भगतदा, गवर्नर पद की गरिमा अब और न गिराइए! लौट आइए पहाड़ पॉलिटिक्स में ‘शिष्य’ को मार्गदर्शन की दरकार भी है

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  • महाराष्ट्र में आज शिवाजी महाराज के अपमान पर महा विकास अघाड़ी का प्रोटेस्ट मार्च
  • गृहमंत्री अमित शाह को चिट्ठी लिख मार्गदर्शन मांगने को भी भगत दा के आलोचक गवर्नर हाउस की साख को बट्टा लगाना बता रहे
  • सवाल 2019 में महाराष्ट्र के राज्यपाल बनने के बाद से लगातार विवादों में घिरते रहे कोश्यारी राजभवन में अब कितने दिन और?
  • “खिचड़ी वाले बाबा” राजभवन से उत्तराखंड लौटे तो सियासी शिष्य सीएम धामी को मिलता रहेगा “फुलटाइम” मार्गदर्शन!

Maharashtra Politics and controversies of Governor Bhagat Singh Koshyari: शिवाजी महाराज को अतीत का आइकन बताकर नया बवाल खड़ा कर चुके महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के खिलाफ महा विकास अघाड़ी यानी शिवसेना (उद्धव गुट), एनसीपी और कांग्रेस ने शनिवार को प्रदेशव्यापी विरोध प्रदर्शन हल्लाबोल मोर्चा निकाला।

दरअसल, विपक्षी धड़ा MVA ही नहीं बल्कि गवर्नर कोश्यारी के बड़बोलेपन से सत्ताधारी शिवसेना (शिंदे गुट) और खुद बीजेपी तक पसीना पसीना हो रहे हैं। खुद शिवाजी महाराज के वंशज और बीजेपी सांसद उदयराज भोंसले ने हिन्दू नायक के अपमान पर राज्यपाल कोश्यारी को दंडित करने की मांग के साथ उनके खिलाफ मोर्चा खोल रखा है और वे अब तक राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री से लेकर गृह मंत्री को चिट्ठी लिख एक्शन की मांग कर चुके हैं। सीएम एकनाथ शिंदे गुट के विधायक संजय गायकवाड़ ने भी कहा है कि राज्यपाल कोश्यारी को कुर्सी छोड़ देनी चाहिए।

उल्टे पिछले दिनों राज्यपाल होकर कोश्यारी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को चिट्ठी लिखकर पूरे विवाद पर उनकी सलाह मांग डाली कि वे बताएं उन्हें अब क्या करना चाहिए। जाहिर है भारत के राष्ट्रपति द्वारा राजभवन में बिठाए गए राज्यपाल का इस तरह गृह मंत्री के दरवाजे खड़ा हो मार्गदर्शन मांगना उनके आलोचकों को हमलावर होने का नया मौका थमा गया। विपक्ष भगतदा और बीजेपी से पूछ रहा कि क्या तमाम राज्यों में बैठे राज्यपाल ऐसे ही गृहमंत्री अमित शाह से सलाह लेकर चल रहे हैं क्या? जाहिर है भगत सिंह कोश्यारी के इस तरह के आचरण ने राज्यपाल जैसे संवैधानिक पद की गरिमा को गहरी चोट पहुंचा दी है।

दरअसल 2019 में महाराष्ट्र जैसे राजनीतिक लिहाज से बेहद सेंसिटिव और बड़े राज्य के राज्यपाल बनने के बाद से भगतदा के विवादित बोल शुरू हो गए थे और उन पर फिर ब्रेक नहीं लग पाया। कोश्यारी के बयानों पर विपक्ष भड़का tilo इसकी राजनीतिक कीमत बीजेपी को ही सबसे अधिक चुकानी पड़ी है और गरिमा गवर्नर हाउस की बार-बार तार-तार होती गई।

महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी पर अकेले शिवाजी महाराज के अपमान का आरोप ही नहीं है। भगतदा ने 19 नवंबर को औरंगाबाद में एक यूनिवर्सिटी कार्यक्रम में शिवाजी महाराज को पुराने दिनों का आइकन और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को नए जमाने का आइकन करार दिया था। अब यह देश का बच्चा बच्चा जानता है कि शिवाजी महाराज सिर्फ महाराष्ट्र या मराठा अस्मिता के प्रतीक नहीं बल्कि वे समस्त देश के नायक हैं लेकिन भगतदा ऐसी महान शख्सियत को लेकर भी अपने बड़बोलेपन के चलते कॉन्ट्रोवर्सी में फंस गए, जो अब उनके और बीजेपी के लिए जी का जंजाल बनी हुई है।

इससे पहले गवर्नर कोश्यारी ने सामाजिक सुधार के नायक ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई फुले की शादी और उम्र को लेकर हंसी मजाक के लहजे में अशोभनीय टिप्पणी कर अपनी फजीहत कराई थी। तब भगत दा ने कहा था कि सावित्रीबाई की शादी 10 साल की उम्र में कर दी गई थी, तब उनके पति ज्योतिराव की उम्र 13 साल थी। अब सोचिए शादी के बाद लड़का लड़की क्या कर रहे होंगे? वे क्या सोच रहे होंगे? आप खुद देखिए राज्यपाल होकर किस हंसी ठट्ठे वाले अंदाज में इन सामाजिक सुधार के नायकों का मजाक उड़ा रहे थे।

इसी तरह कोश्यारी ने राज्यपाल होकर एक बार कह दिया कि अगर मुंबई और ठाणे शहर से गुजराती और राजस्थानी लोगों को निकाल दिया जाए तो फिर यहां में कुछ नहीं बचेगा। और मुंबई से देश की आर्थिक राजधानी होने का तमगा भी छिन जाएगा।

यह राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ही थे जिन्होंने कोरोना की सेकेंड वेव के दौरान जब महाराष्ट्र समेत पूरे देश में लॉकडाउन लगा था और केंद्र ने लोगों को कुछ रियायतें देने का अधिकार दे दिया था,तब राज्यपाल कोश्यारी ने मंदिर खोलने की मुहिम में कूद तत्कालीन उद्धव ठाकरे सरकार को चिट्ठी लिख डाली थी। इस पर भी खूब बवाल मचा था और कोश्यारी की खूब किरकिरी हुई थी।
सबसे ज्यादा किरकिरी और छीछालेदर तो राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की तब हुई थी जब उन्होंने तड़के 3 बजे देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री और अजीत पवार को उप मुख्यमंत्री की शपथ दिला दी थी। कोश्यारी का यह कांड कांग्रेस राज से वाजपेई और अब मोदी राज में राज्यपालों द्वारा किए गए गरिमा गिराने वाले कृत्यों में हमेशा शुमार किया जाता रहेगा।

हुआ यूं कि 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बहुमत किसी दल को नहीं मिला और बीजेपी सिंगल लार्जेस्ट पार्टी बनकर उभरी। लेकिन तब सहयोगी शिवसेना ने चुनाव पूर्व गृहमंत्री अमित शाह द्वारा किए किसी वादे का हवाला देकर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर दावा ठोक दिया। इसी संकट महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लग गया। उधर मराठा क्षत्रप एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार ने हालात भांपकर कांग्रेस के साथ मिल शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे को सीएम कुर्सी ऑफर कर दी। इसके काउंटर में बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस ने शरद पवार के भतीजे अजीत पवार को साथ लेकर राजभवन में सरकार बनाने का दावा ठोक दिया। इसके बाद क्या था राज्यपाल कोश्यारी भी सक्रिय हो गए और देर रात राष्ट्रपति शासन हटाने की सिफारिश कर डाली।

इधर राष्ट्रपति शासन हटा और उधर तड़के 3 बजे ही राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने फडणवीस को सीएम और पवार को डिप्टी सीएम की शपथ दिला दी। लेकिन चाचा भतीजा के खेल में बीजेपी उलझ गई और फडणवीस बहुमत साबित नहीं कर पाए। लेकिन इस पूरे एपिसोड में राजभवन और राज्यपाल कोश्यारी की खूब किरकिरी हो गई।

photo: The Indian Express

जाहिर है अपना सारा जीवन आरएसएस के लिए खपा देने वाले “खिचड़ी वाले बाबा” राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी भी बखूबी जान चुके हैं कि महाराष्ट्र राजभवन के साथ लगते समुद्र में उठती लहरें उनके बड़बोले बयानों के चलते ज्वार भांटा का रूप अख्तियार कर चुकी हैं और अब विदाई के दिन गिनने का वक्त हो चला है। लेकिन इसी बीच राज्यपाल होकर छह दिसंबर को केंद्रीय गृह मंत्री को दो पेज की जो सलाह मशविरा और मार्गदर्शन को लेकर लिखी उनकी वायरल चिट्ठी उनसे जुड़े विवादों के समंदर में एक और हिलोर मचा गई है। शायद कोश्यारी जैसे किरकिरी कराने वाले राज्यपालों के कारनामों के बाद ही अक्सर यह बहस भी जोर पकड़ती है कि आखिर राजभवन क्या महज केंद्र की सत्ता पर काबिज दल के नेताओं की ऐशगाह भर के लिए होते हैं!

वैसे पहाड़ पॉलिटिक्स के इन खिचड़ी वाले बाबा की असल दरकार तो उत्तराखंड की धामी सरकार को ठहरी! अभी कभी कभार दिल्ली स्थित महाराष्ट्र सदन बुलाकर ही भगत दा अपने राजनीतिक शिष्य सीएम पुष्कर सिंह धामी को सियासी ट्यूशन दे पाते हैं, जब परमानेंट डेरा यहीं डाल लेंगे तो निरंतर मुख्यमंत्री को मार्गदर्शन मिला करेगा जिससे विकास को रफतार भी तेज हो सकेगी और 2025 तक उत्तराखंड को सर्वश्रेष्ठ राज्य बनाने का लक्ष्य हासिल करना और भी आसान हो जाएगा!

बहरहाल यहां पढ़िए हुबहू महाराष्ट्र राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी द्वारा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को लिखा पत्र

आदरणीय श्री अमित भाई जी,

सादर प्रणाम। जैसा कि आप जानते हैं इन दिनों महाराष्ट्र में एक विश्वविद्यालय में दिए मेरे भाषण के एक छोटे अंश को संपूर्ण संदर्भ से अलग कर कुछ लोगों द्वारा राज्यपाल की आलोचना का विषय बना दिया गया है। युवा पीढ़ी के सामने अपने आदर्श व्यक्तियों के उदाहरण हों तो वे उनसे प्रेरणा लेते हैं। मैंने छात्रों को बताया कि जब हम पढ़ते थे तो कुछ विद्यार्थी महात्मा गांधी जी, तो कुछ पंडित नेहरू जी, तो कुछ सुभाष चंद्र बोस आदि को अपना आदर्श मानकर उत्तर देते थे। स्वाभाविक है कि युवा वर्तमान पीढ़ी के कर्तव्यशील व्यक्तियों का भी उदाहरण चाहता है।

महाराष्ट्र के संदर्भ में बात करते हुए मैंने कहा कि आज के संदर्भ में डॉक्टर भीमराव अंबेडकर से लेकर नितिन गडकरी तक अच्छे उदाहरण हो सकते हैं। इसका अर्थ तो यही था कि छात्र डॉ एपीजे अब्दुल कलाम, होमी जहांगीर भाभा आदि अनेक कर्तव्यशील व्यक्तियों को आदर्श के रूप में ले सकते हैं। आज यदि कोई युवा इन व्यक्तियों का, या विशेषकर आज विश्व में भारत का नाम ऊंचा कर रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को आदर्श मानता है, तो इसका अर्थ पूर्व के महापुरुषों का अपमान करना तो नहीं होता। यह कोई तुलना का विषय भी नहीं था।

जहां तक छत्रपति शिवाजी महाराज का प्रश्न है, वह न केवल महाराष्ट्र के अपितु पूरे देश के गौरव हैं। मैंने इस उम्र में भी, वह भी जब कोविड -19 काल में बहुत से बड़े बड़े लोग अपने घर से बाहर नहीं निकलते थे, शिवनेरी, सिंहगढ़, रायगढ़ व प्रतापगढ़ जैसे पवित्र स्थलों का पैदल चलकर दर्शन लाभ किया। मैं शिवाजी महाराज जैसे वंदनीय पुत्र को जन्म देने वाली माता जिजाऊ के जन्मस्थान सिंदखेड राजा का दर्शन करने वाला संभवत: 30 वर्ष से अधिक समय में पहला राज्यपाल हूं। वह भी हवाई मार्ग से नहीं मोटर मार्ग से चलकर। वस्तुत: मेरे कहने का तो यही मतलब था कि शिवाजी महाराज हमेशा के लिए प्रेरणास्रोत हैं।

आदरणीय अमित भाईजी आप यह जानते हैं 2016 में, जब आप हल्द्वानी में थे, 2019 के चुनाव ना लड़ने, तथा राजनीतिक पदों से दूर रहने का सार्वजनिक रूप से अपना मंतव्य प्रकट किया था। किंतु माननीय जी व आपके मेरे जैसे छोटे कार्यकर्ता पर स्नेह व विश्वास के कारण मैंने महाराष्ट्र जैसे महान राज्य का राज्यपाल पद स्वीकारा है।

आप जानते हैं कि यदि मेरे से अनायास कहीं भूल होती है तो मैं तत्काल खेद प्रकट करने या क्षमा याचना करने से संकोच नहीं करता। मुगल काल में साहस त्याग व बलिदान का उदाहरण प्रस्तुत करने वाले महाराणा प्रताप, श्री गुरु गोविंद सिंह व छत्रपति शिवाजी महाराज जैसे विभूतियों का अपमान करने की तो स्वप्न में भी कल्पना नहीं की जा सकती।

मेरा आपसे अनुरोध है वर्तमान संदर्भ में उचित मार्गदर्शन करने का कष्ट करें। सादर

भगत सिंह कोश्यारी, राज्यपाल


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