हल्द्वानी: कल्पना कीजिए आज से 46-47 साल पहले अविभाजित उत्तरप्रदेश में विधान परिषद के रास्ते सियासत में उतरी एक महिला ने कितना संघर्ष कर ये मुक़ाम हासिल किया कि आज जब रुखसत हुई तो हज़ारों आँखें नम थी, लाखों को रविवार दोपहर ये खबर किसी सदमे से कम न लगी होगी कि दिल्ली में हार्ट अटैक से डॉ इंदिरा ह्रदयेश का निधन हो गया। अपने करीब पांच दशक के राजनीतिक सफर में इंदिरा ह्रदयेश ने एक महिला के नाते पुरुषों के वर्चस्व वाले राजनीतिक फलक पर अपनी अलग जगह बनाई, पहचान बनाई और एक मुक़ाम हासिल किया। संसदीय परम्पराओं और विधायी नियमावली व कामकाज की ऐसी समझ कि विरोधी दल के नेता भी मुश्किल में मशविरा करने ‘बड़ी दीदी’ के पास पहुँचे जाते। उनके अंतिम दर्शन को उमड़ी भीड़ गवाही देती है कि अपनी राजनीतिक जमीन को सींचने के लिए इंदिरा ह्रदयेश ने कितना कठिन तप किया होगा।अलविदा डॉ इंदिरा ह्रदयेश!
नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर इंदिरा हरदेश का पार्थिव पहुंचा उनके निवास पर
हजारों की संख्या में आवास के बाहर लगी भीड़
https://youtu.be/dXDAS1st0vc
लगातार उनके पार्थिव की अंतिम दर्शनों के लिए उमड़ रहा है जनसैलाब
सोमवार रानीबाग के चित्र शिला घाट में 11 बजे उनके पार्थिव को दी जाएगी मुखाग्नि
उत्तराखंड की राजनीति को हुआ एक बड़ा नुकसान
सुबह मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत पहुंचेंगे हल्द्वानी
नेता प्रतिपक्ष के पार्थिव को देंगे श्रद्धांजलि
नेता प्रतिपक्ष के असमय चले जाने से राजनीतिक गलियारे में शोक की लहर