
देहरादून/दिल्ली: सामने 2022 का चुनाव है और सत्ता हासिल हो जाए फिर चाहे दांव कोई भी आज़माना पड़े! फिर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत यानी हरदा तो ठहरे इस खेल के सबसे दिग्गज खिलाड़ी! इसी अंदाज में हरदा ने शुक्रवार शाम ट्विट कर कहा है कि स्वर्गीय बहुगुणा को सम्मानित करने का यह सही वक्त है और उत्तराखंड विधानसभा एक प्रस्ताव पारित कर स्वर्गीय सुंदरलाल बहुगुणा का नाम भारत रत्न के लिए प्रस्तावित करे।
अब आप सोच रहे होंगे यह अचानक हरदा को क्या हुआ जो यह मांग कर रहे! दरअसल दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी उत्तराखंड विधानसभा का चुनाव लड़ने उतर रही है। लिहाजा केजरीवाल ठहरे खिलाड़ियों के खिलाड़ी जो दिल्ली में मोदी-शाह के रहते बैक टू बैक दो विधानसभा चुनाव प्रचंड बहुमत से जीत चुके। ऐसे में केजरीवाल की AAP का डर सत्ताधारी बीजेपी को भी है तो विपक्षी कांग्रेस को भी। कांग्रेस को थोड़ा ज्यादा क्योंकि AAP का उदय दिल्ली में शीला दीक्षित यानी कांग्रेस सरकार के ख़ात्मे से ही हुआ था। अब यहाँ कांग्रेस की सरकार तो नहीं है लेकिन बारी-बारी भागीदारी का चलता आया फ़ॉर्मूला कांग्रेस को कुर्सी करीब दिखा रहा, हरदा को कुछ ज्यादा ही सीएम कुर्सी करीब नजर आ रही लिहाजा वे केजरीवाल के हर दांव पर ज्यादा ही मुदित-मोहित होकर उसी तान पर अपना राग छेड़ने लग जा रहे।
केजरीवाल 300 यूनिट बिजली फ्री देंगे तो हरदा कहेंगे 400 यूनिट फ्री बिजली हम देंगें। केजरीवाल ने दिल्ली विधासनभा से स्वर्गीय सुंदरलाल बहुगुणा को प्रस्ताव पारित कराकर भारत सरकार से भारत रत्न देने की मांग कर डाली तो हरदा पीछे कैसे रहते! उत्तराखंड विधानसभा से प्रार्थना कर डाली कि स्वर्गीय सुंदरलाल बहुगुणा को भारत रत्न दिलाने का प्रस्ताव पारित कर भेजा जाए।
“वृक्ष जागरूकता और पर्यावरण चेतना के प्रसार के क्षेत्र व सारे विश्व में अद्वितीय योगदान देने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, पद्म विभूषण स्व. सुंदरलाल लाल बहुगुणा जी को उनके अतुलनीय योगदान को सम्मानित करने का यह सही वक्त है. मैं उत्तराखंड विधानसभा से प्रार्थना करना चाहूंगा कि वो विधानसभा में एक प्रस्ताव पारित कर स्वर्गीय सुंदरलाल बहुगुणा जी का नाम भारत रत्न के लिए प्रस्तावित करें.”
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत
लेकिन हरदा की इस मांग के साथ ही पहाड़ पॉलिटिक्स में सवाल भी उठने शुरू हो गए कि सत्ता में रहते ऐसे कई कदम उठाने का मौका आपको भी मिला था हुज़ूर! तब न गैरसैंण को राजधानी घोषित कर पाए न बहुगुणा को भारत रत्न दिलाने जैसी याद रही! यहां तक कि एक बड़ा तबका मांग करता रहा कि उनके पुत्र और राज्य के वरिष्ठतम पत्रकारों-चिन्तकों में शुमार राजीव नयन बहुगुणा को सूचना आयुक्त बनाया जाए लेकिन हरदा इस मांग पर भी लॉलीपॉप थमाते रह गए! अब केजरीवाल ने हल्ला मचाया है तो हरदा भी वही ढोल बजाएँगे क्योंकि सियासत है और ये जो न करा दे नेताजी से!