Battle within Congress: कांग्रेस से ‘आजाद’ हो चुके गुलाम नबी क्या अब सोनिया-राहुल को बड़ा झटका देने की तैयारी में हैं? क्या कांग्रेस का असंतुष्ट धड़ा G23 दिग्गज आजाद की अगुआई में बगावत की पटकथा तैयार कर रहा है? यह कुछ ऐसे सवाल हैं जो दिल्ली के पॉवर कॉरिडोर्स में तेजी से उठ रहे हैं क्योंकि सोनिया गांधी को पांच पेज का एक कड़ा पत्र लिखकर पार्टी छोड़ने वाले आजाद लगातार दावा कर रहे हैं कि उनको बड़ा समर्थन मिल रहा है। उनके इस दावे को मजबूती हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा, पूर्व केन्द्रीय मंत्री आनंद शर्मा और पृथ्वीराज चव्हाण ने पार्टी छोड़ चुके गुलाम नबी आजाद से मुलाकात कर नई हवा दे दी है।
जाहिर है गुलाम नबी आजाद के कांग्रेस छोड़ने के बाद यह माना जा रहा था कि साइडलाइन किए गए आनंद शर्मा उनका रास्ता पकड़ सकते हैं लेकिन जिस तरह से भूपेन्द्र सिंह हुड्डा भी आजाद से मिलने पहुँचे इससे साफ इशारा मिलता है कि असंतुष्ट गुट G23 अभी भी शांत नहीं बैठने वाला है। ज्ञात हो कि हरियाणा चुनाव से पहले हुड्डा की हर मांग मानते हुए कांग्रेस आलाकमान ने कुमारी शैलजा को हटाकर हुड्डा के करीबी उदयभान को प्रदेश कांग्रेस की कमान सौंप दी थी। हुड्डा खुद नेता प्रतिपक्ष हैं और उनके बेटे दीपेन्द्र हुड्डा राज्यसभा सांसद हैं। बावजूद इसके हुड्डा का आजाद से गुफ़्तगू करने पहुँचना कांग्रेस नेतृत्व के लिए खतरे की घंटी से कम नहीं है।
दूसरी तरफ 17 अक्तूबर को होने वाले कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर भी कुरुक्षेत्र मचता दिख रहा है। पार्टी सांसद शशि थरूर कह रहे हैं कि अध्यक्ष का चुनाव होना चाहिए और जितने अधिक उम्मीदवार होंगे इतना ही अच्छा होगा। माना जा रहा है कि शशि थरूर अध्यक्ष की रेस में उतर सकते हैं और अगर ऐसा हुआ तो G23 के साथ साथ अन्य असंतुष्ट नेताओं का उन्हें समर्थन मिल सकता है।
उधर आज पार्टी सांसद मनीष तिवारी ने ट्विट कर अक्तूबर में हो रहे पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव पर सवाल खड़े कर दिए हैं। मनीष तिवारी ने पार्टी संगठन के चुनाव प्रभारी मधुसूदन मिस्त्री को टैग करते हुए ट्विट कर लिखा है कि जब तक वोटर लिस्ट सार्वजनिक करते हुए एआईसीसी की वेबसाइट पर नहीं डाल दी जाएगी तब तक इसे फ्री एंड फेयर इल्कशन कैसे कहा जाएगा?
मनीष तिवारी ने सवाल किया है कि किसी भी चुनाव लड़ने के इच्छुक व्यक्ति को जब तक वोटर्स के नाम पत्ते की जानकारी नहीं होगी और चुनाव लड़ने के लिए 10 पार्टी सदस्यों को अगर प्रस्तावक बनाना होगा तो बिना जानकारी सार्वजनिक किए यह पारदर्शी कैसे होगा।