देहरादून: वैसे तो 2017 में दिवंगत अरुण जेटली बीजेपी के जिस विजन डॉक्यूमेंट को देहरादून जारी करने आए थे उसमें सत्ता मिलते ही तमाम खाली पड़े करीब 36 हजार सरकारी पद पहले साल ही भर देने का दावा किया गया था। खैर, घोषणा पत्र की बातें तो चुनाव जीतने भर के लिए होती हैं, वरना सौ दिन में लोकायुक्त आ चुका होता! लोकायुक्त छोड़िए लौटते हैं सरकारी नौकरी के लॉलीपॉप पर ही।
त्रिवेंद्र राज में सरकारी नौकरी की बात इसलिये भी बैकसीट पर रही क्योंकि वो दौर रहा सवा लाख करोड़ निवेश के सपनों को बुनने का। जब तक त्रिवेंद्र सिंह रावत रहे चार साल सरकार और बीजेपी यही यकीन दिलाती रही कि यहाँ 40 हजार करोड़ की ग्राउंडिंग हो गई है, वहां 7 लाख रोज़गार पैदा हो गए हैं। 9 मार्च को त्रिवेंद्र गए तो उनकी जीरो टॉलरेंस और सवा लाख करोड़ के एमओयू और सात लाख नौकरियों का दावा भी धराशायी हो गया।
115 दिन मुख्यमंत्री रहे तीरथ सिंह रावत पर न वे खुद न जनता जान पाई कि उनको सीएम बनाया क्यों गया और हटाया क्यों गया। लेकिन अपनी संक्षिप्त पारी में मुख्यमंत्री रहते तीरथ सिंह रावत भले एक स्टाफ नर्सिंग भर्ती परीक्षा न करा पाएँ हों। लेकिन मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने से एक घंटा पहले ये बताने से नहीं चूके कि 22-24 हज़ार सरकारी पदों पर भर्ती की पूरी तैयारी वे करके जा रहे हैं।
अब 4 जुलाई से शपथ लेते ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी उन्हीं 22-24 हजार सरकारी पदों पर भर्ती कराने का दावा कर रहे, बकौल तीरथ जिनकी पूरी पटकथा वे लिखकर गए हैं। सीएम धामी तैयारी में हैं कि इसी महीने 8 हजार पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू करा दी जाए और इसी तरह चुनाव आचार संहिता लगने से पहले तमाम 22-24 हज़ार पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू हो जाए।
अब ये अलग बात है कि राज्य में PCS की आख़िरी परीक्षा 2016 में यानी पाँच साल पहले हुई थी। फ़ॉरेस्ट गार्ड की भर्ती का ऐलान हरीश रावत सरकार में हुआ, भर्ती निकली त्रिवेंद्र सरकार में और तीरथ सरकार भी जा चुकी, तीसरी धामी सरकार आ चुकी है लेकिन फ़ॉरेस्ट गार्ड भर्ती प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई है। राज्य के भर्ती आयोगों के पास आधा दर्जन भर्तियां लटकी हैं लेकिन चलिए चुनावी सीज़न में कम से कम भर्तियों की विज्ञप्ति तो दिखने लगी वरना साढ़े चार साल युवा नौकरी छोड़िए विज्ञप्ति देखने को तरस गए थे।