- भर्तियों पर बवाल अब निशाने पर धन सिंह रावत
- करन माहरा ने उच्च शिक्षा मंत्री को कटघरे में खड़ा कर कहा-
- इन चार विश्वविद्यालयों में नियम विरुद्ध अपने चहेतों के दे दी नौकरी
- सीएम धामी कराएं उच्च स्तरीय जांच
देहरादूनः उत्तराखण्ड प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करण माहरा ने कहा है कि उच्च शिक्षा विभाग में भी भर्तियों में काफी मनमाने तरीके से नियुक्तियां की गई हैं। उन्होंने कहा कि चाहे श्रीदेव सुमन यूनिवर्सिटी हो या हल्द्वानी स्थित ओपन यूनिवर्सिटी हो, अपने चहेतों को लाभ पहुंचाने के लिए नियम विरुद्ध नियुक्तियां की गई है।
करन माहरा ने कहा कि ओपन यूनिवर्सिटी में 56 नियमित नियुक्तियां की गई हैं और कुछ भर्तियां आउटसोर्स के माध्यम से की गई है जिसमें वित्त सचिव ने आपत्ति जताते हुए इन्हें नियम विरुद्ध बताया था। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि वित्त सचिव ने उच्च शिक्षा सचिव को पत्र लिखकर कार्रवाई करने के लिए कहा था क्योंकि ये पद स्वीकृत ही नहीं थे, ना ही इनकी वित्तीय स्वीकृति ही थी। करन माहरा ने कहा कि वित्तीय स्वीकृति एवं पद सृजन के यह नियुक्तियां की गई थी। उन्होंने आरोप लगाया कि मनमाने ढंग से की गई इन नियुक्तियों पर आज तक सरकार ने क्या कार्रवाई की किसी को कुछ पता नहीं है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के चहेते गिरजाशंकर जोशी की ओपन यूनिवर्सिटी में नियुक्ति पहले से ही विवादों के घेरे में रही है।
वहीं, माहरा ने कहा कि श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय के ऋषिकेश परिसर में 65 पदों पर समायोजन के माध्यम से नियम विरुद्ध नियुक्तियां की गई हैं जिनका प्रकरण भी हाईकोर्ट में लंबित है। उन्होंने कहा कि श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय ऋषिकेश परिसर के लिए पूरे प्रदेश के राजकीय डिग्री कॉलेजों से आवेदन मांगे गए थे जिसमें चयन प्रक्रिया इंटरव्यू एवं वरिष्ठता के आधार पर होनी थी लेकिन अंतिम समय में वरिष्ठता सूची को दरकिनार कर दिया गया एवं चहेतों को लाभ पहुंचाने के लिए सी.आर. का मानक जोड़ा गया ताकि चहेतों का समायोजन हो सके। उन्होंने कहा कि जो पात्र थे उन्हें दरकिनार किया गया।
माहरा ने कहा कि तकनीकी विश्वविद्यालय और आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय में भी भारी संख्या में नियम विरूद्ध चहेतों की नियुक्तियां की गई है। उन्होंने कहा कि प्रदेशभर में जो भी नियम विरुद्ध नियुक्तियां की गई हैं उनकी जांच की जाए।
माहरा ने कहा कि उक्त चारों विश्वविद्यालयों में नियम विरुद्ध की गई सभी नियुक्तियां एवं समायोजन निश्चित तौर पर एक बड़े घोटाले की ओर इशारा कर रही है जिसकी निष्पक्ष और उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यह नियुक्तियां भी राज्य अधीनस्थ सेवा चयन आयोग में हुए भर्ती घोटाले की तरह ही प्रतीत होती है। उन्होंने जोर देकर कहा कि इन सब नियुक्तियों में भी कार्रवाई आवश्यक है ताकि दूध का दूध पानी का पानी हो सके।