ADDA IN-DEPTH: कांग्रेस के दो दिग्गज नेताओं के कैंपों में बाइस बैटल में हुई करारी हार पर रार थमने की बजाय और बढ़ती दिख रही है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का दर्द यह है कि हार का ठीकरा उनके सिर फोड़ा जा रहा है, तो पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह उन्हें यह कहकर जवाब दे रहे हैं कि हमारे भाग्य का फैसला नेता नहीं जनता करती है।
हरदा की लालकुआं से हुई हार के जख्म पर भी प्रीतम यह कहकर नमक छिड़कते नजर आते हैं कि वे भाग्यशाली हैं कि चकराता की जनता उन्हें हर बार जीता रही है। अब हरीश रावत ने सोशल मीडिया मे 2 वीडियो शेयर कर अपना दर्द ए हाल बयां कर फिर वही सवाल खड़ा किया है कि हार का ठीकरा उन्हीं के सिर क्यों?
हरदा ने कहा है कि प्रीतम सिंह सत्य कहा कि व्यक्ति जनता के आशीर्वाद और अपनी मेहनत से चुनाव जीतता है, तब उनकी व्यथा यह है कि उत्तराखंड में हार के लिए उनको ही क्यों दोषी ठहराया जा रहा है। रावत ने कहा कि अगुआ के नाते मैं हार कि ज़िम्मेदारी लेता हूँ लेकिन हरिद्वार में कांग्रेस के किस किस नेता ने हराने के लिए काम किया या हराने के लिए!
हरदा ने कहा कि शादी-ब्याह और दूसरे समारोहों में कहा जा रहा है कि हरीश रावत ने कांग्रेस को हराया। हरीश रावत ने हरिद्वार में पार्टी की हार के लिए इशारोें में प्रीतम सिंह के क़रीबियों पर निशाना साधा है।
18 मार्च 2016 की बगावत का भी ज़िक्र
हरीश रावत ने यह भी कहा कि 2016 में कुछ लोग कांग्रेस छोड़कर चले गए और वह यह भी जानते हैं कि अगर यह लोग रहे होते तो पार्टी की सरकार बनती। लेकिन पैसे का खेल और कौनसी शक्ति लगी हुई थी उसे सब बखूबी जानते हैं। रावत ने कहा कि चलो मान लेते हैं कि उत्तराखंड में तो हरीश रावत के चलते बगावत या टूट हो गई लेकिन अरुणाचल, असम, मणिपुर, गोवा, कर्नाटक से लेकर मध्यप्रदेश में सरकार के अपरहरण और महाराष्ट्र में कैसे सरकार गिराई गई क्या इन सबके लिए भी हरीश रावत ज़िम्मेदार हैं?
रावत ने कहा कि सब जानते हैं कि भाजपा सत्ता और पैसे के दम पर विपक्ष को खत्म कर देना चाहती है। एक के बाद एक राज्य में कांग्रेस सरकारें गिराने से लेकर कमजोर करने के लिये भाजपा नग्न धन का प्रदर्शन कर रही है, ईडी, इनकम टैक्स और सीबीआई का दुरुपयोग कर रही है। हरदा ने कहा कि अगर लोग बेहद सरलीकरण कर यह कहेंगे कि हरीश रावत के चलते 2016 में कांग्रेस टूट गई तो यह कई राज्यों में लोकतंत्र की हत्या करने के पाप से भाजपा को मुक्त करना होगा और यह किसी भी कांग्रेसी को नागवार गुज़रेगी।
सवाल है कि हार पर रार का हरदा वर्सेस प्रीतम जंग का धारावाहिक क्या अब 2024 तक चलता रहेगा? कांग्रेस ने 2014 से लेकर 2022 तक उत्तराखंड का एक भी चुनाव नहीं जीता है और अगर दोनों दिग्गजों का ये जुबानी जंग का धारावाहिक थमा नहीं तो चौबीस की चुनौती में भी उसका चारों खाने चित होना तय ही जानिए!