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कोरोना जंग हारे चौ० अजित सिंह, विरासत में पाई सियासत का उनका सफर ऐसा रहा

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दिल्ली: कोरोना से जंग लड़ रहे पूर्व केन्द्रीय मंत्री चौधरी अजित सिंह का 82 साल की उम्र में हुआ निधन. 20 अप्रैल से कोरोना से संक्रमित चौधरी साहब को तबियत बिगड़ने के बाद मंगलवार को गुरुग्राम के आर्टिमिस हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था, जहां गुरुवार सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली. बताया गया कि उनके फेफड़ों में संक्रमण फैलने से उन्हें निमोनिया भी हो गया था. उनके निधन की जानकारी उनके पुत्र जयंत चौधरी ने सोशल मीडिया पर साझा की.


चौधरी अजित सिंह तो सियासत अपने पिता पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह से विरासत में मिली थी. चौधरी अजित सिंह सात बार बागपत से लोकसभा चुनाव जीतकर संसद पहुँचे और आखिरी बार यूपीए-2 में केन्द्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री बने. चौधरी अजित सिंह की गिनती देश के बड़े किसान नेताओं में की जाती थी और पश्चिमी यूपी के जाट समुदाय में उनकी मजबूत पकड़ थी. उनके निधन से पश्चिमी यूपी में शोक की लहर दौड़ गई है. चुनावी राजनीति में भले चौधरी अजित सिंह को मोदी लहर में 2014 और 2019 में नाकामी हाथ लगी लेकिन पश्चिमी यूपी की राजनीति के केन्द्र में व हमेशा बने रहे.

सात बार सांसद रहे चौधरी अजित सिंह का जन्म 12 फरवरी 1939 को मेरठ जिले में हुआ था. उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय और आईआईटी खड़गपुर से पढ़ाई की. चौधरी चरण सिंह के लाड़ले चौधरी अजित सिंह डेढ़ दशक से ज्यादा समय तक यूएस में नौकरी कर स्वदेश लौटे तो चौधरी साब की लोकदल पार्टी को एक्टिव करने में जुट गए. 1986 में चौधरी अजित सिंह राज्यसभा के रास्ते संसद पहुँचते हैं. फिर लोकसभा में सात बार चुनाव जीतकर पहुँचे. वीपी सिंह सरकार में चौधरी अजित सिंह उद्योग मंत्री बने और नरसिम्हा राव सरकार में भी खाद्य मंत्री रहे.
1987-1988 तक वे लोकदल (ए) और जनता पार्टी के अध्यक्ष रहे. 1989 में उन्होंने अपनी पार्टी का जनता दल में विलय कर लिया और महासचिव बन गए.
1991 में बागपत से संसद पहुँचे.
1996 में कांग्रेस के टिकट पर संसद पहुँचे लेकिन जल्दी ही वे कांग्रेस छोड़कर 1997 में राष्ट्रीय लोकदल बनाते हैं और लोकसभा जीतकर संसद पहुँचते हैं. 1998 का चुनाव चौधरी अजित सिंह हार जाते हैं और 1999 में फिर लोकसभा पहुँचते हैं.
2001-2003 तक चौधरी अजित सिंह वाजपेयी सरकार में मंत्री बनते हैं. 2011 में वे यूपीए -2 का हिस्सा बनते हैं और मनमोहन सरकार में नागरिक उड्डयन मंत्रालय संभालते हैं. लेकिन 2014 में बागपत और 2019 में मुज़फ़्फ़रनगर से लोकसभा चुनाव हार जाते हैं. ये उनके राजनीतिक जीवन का सबसे कठिन दौर रहा लेकिन किसान आंदोलन के चलते अब एक बार फिर पश्चिमी में उनकी पार्टी आरएलडी खड़ी होने लगी है और पंचायत चुनाव में पश्चिमी यूपी में उसका प्रदर्शन अच्छा रहा है.

चौधरी अजित सिंह के निधन पर प्रधानमंत्री मोदी, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, राहुल गांधी और पूर्व यूपी सीएम अखिलेश यादव ने शोक जताते हुए उनको श्रद्धांजलि दी है.

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