देने से हाथ पीछे खींच ले। या फिर बहू को लैंसडौन से टिकट दे दिया जाए लेकिन हरक को दूसरी टिकट न दी जाए।


जाहिर है उत्तराखंड की राजनीति दिलचस्प पड़ाव पर पहुंच चुकी है। दिल थाम कर बैठिए अभी बाइस बैटल में ऐसे कई और थ्रिल मोमेंट देखने को मिल सकते हैं। वैसे दिल हरक का भी धक धक कर रहा होगा पक्का ।


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