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देहरादून: राज्य के मेडिकल कॉलेजों में तैनात एमबीबीएस इंटर्न डॉक्टरों को हिमाचल प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों से सबसे कम स्टाइपेंड मिलने के मामले की गुहार हाईकोर्ट तक पहुँची थी। एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की बेंच ने एमबीबीएस इंटर्न डॉक्टरों को हिमाचल में 17,500 रु और छत्तीसगढ़ में 17,900 रु स्टाइपेंड मिलने के मामले में 7 जुलाई को सरकार को जमकर फटकार लगाई थी।
उसके बाद धामी सरकार ने ढोल पीट-पीटकर स्टाइपेंड बढ़ाकर 17 हजार करने का प्रचार कर दिया। लेकिन 28 जुलाई को हाइकोर्ट में अगली सुनवाई पर सरकार जीओ लेकर नहीं पहुँची थी। कोर्ट ने फिर सरकार को फटकारते अगली सुनवाई में कार्यवाही के साथ आने के निर्देश दिए थे। इसके बाद शासन जागा और स्वास्थ्य महकमे ने एमबीबीएस इंटर्न डॉक्टरों के लिए स्टाइपेंड बढ़ाने का जीओ जारी कर दिया।
लेकिन सोमवार को जारी किए गए इस शासनादेश में एमबीबीएस/बीडीएस इंटर्न डॉक्टरों का स्टाइपेंड न हाइकोर्ट में फटकार के बाद किए दावे और न ही सीएम धामी की ढोल-नगाड़ों के साथ हुई घोषणा के मुताबिक़ 17 हजार रु/मासिक था बल्कि जीओ में इसे घटाकर 15.120 रु कर दिया गया।
अब एक तो हाईकोर्ट में किए वादे और दूसरी मुख्यमंत्री धामी की घोषणा के विपरीत जीओ जारी कर स्वास्थ्य महकमे ने न केवल सीएम धामी बल्कि सरकार की भद पिटवा डाली। घोषणा के विपरीत स्वास्थ्य महकमे ने कम राशि का जीओ जारी कर जब सीएम धामी को ही ठेंगा दिखा दिया तब मजबूरन मुख्यमंत्री को दोहराना पड़ा कि एमबीबीएस इंटर्न डॉक्टरों को 17 हजार ही स्टाइपेंड मिलेगा। अब दोबारा जीओ आएगा ऐसी उम्मीद है लेकिन धामी सरकार की जमकर किरकिरी तो हो ही गई साथ ही यह भी पता चल गया है कि सरकारी कामकाज का ढर्रा बदलने वाला नहीं।
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