Adda Analysis धामी का ये गजब हेडलाइन मैनेजमेंट या वाकई बरगद हिलाकर दबाव महसूस कर रहे मुख्यमंत्री! मान लीजिए साढ़े चार साल त्रिवेंद्र-तीरथ पर दबाव डाल अफसर कराते रहे तबादले-पोस्टिंग

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देहरादून: चुनाव से चंद महीने पहले सीएम बनाए गए पुष्कर सिंह धामी जानते हैं न उनके पास चार-छह महीने का हनीमून पीरिएड है और ना ही सरकार और शासन चलाने का पूर्व का खासा तजुर्बा! लिहाजा ऐसा लगता है कि रणनीतिकारों ने आसान रास्ता समझाया है कि सीएम साहब हेडलाइन मैनेजमेंट पर फोकस रखिए। तभी तो सीएम पुष्कर सिंह धामी मंच से ललकारते कहते हैं कि मेरे शपथ ग्रहण में पूर्ववर्ती मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के आने पर प्रोटोकॉल में खड़े होने की बजाय जो अधिकारी अपनी कुर्सियों पर जमे रहे उनको बख़्शा नहीं जाएगा। हेडलाइन अच्छी बनी लेकिन किस अधिकारी पर क्या एक्शन हुआ मुख्यमंत्री ही जानते होंगे और किसी को खबर नहीं।


दूसरा मामला, मुख्यमंत्री चुनाव से पहले 22-24 हजार सरकारी नौकरियों के लिए दम लगा रहे लेकिन विभागों का होमवर्क कितना हुआ! विभागों का होमवर्क ऐसा हुआ है कि धामी के सीएम बनने के बाद दूसरी बार कार्मिक विभाग को सभी विभागों को पत्र लिखकर पूछना पड़ रहा है कि बताइये आपके यहाँ कितने पद रिक्त हैं क्योंकि सीएम के समक्ष ब्योरा रखना है।


अब अफसरों पर नकेल कसने को सबको बोल दिया गया है कि भारतीय प्रशासनिक सेवा के रूल दोबारा पढ़ लें कोई दबाव न डलवाया जाए तबादलों को लेकर! गजब अफसरों पर नकेल कसने का हेडलाइन मैनेजमेंट है जी! अब यह भी पहली बार कहलवाया जा रहा कि ध्यान रहे कोई अफसर फोन न करा दे किसी केन्द्रीय मंत्री से, संघ के नेता या बीजेपी के दिग्गज से। मतलब कि चार दिन पहले जो बंपर तबादलों के ज़रिए शासन के बरगद हिलाए गए वह अब राजनीतिक या अन्य प्रकार से मुख्यमंत्री या वरिष्ठ अफसरोें पर दबाव डलवा रहे! आखिर डबल इंजन में कौनसा नौकरशाही का बरगद है जो मुख्यमंत्री पर दबाव बना रहा

बाक़ायदा सचिव कार्मिक अरविंद सिंह ह्यांकी ने आदेश जारी करते हुए सभी भारतीय प्रशासनिक सेवा के उत्तराखंड में तैनात अफसरों को अखिल भारतीय सेवा की नियमावली याद कराई है पत्र लिखकर।
इस आदेश के अनुसार, ‘THE ALL INDIA SERVICES (CONDUCT) RULES, 1968 के नियम-18 की और आकृष्ट करते हुए यह स्पष्ट करने का निर्देश हुआ है कि संदर्भित नियम-18 के अनुसार संवर्ग के सदस्य द्वारा अपने सेवा सम्बंधी प्रकरणों को लेकर अपने उच्चतर प्राधिकारियों पर राजनैतिक अथवा किसी भी अन्य प्रकार का दबाव बनाने की चेष्टा करना निषिद्ध है। सुलभ संदर्भ हेतु संगत नियम-18 निमनवत उद्धत है:-

“18-Canvassing- No member of the Service shall bring or attempt to bring any political or other influence to bear upon any superior authority to further interests in respect of matters pertaining to his service under the Government.”
अत: संवर्ग के प्रत्येक सदस्य से यह अपेक्षित है कि कृपया THE ALL INDIA SERVICES (CONDUCT) RULES, 1968 के उक्त संदर्भित नियम- 18 का अक्षरश: पालन सुनिश्चित करें। संदर्भित नियम के उल्लंघन की दशा में संबंधित सदस्य/ अधिकारी की सेवा पुस्तिका में यथोचित अंकन करने हेतु शासन की बाध्यता होगी।’

देखिए कैसे आईएएस अफसरों को नियम का पाठ फिर से पढ़ाया जा रहा है! यानी एक मतलब तो ये कि त्रिवेंद्र-तीरथ राज में जो भी राजनीतिक या अन्य तरीक़ों का दबाव डलाकर मनमानी पोस्टिंग पाते रहे अफसर, अब सँभल जाएँ धामी राज में नहीं चलेगा।


दूसरा मतलब ये कि शासन के कई बरगद हिल गए लिहाजा दिल्ली दरबार तक पहुँच का सहारा लेकर मुख्यमंत्री पर ज़बरदस्त दबाव बना रहे, उनको डराने-डपटने की कोशिश का हिस्सा है ये पत्र।

तीसरा, डीएम-पुलिस कप्तान के लिए अभी से जोर मारे पड़े अफसरों को मैसेज है कि सँभल कर नंबर डायल कराएँ कहीं पैरवी के चक्कर में सेवा पुस्तिका में गलत क़लम न चलवा बैठें।

मैसेज सीएम धामी ने ये दे दिया है कि पिछले दोनों मुख्यमंत्रियों के राज में जमकर ट्रांसफर-पोस्टिंग में सरकार और उच्च अधिकारियों पर राजनीतिक अथवा किसी अन्य प्रकार का दबाव बनाने का खेल खूब खेला गया!
अब असल सच तो त्रिवेंद्र-तीरथ ही बता पाएंगे।


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