- एसडीसी फाउंडेशन ने “उत्तराखंड चुनाव 2012/2017/2022 – सिक्स रिपोर्ट्स कॉम्पेंडियम” की संयुक्त रिपोर्ट जारी की
- डेमोग्राफिक चेंज और राज्य में बढ़ती जनसंख्या बड़ी चिन्ता, महिला केंद्रित नीतियां जरूरी, पर्वतीय जिलों मे बढ़ता मतदान देता कुछ हद तक प्रोत्साहन
- सिटीजन इंगेजमेंट, वोटर अवेयरनेस, पलायन, महिला सशक्तिकरण और डेमोग्राफिक चेंज रहा है एसडीसी फाउंडेशन का चुनावी फोकस
देहरादून: देहरादून स्थिति एसडीसी फाउंडेशन ने उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के दौरान जारी डाटा आधारित अपनी रिपोर्ट्स का एक कंबाइंड “उत्तराखंड चुनाव 2012/2017/2022 – सिक्स रिपोर्ट्स कॉम्पेंडियम” जारी किया है। इस कॉम्पेंडियम में फाउंडेशन की 8 में से 6 रिपोर्ट्स को शामिल किया गया है। कॉम्पेंडियम में मुख्य रूप में डेमोग्राफिक चेंज, राज्य में बढ़ती जनसंख्या, पलायन, महिला भागीदारी और वोट पैटर्न वाली रिपोर्ट्स को जगह दी गई है।
एसडीसी फाउंडेशन के अध्यक्ष अनूप नौटियाल ने उम्मीद जताई है कि डाटा आधारित इन रिपोर्ट्स से सरकारों, पब्लिक पॉलिसी पर काम करने वाले लोगों, राजनीतिक दलों, राजनीतिक कार्यकर्ताओं, मीडिया, सामाजिक कार्यकर्ताओं सहित विभिन्न वर्गों को सहायता मिलेगी।
राज्य में वोटर्स की संख्या में 10 वर्षों में 30 प्रतिशत बढ़ोत्तरी होना चिन्ताजनक है।
सिक्स रिपोर्ट्स कॉम्पेंडियम जारी करते हुए अनूप नौटियाल ने एक बार फिर आगाह किया कि राज्य में डेमोग्राफिक चेंज और बढ़ती जनसंख्या आने वाले दिनों में एक बड़ी चुनौती बनने वाली है। उन्होंने कहा कि राज्य में वोटर्स की संख्या में 10 वर्षों में 30 प्रतिशत बढ़ोत्तरी होना चिन्ताजनक है। खासकर उन मैदानी सीटों पर जहां 10 वर्षों में वोटर्स की संख्या 72 प्रतिशत तक बढ़ी है, जाहिर है वहां जनसंख्या भीं इसी अनुपात में बढ़ी है। उन्होंने कहा कि इस तरफ ध्यान देना नई सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए।
चुनाव में महिलाओं की भागीदारी का जिक्र करते हुए अनूप नौटियाल ने कहा कि इस बार राज्य की 38 सीटों पर महिलाओं ने पुरुषों से ज्यादा मतदान किया है। 2017 के चुनाव में भी महिलाओं ने मतदान में शानदार भूमिका निभाई थी। उन्होंने कहा कि यह प्रसन्नता की बात है कि विधानसभा में इस बार महिलाओं की संख्या बढ़ी है।
2002 और 2007 में राज्य विधानसभा में महिला सदस्योें की संख्या 4 थी। 2012 और 2017 में 5 महिला विधायक चुनकर आई थी, इस बार यह संख्या 8 हो गई है। अनूप नौटियाल के अनुसार यह इस बात का सबूत है कि राज्य में लोकतांत्रित व्यवस्था को मजबूती देने में महिलाओं का सहयोग लगातार बढ़ रहा है। उन्होंने इसे देखते हुए राज्य में महिला केंद्रित नीतियां बनाने की जरूरत बताई है।
इन रिपोर्ट्स को तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले एसडीसी फाउंडेशन के लीगल एसोसिएट विदूष पांडे का कहना है कि राज्य के पर्वतीय जिलों में इस बार जो वोटिंग पैटर्न नजर आया, वह भी कई उम्मीदें बांधता है। वे कहते हैं कि राज्य स्तर पर बेशक 2017 की तुलना में इस बार मतदान प्रतिशत में कुछ कमी दर्ज की गई है, लेकिन राज्य के 9 पर्वतीय जिलों में से 8 जिलों में मतदान प्रतिशत 2017 की तुलना में बढ़ा है। वे कहते हैं कि यह कोविड काल में रिवर्स पलायन के कारण हो सकता है, हालांकि यह अभी विश्लेषण का विषय है।
इन रिपोर्ट्स को तैयार करने में एसडीसी फाउंडेशन के प्यारे लाल और प्रवीन उप्रेती का विशेष सहयोग रहा है।