देहरादून: मोदी-शाह दौर में बीजेपी की चुनावी जीत का बड़ा दारोमदार बूथ मैनेजमेंट पर रहता है। 2014 से लेकर आज तक बीजेपी हर चुनाव में नारा देती रही है कि ‘बूथ जीता चुनाव जीता’ और बूथ मजबूत करने का दारोमदार पार्टी के पन्ना प्रमुखों पर रहता है। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते अमित शाह ने पन्ना प्रमुखों के अपने चक्रव्यूह से कई चुनावी बिसात फतह की। अब चुनाव दर चुनाव शिकस्त खाकर कांग्रेस भी बूथ मैनेजमेंट को सशक्त करना चाह रही है।
ऋषिकेश में तीन दिवसीय मंथन में कांग्रेस ने 2022 की चुनावी जंग बीजेपी को बूथ पर कड़ी टक्कर देने की रणनीति बनी है। कांग्रेस भाजपा के पन्ना प्रमुखों की मजबूत चुनावी मशीनरी की काट में बूथ सारथी, बूथ योद्धा और बूथ मित्र उतारने जा रही है। कांग्रेस की ये तिकड़ी वोटर्स को कांग्रेस के पक्ष में बूथ तक खींचकर लाने का काम करेगी।
ऋषिकेश चिंतन मंथन शिविर में बनी रणनीति के तहत कांग्रेस आने वाले दिनों में देहरादून प्रदेश मुख्यालय से लेकर जिलों और ब्लाक लेवल पर धामी सरकार के खिलाफ जमीन पर संघर्ष छेड़ने की व्यूह रचना बना रही है। इसके लिए जहां परिवर्तन यात्रा निकाली जाएगी, वहीं नेताओं के दौरों के ज़रिए सरकार के खिलाफ हल्लाबोल किया जाएगा।
दरअसल 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की प्रचंड जीत के पीछे पन्ना प्रमुखों की मेहनत का खास योगदान रहा था। लिहाजा 2022 बैटल को लेकर कांग्रेस बूथ के मोर्चे पर बीजेपी से पिछड़ना नहीं चाहती है बल्कि पन्ना प्रमुखों की टक्कर में बूथ सारथी, बूथ कप्तान, बूथ योद्धा, बूथ सेना और बूथ मित्र उतारने जा रही है।
जाहिर है कांग्रेस बूथ के मोर्चे पर अब और कमजोर नहीं रहना चाहती है। इसीलिए पन्ना प्रमुखों की टक्कर में अपने कार्यकर्ताओं की फ़ौज बूथ पर उतारने जा रही है लेकिन बीजेपी ने कड़ी मेहनत से बूथ काडर तैयार किया है उसकी टक्कर में देखादेखी नहीं बल्कि कांग्रेस को कठिन साधना करनी होगी तभी बाइस में वह इक्कीस होने का सपना देख सकती है।