देहरादून: आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से दिए जाने वाले टेक होम राशन (THR) के वितरण की नई व्यवस्था का मुखर होता विरोध धामी सरकार के गले की फांस बनता जा रहा है। अब आंदोलित महिला स्वयं सहायता समूहों को पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का समर्थन भी मिल गया है। टीएसआर ने कहा कि समूहों की मांग जायज है और वह यह मुद्दा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सामने उठा चुके हैं। इसके बाद मुख्यमंत्री धामी ने मुख्य सचिव डॉ एसएस संधु को निर्देश भी दिए हैं कि टेक होम राशन की पहले से चली आ रही प्रक्रिया को जारी रखा जाए।
पूर्व मुख्यमंत्री टीएसआर ने मीडिया से बातचीत में कहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के समय भी उन्होंने टेक होम राशन की टेंडर प्रक्रिया रुकवाई थी। त्रिवेंद्र रावत ने कहा कि इस समय करीब डेढ़ लाख महिलाएं टीएचआर के वितरण से जुड़ी हैं। उन्होंने कहा कि नई व्यवस्था के तहत टेंडर होंगे तो संबंधित कंपनी को जगह-जगह स्टोर बनाने होंगे। राज्य की विषम भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए स्टोर से आंगनबाड़ी केंद्रों तक पोषाहार पहुंचाना कठिन होगा। लिहाजा, जो व्यवस्था चली आ रही है उसी को बरकरार रखा जाना चाहिए।पूर्व सीएम त्रिवेंद्र के अनुसार पूर्व में तत्कालीन महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने उत्तराखंड में टेक होम राशन की क्वालिटी की सराहना भी की थी। तब इसे ऊर्जा नाम दिया गया था। उन्होंने कहा कि वर्तमान में महिला समूहों से जुड़ी महिलाओं के साथ ही राजनीतिक हित में टीएचआर की व्यवस्था में बदलाव उचित कदम नहीं होगा।
सवाल है कि जब महिला स्वयं सहायता समूह इसका विरोध कर रहे और न केवल पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत बल्कि अब सत्ताधारी दल के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का विरोध भी सामने आने के बावजूद वह कौनसी वजहें हैं जो धामी सरकार को इस योजना के निजी कंपनी को सौंपने को मजबूर कर रही? क्यों विभाग अड़ा हुआ है टेंडर के ज़रिए किसी कंपनी को ठेका देने पर यह सवाल लोगों के मन-मस्तिष्क को मथने का काम कर रहा है। सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर अब जब पूर्व सीएम टीएसआर भी टीएचआर पर आंदोलित महिला स्वयं सहायता समूहों के साथ आ चुके हैं और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को वास्तविकता बता चुके तब क्या सरकार अड़ियल रुख छोड़ेगी?