न्यूज़ 360

स्पीकर-मेयर के बच्चोें के लिए नियम ताक पर: हरीश रावत क्यों कह रहे कि मेरे शरीर में लीखे खोजने वाले भाजपाई दोस्तों कभी अपने शरीर पर पड़े खटमलों को देख लिया करो!

Share now

देहरादून: 2022 के रण में रोज़गार सबसे बड़ा मुद्दा बनने वाला है। इसीलिए कांग्रेस और सत्ताधारी भाजपा में वार-पलटवार भी तेज हो गया है। पूर्व सीएम हरीश रावत ने भाजपा के साढे चार साल में आए तीनों मुख्यमंत्रियों पर रोजगार को लेकर हमला बोला कि तीनों ने मिलकर दस लाख नौकरियों का दावा कर दिया लेकिन यह नहीं बता पा रहे कि किस विभाग में कितनी नौकरियां दी गई। इस पर बीजेपी ने हरदा पर पलटवार करते हुए आरोप लगाया कि रावत राज में कैसे बैकडोर से नौकरियों की बंदरबाँट हुई उसको प्रदेश की जनता अभी भूली नहीं है।
अब इस मुद्दे पर हरदा ने फिर हमला बोला है। हरीश रावत ने कहा है कि बीजेपी प्रवक्ता कह रहे कि मैंने बैकडोर से भर्तियाँ की लेकिन वे यह मान रहे कि मैंने 32 हजार फ्रंट डोर से भर्तियाँ की। हरीश रावत ने सफाई दी है कि बैकडोर भर्तियाँ कराने का आरोप बेबुनियाद है।
हरदा ने स्पीकर प्रेमचंद अग्रवाल और मेयर सुनील उनियाल गामा के बहाने बीजेपी पर तीखा हमला बोला है। रावत ने कहा कि मेरे कार्यकाल में किसी स्पीकर या मेयर के बच्चोें के लिए सारे रूल्स बलाये ताक रखकर नियुक्तियाँ नहीं की गई। कांग्रेस नेता ने कहा कि बीजेपी के दोस्त मेरे शरीर की लीखे खोजने की बजाय कुछ ताकत अपने शरीर पर पड़े खटमलों को भगाने में लगाएँ।
पढ़िए हरदा ने क्या कहा हुबहू

भाजपा के प्रवक्तागणों ने मुझ पर हमला बोलते हुये कहा है कि मैंने बैकडोर से भर्तियां की। मगर यह मान लिया है कि 32 हजार मैंने फ्रंट डोर से भर्तियां की। बैकडोर से जो भर्तियां करने का आरोप है वो निराधार है, जो कुछ भी किया गया है वह #राज्य के कानून और परंपरा के अनुरूप किया गया है। मगर मेरे कार्यकाल में किसी स्पीकर या मेयर के बच्चों के लिये सारे रूल्स को बलाये ताक रखकर नियुक्तियां नहीं की गई। भाजपा के दोस्तो कभी-कभी अपने शरीर में पड़े हुए खटमलों को देख लिया करो, मेरे शरीर में लीखे खोजने में जितनी ताकत व समय लगाते हो, उतनी अपने शरीर के खटमलों को यदि दूर करने में लगाओ तो शायद कुछ कर पाओ।

पूर्व सीएम हरीश रावत

Show More

The News Adda

The News अड्डा एक प्रयास है बिना किसी पूर्वाग्रह के बेबाक़ी से ख़बर को ख़बर की तरह कहने का आख़िर खबर जब किसी के लिये अचार और किसी के सामने लाचार बनती दिखे तब कोई तो अड्डा हो जहां से ख़बर का सही रास्ता भी दिखे और विमर्श का मज़बूत मंच भी मिले. आख़िर ख़बर ही जीवन है.

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!