देहरादून/ नैनीताल: UTTARAKHAND HIGH COURT गुरुवार को हाईकोर्ट ने 26 जून को चारधाम यात्रा पर लगाई रोक हटाकर धामी सरकार को बड़ी राहत दे दी है। इसके बाद एक्शन में आए मुख्य सचिव डॉ एसएस संधु ने आलाधिकारियों की बैठक कर हालात की समीक्षा करते हुए 18 सितंबर यानी शनिवार से चारधाम यात्रा शुरू कराने का फैसला किया है। सरकार के सामने कोविड प्रोटोकॉल, हेल्थ इंफ़्रा और साफ-सफाई को लेकर दिए सख्त निर्देशों का पालन कराना धामी सरकार के लिए टेढ़ी खीर होगा। साथ ही हर हफ्ते हाईकोर्ट हालात की समीक्षा भी करता रहेगा यानी सरकार को बेहद चौकन्ना होकर कोविड प्रोटोकॉल पर खरा उतरने रहना होगा।
चीफ जस्टिस आरएस चौहान और जस्टिस अलोक कुमार वर्मा की बेंच ने चारधाम यात्रा पर रोक हटाते हुए राज्य सरकार को कोविड सख्त निर्देश दिए हैं।
धामी सरकार ने सीमित चारधाम यात्रा शुरू करने और केदारनाथ में रोजाना 800 यात्री, गंगोत्री में 600, यमुनोत्री में 400 और बदरीनाथ में 1200 यात्रियों को दर्शन की इजाज़त देने की मांग की थी। लेकिन हाईकोर्ट ने बदरीनाथ धाम में रोजाना 1000 यात्रियों को दर्शन की इजाज़त ही दी है। साथ ही सरकार ने लिखित में कहा है कि मंदिर के गर्भगृह में एक बार में अधिकतम तीन लोग ही रहेंगे।
हाईकोर्ट ने चारधाम यानी उत्तरकाशी, चमोली और रुद्रप्रयाग के जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (District Legal Services Authority- DLSA) सचिवों को निर्देशित किया है कि वे चारधाम यात्रियों को दी जाने वाली सुविधाओं की समीक्षा करने से लेकर भीड़ नियंत्रण मैनेजमेंट आदि पर विस्तृत रिपोर्ट हर हफ्ते हाईकोर्ट को भेजें।
धामी सरकार ने हाईकोर्ट को आश्वस्त किया कि चारधाम यात्रा की जल्द एसओपी बना ली जाएगी और सिर्फ कोविड निगेटिव आरटी-पीसीआर रिपोर्ट या डबल डोज वैक्सीनेशन के बाद ही यात्रियों को चारों धामों पर दर्शन की इजाज़त होगी। जाहिर है चारधाम यात्रा शुरू होने से सरकार ने राहत की साँस जरूर ली है लेकिन हाईकोर्ट की सख्त मॉनिटरिंग बनी रहेगी लिहाजा कोविड प्रोटोकॉल पालन को लेकर सरकार की कठिन परीक्षा होती रहेगी।
ज्ञात हो कि 2017 में करीब 22 लाख लोगों ने चारधाम यात्रा की थी और 2018 में 26 लाख श्रद्धालुओं ने चारों धामों के दर्शन किए। जबकि 2019 मे रिकॉर्ड 32 लाख यात्रियों ने चारधाम यात्रा की लेकिन 2020 में कोरोना के कहर के चलते सीमित चारधाम यात्रा के चलते मात्र 3 लाख श्रद्धालुओं ने ही यात्रा की।
2021 में सरकार ने एक जुलाई से सीमित चारधाम यात्रा का फैसला किया था लेकिन कोविड प्रोटोकॉल को लेकर सरकार की तैयारियों से आश्वस्त न होने के चलते हाईकोर्ट ने 28 जून को यात्रा पर रोक लगा दी थी। उसके बाद हाईकोर्ट की चार हफ्ते की रोक हटवाने सरकार सुप्रीम कोर्ट एसएलपी लेकर जाती है लेकिन दो माह गुजरने पर भी मामले की लिस्टिंग न हो पाने के बाद 10 सितंबर को सरकार वापस हाईकोर्ट पहुँची।