हरिद्वार (रतनमणी डोभाल): सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज सिंचाई खंड हरिद्वार में करोड़ों रुपए लागत की सिंचाई योजनाओं के घोटालों पर जांच होने के बाद भी आपकी चुप रहने का हठ हैरान करने वाला है। एक तरफ मंत्री सतपाल महाराज पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के ड्रीम प्रोजेक्ट सूर्यधार झील परियोजना में वित्तीय अनियमितताओं का हवाला देकर जांच करा रहे लेकिन दूसरी तरफ अपने चहेतों को बचाने के लिए करोड़ों के घोटाले पर मौनव्रत साधे हैं।
जगजीतपुर एसटीपी से रानी माजरा तक 10 किलोमीटर नाबार्ड के अंतर्गत 23 करोड़ 65 लाख रुपए लागत की नहर निर्माण योजना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लोकार्पण कराने के दिन से ही धड़ाम हुई, जहां की तहां पड़ी है।
इस योजना के धड़ाम होने की जांच भी हो चुकी है। इसके बाद भी करोड़ों का घोटाला करने वाले सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज के अगल-बगल दिखाई देते हैं। लेकिन किसी के खिलाफ अभी तक कार्रवाई नहीं हुई है।
जगजीतपुर सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के शोधित जल के पुनः उपयोग हेतु राज्य सेक्टर (नाबार्ड मद) के अंतर्गत सिंचाई नहर निर्माण से संबंधित घोटाले की जांच आख्या 18 अक्टूबर 2021 को सचिव सिंचाई को सौंप दी गई थी। लेकिन अभी तक विभाग ने दोषियों को आरोप पत्र तक नहीं दिया है।
हालांकि जांच अधिकारी ने मुख्य अभियंता स्तर- 2 दिनेश चंद्र पर गजब की मेहरबानी की है, जो करोड़ों का घोटाला होते चुपचाप देखते रहे थे। दिनेश चन्द्र ने निरीक्षण करने पर योजना को गैर-तकनीकी व अलाभकारी माना था और 11 बिंदुओं पर स्पष्टीकरण तलब किया था। जिसका कोई जवाब उन्हें उनके अधीनस्थ अधिकारी ने नहीं दिया और योजना का निर्माण रोकने के आदेश को ठेंगा दिखाते हुए नहर निर्माण कार्य चलता रहा और मुख्य अभियंता ने योजना की तरफ से मुंह मोड़ लिया तथा काम हो जाने दिया। लेकिन जांच अधिकारी ने जांच रिपोर्ट में उनकी संदिग्ध भूमिका पर जानबूझकर प्रकाश नहीं डाला।
सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज महाराज को बताना चाहिए की सोलानी नदी के बायें तट पर बाढ़ सुरक्षा योजना में केंद्र पोषित यूके -13 के अंतर्गत तटबंध निर्माण की 22 करोड़ 60 लाख 57 हजार रुपए लागत की योजना 11 जून 2014 से लगभग 17 करोड़ रुपए खर्च होने के बाद अधर में छोड़ दिए जाने तथा योजना का 350 लाख रुपया कहां गया और कैसे गया है। सतपाल महाराज को बताना चाहिए कि जांच आख्या के बाद सचिव सिंचाई, प्रमुख अभियंता सिंचाई विभाग उत्तराखण्ड को दोषी अधिकारियों को आरोप पत्र देकर स्पष्टीकरण तलब करने का आदेश दे चुके हैं, इसके बावजूद करोड़ों रुपए के घोटाले के दोषियों को आरोप पत्र देने से प्रमुख अभियंता को किसने रोक रखा है।
इसी प्रकार सुभाष गढ़ की 7 करोड़ रुपए लागत की सिंचाई नहर तथा गूल निर्माण की योजना भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई। विधानसभा की समिति इसकी जांच करा चुकी है। इसकी जांच आख्या के पर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं हुई सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज को बताना चाहिए। सिंचाई मंत्री को बताना चाहिए कि करोड़ों का घोटाला करने वालों पर उनकी इतनी कृपा क्यों है ?। यह घोटाले तो सूर्यधार से भी कहीं बड़े हैं।
( लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। विचार निजी हैं)