
पुणे: राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ- RSS प्रमुख मोहन भागवत ने तालिबान को लेकर भारत में उठती जुदा राय के बीच कहा है कि संवेदनशील और समझदार मुसलमानों को कट्टरवाद का कड़ा विरोध करना चाहिए ताकि अन्य लोग सत्य से रूबरू हो सकें। सोमवार को पुणे में ग्लोबल स्ट्रैटेजिक पॉलिसी फाउंडेशन द्वारा आयोजित कार्यक्रम में बोलते हुए मोहन भागवत ने कहा,’भारत में हिन्दूओं और मुसलमानों के पुरखे एक ही थे। दोनों एक ही वंश के हैं और हमारे लिए ‘हिन्दू’ शब्द का अर्थ मातृभूमि और विरासत में मिली प्राचीन संस्कृति से है। हिन्दू शब्द हरेक व्यक्ति को उनकी भाषा, समुदाय या धर्म से अलग दर्शाता है। हर कोई एक हिन्दू है और इसी संदर्भ में हम प्रत्येक भारतीय नागरिक के एक हिन्दू के रूप में देखते हैं…।’
दरअसल, मोहन भागवत की यह बयान ऐसे समय आया है जब अफ़ग़ानिस्तान पर तालिबानी क़ब्ज़े के बाद भारत में इसे लेकर भिन्न-भिनन प्रक्रियाएँ आ रही हैं। तालिबान को लेकर देश में आ रहे ऐसे बयानों पर बवाल भी मच रहा तो बहस भी छिड़ी हुई है कि तालिबान को लेकर भारत और भारतीय मुसलमानों का रुख कैसा होना चाहिए।
ज्ञात हो कि पिछले दिनों प्रसिद्ध एक्टर नसीरूद्दीन शाह ने कहा था कि अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान का दोबारा सत्ता पर क़ब्ज़ा कर लेना दुनिया के लिए चिन्ता का सबब है लेकिन भारतीय मुसलमानों के कुछ तबक़ों का तालिबानी वहशियों की वापसी पर जश्न मनाना इससे कम ख़तरनाक नहीं। अपने वीडियो बयान में शाह ने कहा था कि यहाँ के मुसलमान को खुद से ये प्रश्न पूछना होगा कि उसे अपने मज़हब में सुधार और आधुनिकता चाहिए या पिछली सदियों के वहशीपन की मान्यताएँ! दरअसल नसीरूद्दीन शाह का बयान तब आया था जब सपा सांसद शफीकुर रहमान बर्क और शायर मुनव्वर राणा सहित कई लोगों के बयान तालिबान की तरफ़दारी करते नजर आए।
शाह के बयान से इतर जावेद अख़्तर ने आरएसएस, बजरंग दल और विहिप जैसे संगठनों की तुलना तालिबान से कर दी थी। अख़्तर ने एक टीवी इंटरव्यू में कहा था कि तालिबान मुस्लिम देश चाहता है तो आरएसएस हिन्दू राष्ट्र बनाना चाहता है।
अब तालिबान पर देश में छिड़ी इस बहस के बीच मोहन भागवत का बयान आना ख़ासा महत्वपूर्ण समझा जा रहा है। भागवत ने कहा,’ भारत में इस्लाम आक्रांताओं के साथ आया। यह एक एतिहासिक सत्य है और इसे उसी रूप में बताया जाना जरूरी है। मुस्लिम समुदाय के समझदार नेताओं को अतिवाद का विरोध करना चाहिए और कट्टरपंथियों की खुलकर आलोचना और विरोध करना चाहिए। यह लंबी और कठिन परीक्षा होगी लेकिन जितना जल्दी हम यह करेंगे समाज को उतना ही कम नुकसान होगा।’
संघ प्रमुख ने कहा कि हिन्दू शब्द मातृभूमि, पूरखों और भारतीय संस्कृति के समान है। यह शब्द भिन्न विचारों का अपमान नहीं है। मोहन भागवत ने कहा कि देश के चौतरफा विकास के लिए सबको मिलकर काम करना चाहिए और भारत एक महाशक्ति के रूप में किसी को डराएगा नहीं। ग्लोबल स्ट्रैटेजिक पॉलिसी फाउंडेशन द्वारा आयोजित कार्यक्रम में केरल के गवर्नर आरिफ़ मोहम्मद खान और कश्मीर केन्द्रीय विश्वविद्यालय के चांसलर सैयद अता हसनैन भी शिरकत कर रहे थे।