साइकिल सवारों का मुखर संदेश: उत्तराखंड की सेहत ठीक करने के लिए हस्तक्षेप जरूरी

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देहरादून: उत्तराखंड राज्य आंदोलन के शहीदों ने जिस राज्य निर्माण के लिए शहादत दे दी, वह राज्य निराशा और हताशा के दौर में है, रुग्णावस्था में है, उसे स्वस्थ रखने के लिए हस्तक्षेप की सख्त जरूरत है।

प्रवासी-निवासियों का काफिला रविवार को इसी मकसद के साथ शहीदों को श्रद्धांजलि देने रामपुर तिराहा पहुंचा। ‘शहीद सम्मान यात्रा’ के जज़्बातों से सजा 40 साइकिल सवारों और मुंबई-दिल्ली समेत कई राज्यों के आम व खास प्रवासियों का कारवां पूरे 130 किलोमीटर तक भावनाओं से लबरेज़ रहा।

साइकिल सवारों का काफिला सुबह 5.30 बजे शहीद स्थल (देहरादून) से रामपुर तिराहा इस संकल्प के साथ रवाना हुआ कि स्वस्थ रहने का उनके निजी जीवन का लक्ष्य समाज स्वस्थ रहने की अवधारणा के साथ आगे बढ़े। यही शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

‘शहीद सम्मान यात्रा’ को उत्तराखंड आंदोलन की शीर्षस्थ शख्सियत सुशीला बलूनी ने हरी झंडी दिखा कर रवाना किया।

इस अवसर पर उत्तराखंड आंदोलन के प्रमुख चेहरे प्रदीप कुकरेती व अन्य शख्सियतें भी उपस्थित रहे। उन्होंने रवानगी से पूर्व उत्तराखंड आंदोलन में मातृ शक्ति की भूमिका और आंदोलनकारियों के साथ हुई बर्बरता का उल्लेख किया।

सुशीला बलूनी ने कहा कि उत्तराखंड के शहीदों को यही बड़ी श्रद्धांजलि होगी कि नयी पीढ़ी शुद्ध भाव से राज्य की कमान अपने हाथ लेने आगे आये और शहीदों के सपनों को आकार दे, निखार दे। युवाओं से बड़ी उम्मीद है और वही राज्य की किस्मत बदल सकते हैं। उन्होंने राज्य आंदोलन के दौर को याद करते हुए आंदोलनकारियों की लक्ष्य हासिल करने मरने-जीने की जिद्द को रेखांकित किया और मौजूदा वक्त में उसी जज़्बे की जरूरत की कामना की।

कठिन हालात में भी आंदोलन की लौ कम न होने देने का जज़्बा किस उफान पर था, यह याद कर सायकल सवारों की हौसला अफजाई की।

रामपुर तिराहा पहुंच कर साइकिल सवार और ‘शहीद सम्मान यात्रा’ में शामिल प्रवासी व निवासियों ने शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की।

‘हस्तक्षेप’ संगठन और ‘मैत्री एडवेंचर क्लब’ की संयुक्त साझेदारी ने ‘शहीद सम्मान यात्रा’ को प्रवासी-निवासी एकजुटता और संवेदनशीलता से गहरे रेखांकित किया।

‘हस्तक्षेप’ के संस्थापक केशरसिंह बिष्ट और ‘मैत्री एडवेंचर क्लब’ के सुधीर बडोनी व खेल की दुनिया के प्रखर चेहरे विमल डबराल ने ‘शहीद समान यात्रा’ को भावनाओं में गढ़ कर सामाजिक संकल्प शक्ति को नया मुकां दिया।

खेल की दुनिया का बड़ा नाम ‘डेकेथलॉन’ ने सायकल सवारों को भेंट देकर उनका हौसला बढ़ाया।

साथ ही उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी संघर्ष समिति (हरिद्वार), उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी संघर्ष समिति (रुड़की) और पहाड़ी महासभा (रजि.) (हरिद्वार) ने इस जज़्बाती यात्रा को अपनी मजबूत सांगठनिक ताकत से भर दिया।

साथ ही उद्योगपति डी. एस. पंवार, गजेंद्र गौड़, वैभव गोयल, विनोद पंवार, सुरेश भट्ट, शिक्षाविद ललित जोशी, अम्बुज नौटियाल आदि ने ‘शहीद सम्मान यात्रा’ के काफिले को रचने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की।


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