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बड़ा ऐलान PM Modi प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का राष्ट्र के नाम संबोधन, वैक्सीन अब केन्द्र संभालेगा, 21 जून से भारत सरकार राज्यों को मुफ्त देगी, वैक्सीन नीति में बड़ा बदलाव

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण की शुरुआत कोरोना से जान गंवाने वालों को याद करके की। उन्होंने कहा कि पिछले 100 साल में यह सबसे बड़ी महामारी है। साथ ही, देश में वेंटिलेटर और स्वास्थ्य सुविधाओं का जिक्र किया।

बड़ा ऐलान PM Modi प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का राष्ट्र के नाम संबोधन, वैक्सीन अब केन्द्र संभालेगा, 21 जून से भारत सरकार राज्यों को मुफ्त देगी, वैक्सीन नीति में बड़ा बदलाव

दिल्ली: प्रधानमंत्री मोदी ने कोरोना महामारी के पन्द्रह महीने में नौंवी बार राष्ट्र को संबोधित किया। पीएम ने कहा दुनिया के अनेक देशों की तरह भारत भी इस लड़ाई के दौरान बड़ी पीड़ा से गुजरा। हममें से कई लोगों ने अपने परिजनों और परिचितों को खोया है। ऐसे सभी परिवारों के साथ मेरी पूरी संवेदनाएं हैं। बीते 100 साल में आई ये सबसे बड़ी महामारी है, त्रासदी है। इस तरह की महामारी आधुनिक विश्व ने न देखी थी और न अनुभव की थी।

मोदी ने कहा कि इतनी बड़ी वैश्विक महामारी से हमारा देश कई मोर्चों पर एक साथ लड़ रहा है। कोविड अस्पताल बनाने से लेकर आईसीयू बेड्स की संख्या बढ़ाना, वेंटिलेटर बनाने से लेकर टेस्टिंग लैब का नेटवर्क तैयार करना हो। बीते सवा साल में ही देश में एक नया हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार किया गया है।

उन्होंने कहा कि नीयत साफ, नीति स्पष्ट, निरंतर प्रयास का नतीजा है कि आज 23 करोड़ लोगों को कोरोना वैक्सीन दी जा चुकी है

मोदी के संबोधन की खास बातें…

इस लड़ाई में सबसे प्रभावी हथियार कोविड प्रोटोकॉल
अप्रैल और मई के महीने में ऑक्सीजन की डिमांड अकल्पनीय रूप से बढ़ गई। भारत में कभी भी इतनी मात्रा में इतनी ऑक्सीजन की जरूरत महसूस नहीं की गई। इस जरूरत को पूरा करने के लिए युद्ध स्तर पर काम किया गया। सरकार के सभी तंत्र लगे। ऑक्सीजन रेल, एयरफोर्स, नौसेना को लगाया गया। लिक्विड ऑक्सीजन के प्रोडक्शन में 10 गुना ज्यादा बढ़ोतरी बहुत कम समय में हो गई।

दुनिया के हर कोने से जो उपलब्ध हो सकता था, उसे लाया गया। जरूरी दवाओं के प्रोडक्शन को कई गुना बढ़ाया गया। विदेशों में जहां भी दवाइयां उपलब्ध हों, वहां से उन्हें लाने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी गई। कोरोना जैसे अदृश्य और रूप बदलने वाले दुश्मन के खिलाफ लड़ाई में सबसे प्रभावी हथियार कोविड प्रोटोकॉल है। मास्क, दो गज की दूरी और बाकी सावधानियों का पालन ही है।

वैक्सीन सुरक्षा कवच की तरह
लड़ाई में वैक्सीन सुरक्षा कवच की तरह है। पूरी दुनिया में वैक्सीन बनाने वाली कंपनियां गिनी-चुनी हैं। अभी हमारे पास भारत में बनी वैक्सीन नहीं होती तो भारत जैसे विशाल देश में क्या होता। पिछले 50-60 साल का इतिहास देखेंगे तो पता चलेगा कि भारत को विदेशों से वैक्सीन हासिल करने में दशकों लग जाते थे। वैक्सीन का काम पूरा हो जाता था, तब भी हमारे देश में वैक्सीनेशन का काम शुरू नहीं हो पाता था। पोलियो, स्मॉल पॉक्स, हैपेटाइटिस बी की वैक्सीन के लिए देशवासियों ने दशकों तक इंतजार किया था।

वैक्सीनेशन के लिए मिशन मोड में काम
2014 में देशवासियों ने हमें सेवा का अवसर दिया तो भारत में वैक्सीनेशन का कवरेज सिर्फ 60% के आसपास था। हमारी नजर में ये चिंता की बात थी। जिस रफ्तार से भारत का टीकाकरण कार्यक्रम चल रहा था, उस रफ्तार से देश को शत-प्रतिशत टीकाकरण कवरेज हासिल करने में 40 साल लग जाते। हमने इस समस्या के समाधान के लिए मिशन इंद्रधनुष को लॉन्च किया है। हमने तय किया कि इस मिशन के माध्यम से युद्ध स्तर पर वैक्सीनेशन किया जाएगा और देश में जिसको भी वैक्सीनेशन की जरूरत है। उसे वैक्सीन देने का प्रयास होगा। हमने मिशन मोड में काम किया।

आगे बढ़ रहे थे कि कोरोना ने घेर लिया
हमने 5-7 साल में ही वैक्सीनेशन कवरेज 60% से बढ़ाकर 90% तक पहुंचा दिया। हमने वैक्सीनेशन की स्पीड और दायरा दोनों बढ़ा दिया। बच्चों को कई जानलेवा बीमारियों से बचाने के लिए कई नए टीकों को अभियान का हिस्सा बनाया। हमें हमारे देश के बच्चों की चिंता थी, गरीब की चिंता थी, गरीब के बच्चों की चिंता थी, जिन्हें कभी टीका लग ही नहीं पाया। हम सही तरह से आगे बढ़ रहे थे कि कोरोना वायरस ने हमें घेर लिया।

देश ही नहीं दुनिया के सामने फिर पुरानी आशंकाएं घिरने लगीं कि भारत कैसे इतनी बड़ी आबादी को बचा पाएगा। जब नीयत साफ होती है औऱ नीति स्पष्ट होती है और निरंतर परिश्रम होता है तो नतीजे भी मिलते हैं। हर आशंका को दरकिनार करके भारत में एक साल के भीतर ही एक नहीं बल्कि दो मेड इन इंडिया वैक्सीन लॉन्च कर दी।

40 साल लग जाते जैसे 2014 से पहले टीकाकरण हो रहा था उस रफ्तार से, हमने मिशन इंद्रधनुष लॉंच किया। स्पीड बढ़ाई दायरा बढ़ाया।
जब नियत साफ नीति स्पष्ट तब नतीजे मिलते हैं: PM
23 करोड़ वैक्सीन डोज आज दी जा चुकी हैं।
हमें अपने वैज्ञानिकों पर विश्वास था।
राज्यों ने कहा कि वैक्सीन विकेन्द्रीकरण हो, हमने काफी सोचकर एक मई से 25 फीसदी वैक्सीन का काम राज्यों के हवाले कर दिया।

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