असिस्टेंट प्रोफेसर के 455 पदों पर राज्य के युवाओं को छोड़ किसकी नियुक्ति चाह रहा उत्तराखंड लोक सेवा आयोग? इंद्रेश मैखुरी ने CM धामी और उच्च शिक्षा मंत्री डॉ धन सिंह रावत को पत्र लिखकर पूछा ये सवाल

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देहरादून: उत्तराखंड लोक सेवा आयोग द्वारा निकाली गई असिस्टेंट प्रोफेसर के 455 पदों पर निकाली गई विज्ञप्ति सवालों के घेरे में आ गई है। विज्ञप्ति में कहा है कि अभ्यर्थियों की छँटनी API-Academic Performance Indicators स्कोर आधारित होगी। पॉलिटिकल एक्टिविस्ट और भाकपा (माले) के गढ़वाल सचिव इंद्रेश मैखुरी ने विज्ञप्ति में दी गई नियुक्ति शर्तों को प्रदेश के युवाओं को प्रतियोगिता से ही बाहर रखने की साज़िश करार दे रहे हैं। मैखुरी ने सीएम धामी और उच्च शिक्षा मंत्री डॉ धन सिंह रावत को खुला पत्र लिखकर छत्तीसगढ़, राजस्थान और उत्तरप्रदेश आदि राज्यों में हाल के दो-तीन वर्षों में की गई नियुक्तियों का आधार सीधी भर्ती, लिखित परीक्षा और साक्षात्कार के आधार पर नियुक्ति करने के उदाहरण गिनाए हैं। साथ ही 2017 की उत्तराखंड में भी कराई गई स्क्रीनिंग और साक्षात्कार प्रक्रिया की याद दिलाते हुए 4 दिसंबर को जारी की गई उत्तराखंड लोक सेवा आयोग की विज्ञप्ति पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने यूजीसी का हवाला देकर भी एपीआई की बाध्यता पर प्रश्नचिह्न लगाया है।

यहाँ पढ़िए हूबहू भाकपा (माले) के गढ़वाल सचिव इंद्रेश मैखुरी ने उत्तराखंड के सीएम धामी और उच्च शिक्षा मंत्री डॉ धन सिंह रावत को लिखा खुला पत्र

इंद्रेश मैखुरी, गढ़वाल सचिव, भाकपा (माले)

प्रति,
श्रीमान मुख्यमंत्री महोदय
उत्तराखंड सरकार
देहरादून.

श्रीमान उच्च शिक्षा मंत्री महोदय,
उत्तराखंड सरकार, देहरादून.

श्रीमान अध्यक्ष / सचिव
उत्तराखंड लोकसेवा आयोग
हरिद्वार.

महोदय,
उत्तराखंड के विभिन्न राजकीय महाविद्यालयों में सहायक आचार्य (असिस्टेंट प्रोफेसर) के 455 पदों पर नियुक्ति हेतु उत्तराखंड लोकसेवा आयोग, हरिद्वार द्वारा 04 दिसंबर 2021 को विज्ञप्ति जारी की गयी है.
महोदय, लंबे समय बाद प्रकाशित इस विज्ञप्ति से उत्तराखंड में उच्च शिक्षा में शिक्षण के आकांक्षी, अर्ह अभ्यर्थियों को प्रसन्न होना चाहिए था. लेकिन नियुक्ति का जो तरीका उक्त विज्ञप्ति में घोषित किया गया है, उससे उत्तराखंड के अधिकांश अभ्यर्थियों में निराशा व्याप्त है. उक्त विज्ञप्ति में नियुक्ति की शर्तों से अभ्यर्थी यह महसूस करते हैं कि उक्त विज्ञप्ति उन्हें प्रतियोगिता में शामिल होने से वंचित करने के लिए निकाली गयी है.
महोदय, विज्ञप्ति में कहा गया है कि “अभ्यर्थियों की छंटनी API (Academic Performance Indicators) स्कोर के आधार पर की जाएगी.”
विज्ञप्ति में नियुक्ति की इस शर्त से उत्तराखंड के अभ्यर्थी यह महसूस करते हैं कि उक्त विज्ञप्ति उन्हें प्रतियोगिता में शामिल करने के लिए नहीं वरन वंचित करने के लिए निकाली गयी है.
महोदय, पूरे देश में जहां भी असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों पर नियुक्ति हो रही है, वहां लिखित परीक्षा और साक्षात्कार चयन का आधार है. 2019 में छत्तीसगढ़, 2020 में राजस्थान और उत्तर प्रदेश में सीधी भर्ती, लिखित परीक्षा के आधार पर हुई हैं. उत्तराखंड में 2017 में हुई असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती स्क्रीनिंग और साक्षात्कार के जरिये हुए तो अब की बार API और साक्षात्कार की प्रक्रिया अपनाए जाने का कारण समझ से परे है.
महोदय, भारत के राजपत्र में प्रकाशित, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) की 18 जुलाई 2018 की अधिसूचना में भी असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति के लिए API स्कोर की बाध्यता नहीं है. तो फिर उत्तराखंड सरकार और उत्तराखंड लोकसेवा आयोग का ज़ोर अचानक से API पर क्यूं बढ़ गया है ?
यह भी गौरतलब है कि 2016 के बाद उत्तराखंड में कोई राज्य पात्रता परीक्षा नहीं हुई है. उच्च शिक्षा में इस परीक्षा में बैठने के पात्र अभ्यर्थी, लगातार इस परीक्षा को कराये जाने की मांग करते रहे, श्रीमान उच्च शिक्षा मंत्री, राज्य पात्रता परीक्षा कराये जाने का बयान देते रहे, लेकिन यह परीक्षा नहीं कराई गयी. इस तरह असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति हेतु समुचित अर्हता हासिल करने के रास्ते में रोड़ा अटकाया गया.
महोदय, उक्त तमाम तथ्यों के आलोक में निवेदन है कि उत्तराखंड लोकसेवा आयोग द्वारा असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति के API की बाध्यता को समाप्त किया जाये और यह नियुक्ति उत्तराखंड द्वारा 2017 में अपनाई गयी नियुक्ति प्रक्रिया अथवा देश के अन्य राज्यों द्वारा अपनाई गयी नियुक्ति प्रक्रिया के तरीके की जाये.
उत्तराखंड के उच्च शिक्षित युवाओं के भविष्य के मद्देनजर, आपसे इस विषय में तुरंत निर्णय लेने की उम्मीद है.
सधन्यवाद,
सहयोगाकांक्षी
इन्द्रेश मैखुरी
गढ़वाल सचिव
भाकपा(माले)


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