यह भोलापन है या शातिरपना? युवा पत्रकार किशोर की गिरफ़्तारी के बाद सवालों के घेरे में पिथौरागढ़ पुलिस

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दृष्टिकोण( इंद्रेश मैखुरी): पिथौरागढ़ में युवा पत्रकार किशोर ह्यूमन को पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया है। पिथौरागढ़ पुलिस ने किशोर पर सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने का आरोप लगाया है। पुलिस का आरोप है कि जनज्वार पर प्रसारित वीडियो में लोगों की बाइट लेने के दौरान किशोर द्वारा बार-बार जाति पूछी जा रही थी और सवर्णों द्वारा अनुसूचित जाति के लोगों की हत्या करने की बात कही जा रही थी। अपने आरोपों के पक्ष में पुलिस ने 18 फरवरी और 21 फरवरी को प्रसारित वीडियो का संदर्भ दिया है।

21 फरवरी के जिस वीडियो का संदर्भ पुलिस दे रही है, उसमें किशोर एक ऐसे पिता से बात कर रहे हैं, जिनका आरोप है कि उनकी बेटी के साथ बलात्कार हुआ और प्रशासन इस मामले में कोई कार्यवाही नहीं कर रहा है। बलात्कार पीड़ित बताए जाने वाली लड़की दलित है और बलात्कार का आरोपी सवर्ण हैं, यह वीडियो में चल रही बातचीत से समझ में आता है। लेकिन इस वीडियो में किशोर कहीं पर भी जाति पूछते नहीं दिखते। वीडियो के अंत में जरूर वे लड़की के पिता के संदर्भ में कहते हैं कि ये अनुसूचित जाति से आते हैं। पिथौरागढ़ के विद्वान पुलिस अधीक्षक और किशोर को गिरफ्तार करने वाले जाँबाज पुलिस कर्मियों को क्या इतनी सी बात से ही सामाजिक सौहार्द पर खतरा मंडराता हुआ नजर आने लगा होगा ?

दूसरा वीडियो जिसके आधार पर किशोर को गिरफ्तार किया गया है, वह 18 फरवरी का है। इसमें विधानसभा चुनाव से पहले दिन यानि 13 फरवरी को डीडीहाट में हुई रामी राम की हत्या पर चर्चा है। इसमें चर्चा की शुरुआत करते वे कहते हैं कि इसमें अनुसूचित जाति के व्यक्ति की सवर्णों के द्वारा हत्या कर दी गयी थी। उसमें जिस व्यक्ति का किशोर बाइट ले रहे हैं, वह कह रहा है कि हम कम हैं और उनका बड़ा ग्रुप है। इस पर किशोर पूछ रहे हैं कि आप किनकी बात कर रहे हैं, जवाब में वह व्यक्ति कह रहा है कि ठाकुर लोग होते हैं, ये लोग हम लोगों को पसंद नहीं करते हैं।

इस विवरण में या वीडियो में कहीं पर भी किशोर बार-बार जाति पूछते नहीं दिख रहे हैं, जैसा कि पिथौरागढ़ पुलिस का आरोप है। जहां तक सवर्णों द्वारा अनुसूचित जाति के व्यक्ति की हत्या की बात कहने का आरोप है तो क्या यह तथ्य नहीं है ?

जहां तक सवर्णों द्वारा अनुसूचित जाति के व्यक्ति की हत्या की बात कहने का आरोप है तो क्या यह तथ्य नहीं है ?

क्या पिथौरागढ़ की पुलिस यह समझती है कि रामी राम की हत्या के बावजूद सामाजिक सौहार्द अपने चरम पर था, जो किशोर द्वारा इस मामले में मृतक और हत्यारोपी की जाति के उल्लेख मात्र से भरभरा गया ? क्या पिथौरागढ़ पुलिस को यह लगता है कि समाज में जाति, जातीय भेदभाव, जातीय घृणा और जाति के नाम पर हिंसा अस्तित्व में ही नहीं थी और किशोर ह्यूमन के उल्लेख मात्र से यह पैदा हो गयी ? अगर पिथौरागढ़ पुलिस और उसके पुलिस अधीक्षक की ऐसी धारणा थी तो माफ कीजिएगा एसपी साहेब या तो यह बेहद भोलापन है या चरम शातिरपना ! क्या है, इसका चयन आप स्वयं कर लें !
ऐसा नहीं कि किशोर की रिपोर्टिंग में कमजोरी नहीं है, बल्कि उसमें दुरुस्त किए जाने की संभावना है, जनज्वार को उसको इस दिशा में गाइड भी करना चाहिए, रिपोर्ट्स को एडिट करके दुरुस्त भी करना चाहिए। लेकिन उसकी पत्रकारिता में ऐसा कुछ भी नहीं, जो अपराध जैसा हो और जिसके लिए उसे जेल भेजा जाये।


किशोर ह्यूमन को तत्काल रिहा किया जाना चाहिए और उनके विरुद्ध दर्ज अनर्गल मुकदमे रद्द किए जाने चाहिए।

साभार एफबी
लेखक एक्टिविस्ट और सीपीआई (एमएल) के गढ़वाल सचिव हैं। विचार निजी हैं।


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