समिति की मुख्य माँगें
- जन समीक्षा के बाद ही बने मूल निवास और मजबूत भू-कानून
- इन्वेस्टमेंट के नाम पर दी गई जमीनों की रिपोर्ट सार्वजनिक करे सरकार
- मलिन बस्तियों को जमीन का न मिले मालिकाना हक
- उद्योगों के लाभांश में जमीन मालिक की भी हो बराबर की हिस्सेदारी,लीज पर ही दी जाए जमीन
Dehradun News: मंगलवार को देहरादून में मूल निवास, भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने पत्रकार वार्ता कर राज्य सरकार समक्ष अपनी तमाम माँगें रखीं। मूल निवास, भू- कानून समन्वय संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने कहा कि मूल निवास और भूमि कानून जनता की भावनाओं के अनुरूप होना चाहिए। उन्होंने कहा कि विधानसभा में कानून पारित होने से पूर्व इसके ड्रॉफ्ट के स्वरूप को लेकर सर्वदलीय और संघर्ष समिति के पदाधिकारियों के साथ सरकार को चर्चा करनी चाहिए। आम सहमति के बाद ही विधानसभा में मूल निवास और भू-कानून बनने चाहिए।
देहरादून प्रेस क्लब में पत्रकारों से वार्ता करते हुए संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने कहा कि वर्ष 2022 में भू-कानून को लेकर पूर्व मुख्य सचिव सुभाष कुमार की अध्यक्षता में गठित कमेटी की रिपोर्ट सार्वजनिक होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि उद्योगों के नाम पर दी गई जमीनों का ब्यौरा भी सार्वजनिक होना चाहिए।
मोहित डिमरी ने कहा कि स्थिति यह है कि जिस प्रयोजन के लिए जमीन दी जा रही है, वहां उस प्रयोजन के बजाय प्रॉपर्टी डीलिंग का काम चल रहा है। ऐसे बहुत सारे मामले सामने आ रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि उत्तराखंड में जितने भी इन्वेस्टमेंट समिट हो रहे हैं, वह सब जमीनों की लूट के सम्मेलन थे।लिहाज़ा इस लूट की जांच होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में अब तक का सबसे बड़ा घोटाला जमीनों का है। संघर्ष समिति संयोजक ने कहा,”जमीनों की लूट में शामिल और भू-कानून को कमजोर करने वाले मुख्यमंत्री, पूर्व मुख्यमंत्री, मंत्री, विधायक, नौकरशाह और इनके करीबियों की गहन जांच भी होनी चाहिए।”
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में 30 साल से रह रहे व्यक्ति को ही घर बनाने के लिए 200 वर्ग मीटर तक जमीन मिलनी चाहिए। इसके साथ ही मलिन बस्तियों को जमीन का मालिकाना हक नहीं मिलना चाहिए। किसी भी तरह के उद्योग में जमीन के मालिक की बराबर की हिस्सेदारी होनी चाहिए और उद्योगों के लिए जमीन को दस साल की लीज पर ही दी जाय।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में कृषि भूमि की खरीद पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगना चाहिए और शहरी क्षेत्रों में निकायों का विस्तार भी रुकना चाहिए।
संघर्ष समिति संयोजक मोहित डिमरी ने भू कानून आंदोलन की रणनीति को लेकर कहा कि केदारनाथ में जल्द स्वाभिमान महारैली आयोजित की जाएगी। इसके बाद हरिद्वार, पिथौरागढ़, रामनगर, पौड़ी, विकासनगर सहित अन्य हिस्सों में स्वाभिमान महारैलियाँ आयोजित की जायेंगी। यह आंदोलन निरंतर चलता रहेगा।
इस मौके पर संघर्ष समिति के सह संयोजक लुशुन टोडरिया, सचिव प्रांजल नौडियाल, संरक्षक मोहन सिंह रावत, कोर मेंबर विपिन नेगी, मनीष गोनियाल आदि मौजूद थे।
ज़ाहिर है केदारनाथ सीट पर उपचुनाव होना है और पहले ही लोकसभा चुनाव में बीजेपी यूपी की फ़ैज़ाबाद ( अयोध्या) सीट हारने बाद उत्तराखण्ड में बद्रीनाथ उपचुनाव हार चुकी है और अब केदारनाथ उपचुनाव उत्तराखण्ड बीजेपी के लिए ‘करो या मरो’ वाला चुनाव बन चुका है। इसीलिए उपचुनाव की तारीख़ों के ऐलान से पहले ही सत्ताधारी दल ने पाँच-पाँच मंत्रियों की ड्यूटी मण्डल स्तर पर लगा दी है।
यानी पार्टी जानती है कि केदारनाथ में जीत के लिए उसे चुनौती का बड़ा पहाड़ पार करना होगा। उसके ऊपर सशक्त भू-कानून को लेकर बीते रविवार को जिस तरह से ऋषिकेश में भारी भीड़ जुटी उसने बीजेपी को पसीना पसीना कर डाला है और अब केदारनाथ में ऐसी ही स्वाभिमान महारैली का ऐलान! वह भी तब जब अपनी तरफ़ से इस मुद्दे की हवा निकालने के लिए धामी सरकार अगले बजट सत्र में सशक्त भू कानून बनाने का ऐलान कर चुकी है।