देहरादून: धामी सरकार की किसी भी मांग के उठने पर उसे कमेटी बनाकर या किसी दूसरे टोटके के ज़रिए ‘टालते रहो’ नीति का ख़ामियाज़ा अब चुनावी जंग में बीजेपी को भुगतना पड़ सकता है। एक के बाद कर्मचारी संगठन अपनी लंबित माँगों को लेकर मुखर हो रहे हैं और नौकरशाही में मैसेज दौड़ गया है कि ‘चार माह टालते रहो’! जाहिर है यह धामी सरकार के लिए ख़तरनाक संकेत है क्योंकि हेडलाइन मैनेजमेंट के अलावा जमीन पर रिजल्ट शून्य ही दिख रहा। ताजा मामला परिवहन विभाग से मिली आंदोलन-हड़ताल की चेतावनी का है। उसी परिवहन विभाग का जिसने हाईकोर्ट तक कानूनी जंग लड़कर कई महीनों से लंबित वेतन सरकार से निकलवाया है। अब परिवहन विभाग के मिनिस्टीरियल संवर्ग में पदोन्नति प्रक्रिया शुरू न होने के कारण कर्मचारियों में नाराजगी बढ़ रही है। कार्मिकों ने परिवहन आयुक्त से लेकर परिवह मंत्री तक अपनी मांग को लेकर धक्के खा लिए है लेकिन समाधान न होने के कारण अब उन्होंने आंदोलन की धमकी दे डाली है। उत्तराखंड परिवहन मिनिस्टीरियल कर्मचारी संघ ने परिवहन आयुक्त को पत्र लिखकर तीन दिन के भीतर वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी के पद पर पदोन्नति न होने की दशा में 26 अगस्त से चरणबद्ध आंदोलन करने की चेतावनी दी है।
दरअसल परिवहन विभाग के मिनिस्टीरियल संवर्ग के ढांचे का पिछले साल जून में पुनर्गठन हुआ था। कैबिनेट की मंजूरी के बाद जब इसका जब शासनादेश जारी हुआ तो इसमें वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी के 14 पद दर्शाये गए जबकि विभाग में पहले इसके 26 पद सृजित थे। यह खामी सामने आते ही मुख्यालय ने इसमें संशोधन का अनुरोध करते हुए प्रस्ताव शासन को भेजा, लेकिन यह अभी तक लंबित चल रहा है।
इससे पदोन्नति के पात्र प्रशासनिक अधिकारी, मुख्य सहायक, वरिष्ठ सहायक आदि की पदोन्नति नहीं हो पा रही है। मिनिस्टीरियल कर्मचारी संघ इस लेकर लगातार परिवहन मुख्यालय और सरकार से गुहार लगा चुका है लेकिन सरकार की ‘टालते रहो’ की नीति का नतीजा यह है कि अभी तक पदोन्नति के संबंध में कोई निर्णय नहीं लिया जा गया है। संघ की अध्यक्ष सुषमा चौधरी ने परिवहन आयुक्त को पत्र लिखकर कह है कि उनकी न्यायपूर्ण मांगों पर 25 अगस्त तक कोई कार्यवाही न होने पर वह 26 से आंदोलन शुरू कर देंगे। इसके तहत 26 और 27 अगस्त को सभी कर्मचारी काले फीते बांध कर विरोध प्रदर्शन करेंगे। 28 अगस्त और 31 अगस्त को सुबह दो घंटे का कार्य बहिष्कार किया जाएगा। एक सितंबर तथा दो सितंबर को सभी कर्मचारी पूर्ण कार्य बहिष्कार करेंगे। इसके बाद भी मांगों पर कार्यवाही न होने की सूरत में आगे की रणनीति तय की जाएगी।
इसी तर्ज पर बिजली कार्मिक और उपनल कर्मचारी धामी सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाकर फिर से हड़ताल की धमकी दे रहे।