देहरादून: बाइस बैटल की चुनावी बिसात पर सत्ताधारी बीजेपी और मुख्य विपक्षी कांग्रेस में एक लड़ाई वह है जो सामने से सतह पर नजर आ रही है। लेकिन यह लड़ाई असल जोर पकड़ेगी चुनाव का बिगुल बजने के बाद, उससे पहले दूसरे छोर पर आपसी सेंधमारी की अंदरूनी जंग पूरे शबाब पर आ चुकी है। 2024 की बड़ी लड़ाई से पहले किसान आंदोलन से लेकर तमाम सवालों के जवाब बीजेपी 2022 में यूपी-उत्तराखंड जंग जीतकर दे देना चाहती है। इस कड़ी में धनौल्टी से निर्दलीय विधायक प्रीतम सिंह पंवार को अपने पाले में कर बीजेपी के राष्ट्रीय नेतृत्व ने अपने इरादों की झाँकी पेश कर दी है। लेकिन इसे महज ट्रेलर भर समझना चाहिए क्योंकि बीजेपी नेतृत्व असल पिक्चर को कांग्रेस में बड़ी सेंधमारी कर 2016-17 की तर्ज पर दोहरा कर दिखाने की तैयारी में है।
कहने को बीजेपी उत्तराखंड में 2022 में 60 प्लस सीटों पर फतह का झंडा गाड़ने का दावा ठोक रही यानी 2017 से भी बड़ा बहुमत। लेकिन हकीकत का अंदाज़ा इसी बात से लग जाता है कि पार्टी को मार्च से जुलाई तक तीन मुख्यमंत्री बदलने पड़ गए। बीजेपी कॉरिडोर्स में इंटरनल सर्वे में पार्टी की स्थिति को लेकर तमाम बातें छनकर सामने आ रही वे जमीनी हकीकत को लेकर उसकी बेचैनी को समझाती हैं। लिहाजा चुनाव से पहले ही बहुमत के लिए ऑपरेशन लोटस शुरू हो चुका है और बहुमत के लिए कांग्रेसी किले के उन घोड़ों पर दांव लगाया जा रहा है जिनके जीतने की संभावना ज्यादा है।
जानकार सूत्र बताते हैं कि गढ़वाल से कुमाऊं ऐसे कांग्रेसी दावेदारों को एप्रोच भी किया जा रहा है। इस दिशा में पुरोला से कांग्रेस विधायक के पालाबदल की खबर ताबड़तोड़ सोशल मीडिया में तैर गई है पर न कांग्रेस ही इसका खंडन कर रही और न ही भूमिगत बताए जा रहे विधायक राजकुमार सामने आकर मुँह खोल रहे। कहने को कांग्रेस नेताओं ने अनौपचारिक बातचीत में स्वीकार किया कि राजकुमार को रोके रखने की कसरत अभी थमी नहीं है। जबकि दिल्ली से बीजेपी के जानकार सूत्र दावा कर रहे कि विधायक राजकुमार के साथ मुलाकात-बातचीत हो चुकी हैं, कुछ चीज़ें हैं जो कांग्रेस विधायक ने रखी हैं उनका समाधान होते ही पालाबदल को सार्वजनिक किया जाएगा।
जाहिर है कांग्रेस विधायक को अपने पाले में कर बीजेपी न केवल राज्य तीन अपनी सरकार की नीतियों पर विपक्षी विधायक साथ लेकर मुहर लगवाना चाहती है बल्कि मनौवैज्ञानिक वॉरफेयर में यह कांग्रेस के लिए तगड़ा झटका भी होगा। सवाल उठेंगे कि न सत्ता में रहते 2016 और बाद में कांग्रेस विधायकों को रोक पाई थी और आज चुनाव से ठीक पहले कांग्रेसी विधायकों को जीत बीजेपी में ही दिख रही है।
बीजेपी नेतृत्व ने इस अभियान में एक मंत्री और कुछ केन्द्रीय नेताओं को झोंक दिया है और ताज्जुब न हो कि आने वाले दिनों में पालाबदल के और किस्से सुनाई दें। रडार पर चमोली, उत्तरकाशी,रुद्रप्रयाग, ऊधमसिंहनगर से लेकर नैनीताल, अल्मोड़ा और पिथौरागढ़ तक के कई सूरमा हैं। जिताऊँ टूटते दिखेंगे तो बीजेपी अपने कई हार की कगार पर खड़े नजर आ रहे विधायकों को घर बिठाने से भी नहीं हिचकेगी। इस पालाबदल में हार की कगार पर खड़े एकाध कांग्रेसी विधायक भी भविष्य के नतीजे बदलने को मौके पर चौका मार सकते हैं।
वैसे प्रीतम पंवार के बाद राजकुमार को अपने पाले में कर बीजेपी सख्त मैसेज अपने पार्टी के भीतर बागी सुर का पूर्वाभ्यास करते दिख रहे काऊ और हरक सिंह रावत जैसे नेताओं को भी देना चाह रही है। पार्टी नई सेंधमारी से पुराने कांग्रेसी गोत्र के नेताओं को लक्ष्मण रेखा न लांघने का मैसेज तो दे ही रही है और अगर कल को चुनाव से एक दो माह पहले टूट होती भी है तो उसका डैमेज कंट्रोल अभी से तैयार करने में जुट गई है। सवाल है कि आपसी ज़ुबानी जंग में उलझे दिखते हरदा-गणेश और प्रीतम बीजेपी के ऑपरेशन लोटस से बाखबर हैं या फिर 18 मार्च 2016 की बागी पिक्चर पार्ट-2 देखने के बाद सँभलने का इरादा है!