Uttarakhand News: उत्तराखंड राज्य अपनी स्थापना के 23वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है और इस मौके पर मुख्यमंत्री सिंह धामी तीन लाख कर्मचारियों और पेंशनर्स से लेकर राज्य आंदोलनकारियों को गुड न्यूज देने जा रहे हैं। बीते शनिवार को सीएम धामी ने DA यानी महंगाई भत्ते की घोषणा की थी और सोमवार को फाइल पर हस्ताक्षर कर DA को लेकर गुड न्यूज दे दी है।
ज्ञात हो कि धामी कैबिनेट ने पिछली मीटिंग में सीएम को चार फीसदी DA बढोतरी को लेकर अधिकृत कर दिया था जिसके बाद शनिवार को उत्तराखंड अधिकारी कर्मचारी शिक्षक समन्वय समिति के पदाधिकारी मुख्यमंत्री से मिले थे। इसी वार्ता मीटिंग में सीएम धामी ने कार्मिकों को DA बढोतरी को लेकर चिंतित न होने का आश्वासन देकर राहत दे दी थी। अब सीएम ने डीए बढोतरी की फाइल का अनुमोदन कर दिया है और आज मंगलवार को गुरु नानक जयंती के मौके पर सार्वजनिक अवकाश होने की वजह से कल यानी बुधवार को तीन लाख कर्मचारियों और पेंशनर्स को DA बढोतरी के आदेश की औपचारिक तौर पर मिल सकती है।
राज्य वित्त विभाग ने DA बढोतरी के बाद बढ़ने वाले आर्थिक भार के वहन की तैयारी कर ली है। ज्ञात हो कि DA बढोतरी के बाद हर महीने 42-45 करोड़ रुपए का अतिरिक्त बोझ आने का अनुमान है। चार फीसदी डीए बढोतरी के बाद राज्य के कर्मचारियों को 550 रुपए से लेकर 10 हजार रुपए तक की वेतन वृद्धि का फायदा मिलेगा।
धामी सरकार राज्य स्थापना दिवस से ठीक पहले प्रदेश मूल की महिलाओं के लिए 30 फीसदी क्षैतिज आरक्षण पर नैनीताल हाईकोर्ट द्वारा लगाई रोक पर सुप्रीम कोर्ट जाकर स्टे लगवा ही चुकी। साथ ही वह जरूरत पड़ने पर अध्यादेश की तैयारी भी करके बैठी थी। वहीं अब खबर आ रही है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी राज्य निर्माण आंदोलन में हिस्सा लेने वाले राज्य आंदोलनकारियों के लिए सरकारी नौकरियों में 10 फीसदी क्षैतिज आरक्षण को लेकर भी आगामी विधानसभा सत्र में संशोधित विधेयक लाने पर होमवर्क कर रही है।
ज्ञात हो कि 2013 में हाईकोर्ट ने राज्य आंदोलनकारियों को दिए गए क्षैतिज आरक्षण पर रोक लगाई थी जिसके बाद 2015 में तत्कालीन हरीश रावत सरकार ने विधानसभा में क्षैतिज आरक्षण बहाली को लेकर विधानसभा से विधेयक पारित कराकर राजभवन भेजा था। लेकिन यह राजभवन में अटक कर रह गया और अब सात साल बाद सीएम पुष्कर सिंह धामी ने पहल कर राज्यपाल से अनुरोध किया जिसके बाद विधेयक लौटाया जा सका है। अब धामी सरकार इस विधेयक की खामियों को दूर कर संशोधित विधेयक लाने की तैयारी में है।
दरअसल 2013 में जब हाई कोर्ट ने राज्य आंदोलनकारियों को सरकारी में 10 फीसदी क्षैतिज आरक्षण पर रोक लगा दी और 2015 में हरदा सरकार में लाया गया विधेयक राजभवन में लटक गया तो कोर्ट के आदेश के आलोक में 2018 में तत्कालीन त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार ने इस आरक्षण की अधिसूचना को निरस्त कर दिया था।
यह भी गौर करने लायक है कि सीएम धामी ने ही राज्य आंदोलनकारियों की पेंशन सत्ता संभालने के बाद अब तक दो बार बढ़ा दी है। सीएम धामी ने सक्रिय राज्य आंदोलनकारियों की सम्मान पेंशन 3100 रुपए से बढ़ाकर 4500 रुपए कर दी है। जबकि राज्य निर्माण आंदोलन में घायल हुए आंदोलनकारियों की पेंशन 5000 से बढ़ाकर 6000 रुपए की गई है।