देहरादून: याद कीजिये कोरोना की पहली और दूसरी लहर के कहर के बीच बिहार से लेकर बंगाल तक राजनीतिक रैलियों में भीड़ की कैसी रेलमपेल नज़र आती रही। उत्तराखंड में बीजेपी द्वारा दो बार मुख्यमंत्री बदलने से लेकर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के सियासी जलसों में जमकर भीड़ जुट रही है। साफ पता चलता है कोरोना कर्फ़्यू को लेकर आम आदमी के लिए मानक अलग और राजनीतिक पार्टियों के लिए अलग! उत्तराखंड में धामी सरकार ने कहने को कोविड कर्फ़्यू की मियाद 24 अगस्त तक बढ़ा दी है लेकिन राजनैतिक दलों को बड़े-बड़े कार्यक्रम आयोजित करने और उनमें कोरोना के प्रोटोकॉल का मखौल उड़ाने की खुली छूट मिल रही है।
बात आम आदमी की आएगी तो शादी-ब्याह जैसे आयोजनों से लेकर तमाम पाबंदियां झेलने का ज़िम्मा जनता के कंधों पर बना हुआ है। 2022 की चुनावी जंग में सत्ता बचाने को बेचैन बीजेपी के न केवल दफ्तर में आए दिन किसी न किसी मीटिंग या आयोजन के बहाने भीड़ जुट रही तो वहीं जन आशीर्वाद यात्रा जैसे कार्यक्रमों/स्वागत आयोजनों में खूब भीड़ जुट रही और कोरोना मानकों का मखौल उड़ रहा।
जबकि मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस भी राजनीतिक जलसों/ रोड शो मेॉ भीड़भाड़ जुटा रही। हाल में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनकर पहली बार प्रदेश लौटे गणेश गोदियाल और कैंपेन कमेटी चीफ हरीश रावत ने जौलीग्रांट एटरपोर्ट से लेकर राजीव भवन(पार्टी दफ़्तर) तत्व खूब जमघट जुटाया। उधर मंगलवार को दिल्ली सीएम और AAP संयोजक अरविंद केजरीवाल के रोड शो में भी ख़ूबसूरत भीड़ जुटी। जाहिर है चाहने सत्तापक्ष हो या विपक्ष जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव क़रीब आ रहे शक्ति-प्रदर्शन के मौके तलाश कर भीड़ जुटा रहे और इस दौरान कोरोना नियमों को तिलांजलि दे दी जा रही लेकिन प्रशासन राजनीतिक आयोजनो पर मौन बने रहता है।
जबकि इसी कोविड कर्फ़्यू के मानकों का कड़ाई से पालन कराने को लेकर दूसरे पक्ष पर भी गौर करिए। शादी-ब्याह जैसे आयोजनों में 50 से अधिक मेहमान नहीं बुलाए जा सकते हैं और जो लोग ऐसे पारिवारिक आयोजनों में शामिल होंगे उनके पास अधिकतम 72 घंटे पहले तक की RT-PCR निगेटिव रिपोर्ट होनी चाहिए। इसके अलावा भी आम आदमी पर कई तरह की पाबंदियां क़ायम है। लेकिन राजनीतिक आयोजनों में बेहिसाब भीड़ जुटाने की, मास्क और दो गज दूरी जैसे कोविड नियमों का मखौल उड़ाने की खुली छूट है।