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यशपाल आर्य ने नेता प्रतिपक्ष के तौर पर कार्यभार संभालते ही धामी सरकार पर बोला हमला, सशक्त भू-कानून पर कमेटी से आगे नहीं बढ़ पाई है सरकार

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झारखंड और छत्तीसगढ़ के मुकाबले उत्तराखंड में विधानसभा सत्रों की घटती अवधि चिन्ताजनक

हार के बावजूद 36 फीसदी वोटर्स ने जताया भरोसा, सदन में सौ फीसदी जनता की आवाज बनकर जनहित के मुद्दों पर घेरेंगे सरकार को

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देहरादून: सोमवार को वरिष्ठ कांग्रेस नेता यशपाल आर्य ने उत्तराखंड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के तौर पर कार्यभार संभाल लिया है। इस मौके पर यशपाल आर्य ने कहा,”उत्तराखण्ड की जनता और काग्रेस पार्टी विधान मण्डल दल के सदस्यों के आशीर्वाद तथा केन्द्रीय नेतृत्व के विश्वास से मै आप लोगों के सामने उत्तराखण्ड विधान सभा के नेता प्रतिपक्ष के रूप में उत्तराखण्ड की जनता की सेवा के लिए प्रस्तुत हूँ।”

इस अवसर पर प्रदेश कांग्रेस प्रभारी देवेन्द्र यादव, प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, उपनेता प्रतिपक्ष भुवन कापडी, विधायक ममता राकेश, फुरकान अहमद, आदेश चौहान, मनोज तिवारी, गोपाल राणा, सुमित हृदयेश, अनुपमा रावत, विरेन्द्र कुमार जाति, रवि बहादुर उपस्थित रहे।

आर्य ने कहा कि उत्तराखण्ड की जनता ने कांग्रेस को विपक्ष की भूमिका में रखकर जनता की आवाज को बुलंद करने का जनादेश दिया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी भले ही चुनाव जीत कर सरकार नही बना पाई हो लेकिन प्रदेश के कुल मतदाताओं में से 36 प्रतिशत ने हम पर भरोसा किया है। हम जनादेश को विनम्रतापूर्वक स्वीकार करते हुए सकारात्मक और सजग विपक्ष की भूमिका में राज्यहित और राज्य की जनता की बेहतरी और खुशहाली के लिए कार्य करने को तैयार हैं।

आर्य ने कहा कि कांग्रेस पार्टी स्वच्छ लोकतांत्रिक मूल्यों पर विश्वास करती है इसलिए विधानसभा के भीतर और बाहर लोकतांत्रिक परम्पराओं के अनुसार सकारात्मक विरोध की राजनीति करेंगे। उन्होंने कहा कि 19 सदस्यों वाला कांग्रेस विधायक दल भले ही सत्तापक्ष की तुलना में संख्याबल के लिहाज से छोटा हो लेकिन हमारा विधायक दल विविधताओं भरा है जिसमें प्रीतम सिंह जैसे राज्य के सबसे वरिष्ठ विधायकों में से एक हैं तो हमारे इस विधानसभा में ऊर्जा से लबरेज पांच विधायक भी हैं। विधायक मण्डल दल में पंचायतों में विभिन्न स्तरों पर जो प्रतिनिधित्व कर विधायक तक पहुंचे। विधायक हैं, पूर्व मंत्री हैं तो ममता राकेश और अनुपमा रावत के रूप में दो महिला विधायक भी सम्मिलित हैं। आर्य ने कहा,” मै पूरे भरोसे के साथ कह सकता हूँ कि हमारे विधायक सम्पूर्ण देवभूमि उत्तराखण्ड और उत्तराखंडियत का प्रतिनिधित्व कर सकते हैं और पूरे उत्तराखण्ड की आवाज बन सकते हैं। नेता प्रतिपक्ष के रूप में मेरी कोशिश होगी कि विधानसभा का अधिकतम प्रयोग प्रदेश की जनता की खुशहाली और प्रगति के लिए करें।”

नेता प्रतिपक्ष आर्य ने कहा,” उत्तराखण्ड में विधानसभा के सत्रों की समायावधि धीरे-धीरे कम होती जा रही है। उत्तराखण्ड विधानसभा के सत्रों की समयावधि की तुलना यदि हमारे साथ बने दो राज्य झारखण्ड़ और छत्तीसगढ़ तथा अपने पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश से करे तो इन सभी राज्यों की तुलना में उत्तराखण्ड में विधानसभा के सत्रों की समायावधि बहुत छोटी है। विधानसभा के सत्र छोटे होने से विधायकों को विधानसभा में अपने क्षेत्र और प्रदेश के जनता की आवाज उठाने के लिए बेहद कम समय मिलता है। हम सरकार पर लम्बे और प्रभावी विधान सभा सत्र आहूत करने हेतु दबाव डालेंगे। सरकार को यदि सत्र की समयावधि बढ़ानी है तो सरकार को पहले से ही तैयारी कर विधान सभा हेतु सरकारी कार्य और विधायन की मात्रा बढ़ानी होगी, क्योकि बिना सरकारी काम काज के सत्र चलाना मुश्किल होता है।”

आर्य ने कहा कि अभी भी प्रदेश में सैकड़ों तरह के विधायी कार्य अधूरे हैं और हम अनेकों कानूनों और नियमावलियों के लिए अपने पूर्ववर्ती राज्य उत्तरप्रदेश पर निर्भर हैं। कांग्रेस सरकार के समय विधानसभा से पास कर महामहिम राज्यपाल को स्वीकृति हेतु भेजे गये लोकायुक्त कानून और राजकीय सेवाओं में राज्य आन्दोलनकारियों से सम्बन्धित कानून अभी भी स्वीकृत होकर नहीं आये हैं। सरकार को शीर्ष स्तर के भ्रष्टाचार पर रोक लगाने तथा राज्य आन्दोलनकारियों को सम्मान देने के लिए इन दोनों विधायकों और ऐसे अनेकों विधेयकों पर फिर से कार्य शुरू करना चाहिए इसलिए सरकार अब सदन चलाने के लिए पर्याप्त सरकारी काम-काज का बहाना नहीं बना सकती है।

उन्होंने कहा कि यदि सरकार उत्तराखण्ड की जनता के हित और जनता की परेशानियों को हल करने के लिए पर्याप्त संख्या में विधेयक नहीं लाती हैं तो मजबूर होकर हम उन विषयों पर कांग्रेस विधानमण्डल दल के विधायकों द्वारा प्राइवेट मेम्बर बिल सदन में प्रस्तुत करेंगे, जो सरकार को आईना दिखाने का काम करेंगे। पिछली विधान सभा में कांग्रेस के विधायकों द्वारा लाये गये प्राइवेट मेम्बर बिल चारधाम देवस्थानम् बोर्ड कानून को निरस्त करने में महत्वपूर्ण हथियार व कारण बना था।

इसी तरह उत्तराखण्ड जमींदारी उन्मूलन कानून में गलत बदलावों को समाप्त करने वाले प्राइवेट मेम्बर बिल के कारण सरकार दबाव में आई और सशक्त भू-कानून हेतु एक उच्च स्तरीय समिति बनाई थी हालांकि सशक्त भू-कानून के मामले में अभी भी सरकार एक कदम भी आगे नही बढ़ पाई है।

आर्य ने कहा कि कांग्रेस विधानमण्डल दल के सदस्य व्यापक राज्य हित के विषयों को विभिन्न नियमों के तहत उठायेंगे और प्रश्न काल का पूरा सदुपयोग किया जायेगा। उन्होंने कहा कि हमारी कोशिश होगी कि हम न केवल विधान सभा में सरकार के कदम भटकने पर उन्हें चेतायेंगे बल्कि संवैधानिक प्रक्रिया के तहत सरकार को रास्ता दिखाते हुए बेहतर विकल्प भी सुझाएँगे। यदि सरकार सदन में संख्या बल के दम पर हमारे सकारात्मक विकल्पों को दबाती है या स्वीकार नही करती है तो हम कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओें द्वारा इन विकल्पों को लेकर जनता के सामने जायेंगे और जनता के साथ मिलकर उत्तराखण्ड की बेहतरी के लिए सड़कों पर संघर्ष करेंगे। इन सभी कार्यो के लिए मुझे और कांग्रेस के विधानमण्ड़ल दल को उत्तराखण्ड की जनता का आशीर्वाद और सहयोग मिलता रहेगा ऐसा मेरा भरोसा है।
आर्य ने कहा,”उत्तराखण्ड की प्रेस और मीडिया ने देश के स्वत्रंत्रा संग्राम से लेकर उत्तराखण्ड राज्य आंदोलन में बहुत ही जिम्मेदारी के साथ महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। मेरा उत्तराखण्ड की प्रेस और विभिन्न माध्यमों के पत्रकार साथियों से निवदेन है कि आप विपक्ष की इस सकारात्मक लड़ाई में सहयोग देंगे और इन सकारात्मक मुद्दों को विभिन्न माध्यमों से जनता के बीच पहुंचाने में विपक्ष की सहायता करेंगे।”

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