
- सीएम पुष्कर सिंह धामी अचानक पहुंचे चिंतन शिविर में
- सभागार में सबसे पीछे की पंक्ति में बैठकर पूरी गम्भीरता से देख व सुन रहे अधिकारियों व विशेषज्ञों का विचार विमर्श
- तीन दिवसीय चिंतन शिविर में चल रहे वैचारिक मंथन पर सीएम की है सीधी नजर
- मसूरी स्थित LBSNAA में चल रहा है प्रदेश के विकास को लेकर गहन मंथन

Chintan Shivir @ LBSNAA: 2025 में जब उत्तराखंड अपनी स्थापना की रजत जयंती मना रहा होगा तब वह देश के शीर्ष राज्यों में शुमार करे, यह मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का वो टास्क है जिसे वे हर हाल में पूरा कर साबित करने को आतुर हैं कि विकास पुरुष के तौर पर उनकी पहचान बने और उनको भी एनडी तिवारी जैसे मुख्यमंत्रियों की कतार में गिना जाए जो नवोदित राज्य में डेवलपमेंट के आर्किटेक्ट कहलाए जाते हैं। लिहाजा सीएम धामी वो हर स्टेप उठा लेना चाह रहे जिसके जरिए अगले दो ढाई साल में विकास के मोर्चे पर उनके नेतृत्व में रिजल्ट धरातल पर नजर आने लगें। ऊपर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का उत्तराखंड को लेकर स्पेशल फोकस भी सीएम धामी को मोटिवेट भी करता है और धरातल पर रिजल्ट देने का संदेश भी देता है।
मसूरी में LBSNAA में मंगलवार से चल रहा तीन दिवसीय चिंतन शिविर भी इसी कड़ी में देखा जा सकता है। सीएम धामी इस मंथन शिविर के जरिए अपनी नौकरशाही से वह ब्लू प्रिंट चाह रहे जो टॉर्च बेअरर के तौर पर 2025 का रास्ता दिखाता चले। यही वजह है कि अफसरशाही के पेंच कसने के अगले दिन बुधवार को सीएम धामी अचानक LBSNAA पहुंच गए। चुपके से बैक बैंचर बनकर अफसरों के ब्रेन स्टोर्मिंग को श्रोता के तौर पर सुनते रहे। मकसद यही कि अफसरशाही इस चिंतन शिविर को महज रस्म अदायगी न मान बैठे।
…और जब श्रोता के रूप में पहुँचे मुख्यमंत्री धामी
मसूरी में चल रहे चिंतन शिविर के दौरान अचानक पहुँचे मुख्यमंत्री, सभागार में श्रोता की तरह बैठकर सुनने लगे विचार

मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी में चल रहे चिंतन शिविर के आज के समापन सत्र में देर सायं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अचानक सरदार पटेल भवन सभागार में पहुँचे और अन्य अधिकारियों के मध्य बैठकर एक श्रोता के रूप में विचारों को सुनने लगे। मुख्यमंत्री ने इस दौरान बेहद गंभीरता के साथ प्रस्तुतिकरण को देखने के साथ ही अधिकारियों के विचारों और सुझावों को सुना।