हरिद्वार: चुनावी दौर में गुटबाजी और भितरघात की सबसे ज्यादा चर्चा कांग्रेसी गलियारे में सुनी जाती रही लेकिन इस बार भाजपा में भितरघात को लेकर छिड़ा बवाल थमता नहीं दिख रहा है। अब 2009 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के हरिद्वार से प्रत्याशी रहे महामंडलेश्वर स्वामी यतींद्रानंद गिरि महाराज द्वारा भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को पत्र लिखने से बवंडर खड़ा हो गया है। स्वामी यतींद्रानंद गिरि ने नड्डा को लिखे पत्र में आरोप लगाया है कि भाजपा संगठन में ज़िम्मेदार पदों पर बैठे नेता ही अपना चुनाव जीतने और दूसरे पार्टी नेताओं को हरवाने का खेल खेलते दिखे। जाहिर है यह बेहद संगीन आरोप है और हरिद्वार की राजनीति के जानकारों में इसे अप्रत्यक्ष रूप से स्वामी यतींद्रानंद का भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक पर निशाना समझा जा रहा है।
स्वामी ने नड्डा को लिखे पत्र में कहा है कि चुनाव प्रबंधन लायक कोई ज़िम्मेदार नेता नहीं दिखाई दिया बल्कि प्रदेश संगठन की जिनके पास महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी थी वे अपना चुनाव लड़ने और दूसरी सीटों पर पार्टी प्रत्याशियों को हराते साफ तौर पर दिखाई दिए। कई सीटों पर बागी लड़ाकर पार्टी को नुकसान पहुँचाने की कोशिशें हुई। स्वामी ने कहा कि 2009 में वे खुद इस तरह की भितरघात और गुटबाजी देख चुके लेकिन तब भी ऐसे नेताओं पर कोई एक्शन नहीं लिया गया और ऐसे नेता आज भी शीर्ष पदों पर बैठकर भितरघात को अंजाम दे रहे हैं। हालाँकि स्वामी ने सीएम पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व की तारीफ करते हुए सरकार बना सकने की स्थिति बताई है लेकिन उन्होंने कहा कि चुनावी कुप्रबंधन और भितरघात के चलते नतीजों आशा के विपरीत भी दिख सकते हैं। स्वामी यतींद्रानंद गिरि महाराज ने जेपी नड्डा को लिखी चिट्ठी की एक प्रतिलिपि केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष को भी भेजी है।
दरअसल, स्वामी यतींद्रानंद गिरि पहले नेता नहीं जिन्होंने संगठन पर पार्टी प्रत्याशियों को हराने का आरोप लगाया है, इससे पहले लक्सर विधायक संजय गुप्ता, चंपावत विधायक कैलाश गहतोड़ी, काशीपुर विधायक हरभजन सिंह चीमा, कैंट प्रत्याशी सविता कपूर और कैबिनेट मंत्री बिशन सिंह चुफाल भी भितरघात का आरोप लगा चुके हैं। यानी एक के बाद एक भाजपा नेता नतीजों से पहले ही हार के डर से भितरघातियों को निशाने पर ले रहे हैं।
ताजा आरोप के बाद अब सवाल उठ रहे कि कहीं भाजपा की चुनावी लुटिया ही न डूबो दे प्रदेश नेताओं की ये आपसी भितरघात? आम तौर पर चुनावों में गुटबाजी और भितरघात से काग्रेस को भारी नुकसान की बातें कही जाती रही हैं लेकिन बाइस बैटल में अपेक्षाकृत हरदा-प्रीतम में बंटी कांग्रेस मेँ भितरघात एकाध सीट पर हुआ हो तो हुआ हो लेकिन अभी तक किसी भी नेता ने एक-दूसरे को भाजपा नेताओं की तर्ज पर भितरघात को लेकर कटघरे में खड़ा नहीं किया है।
जबकि भाजपा में आए दिन कोई न कोई नेता संगठन और नेताओं पर भितरघात का आरोप लगा रहा है। राजनीतिक जानकारों और ग्राउंड से मिली रिपोर्ट मानें तो इन आरोपों में काफी हद तक सच्चाई भी दिखाई दे रही है। स्वामी यतींद्रानंद ने बिना नाम लिए प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक पर निशाना साधा है तो इसे पूरी तरह खारिज भी नहीे किया जा सकता है क्योंकि चुनाव के दौरान हरिद्वार से लगातार ये खबरें आ रही थी कि जहां मदन कौशिक एक तरफ हैं तो दूसरी तरफ सीएम धामी और स्वामी यतीश्वरानंद दिखाई दे रहे हैं। हरिद्वार शहर में कौशिक के खिलाफ कांग्रेस प्रत्याशी सतपाल ब्रह्मचारी को भाजपा के कौशिक विरोधी धड़े से समर्थन की बातें हो रही थी तो सबसे ज्यादा शराब भी भाजपा प्रत्याशी की यहीं पकड़ी गई। इसी तरह हरिद्वार ग्रामीण से लक्सर तक कौशिक धड़े द्वारा स्वामी और संजय गुप्ता को डैमेज करने की बातें होती रही। संजय गुप्ता खुद कौशिक पर पार्टी से ग़द्दारी का संगीन आरोप लगा चुके हैं।
सिर्फ हरिद्वार ही नहीं सीएम धामी के खटीमा क्षेत्र से लेकर कुमाऊं-गढ़वाल की कई सीटों पर जमकर भितरघात की रिपोर्टें आ रही हैं। राजधानी देहरादून की कैंट और रायपुर सीट पर भी भितरघात की बातें चल रही हैं। सवाल वही कि कहीं ये भितरघात भाजपा का बंटाधार न करा दे?