देहरादून: 10 मार्च को सूबे के मुख्यमंत्री बने तीरथ सिंह रावत को विधानसभा का सदस्य बनने के लिए एक उपचुनाव लड़ना होगा। वैसे तो दिवंगत विधायक गोपाल रावत की गंगोत्री सीट खाली है लेकिन शायद ही सीएम तीरथ पौड़ी संसदीय क्षेत्र से बाहर जाना चाहेंगे, वैसे भी वहाँ पूर्व विधायक विजयपाल सजवाण मजबूत प्रतिद्वन्द्वी मौजूद हैं। कहावत भी है जो गंगोत्री जीते उस विधायक के दल की सरकार बने।
खैर सीएम के लिए छह विधायकों ने अपनी सीट ऑफ़र कर दी है जिनमें एक भीमताल से निर्दलीय विधायक रामसिंह कैड़ा भी है। बीजेपी की तरफ से पार्टी आलाकमान को सीएम के लिए सीट का ऑफ़र करने वालों में सबसे पहला नाम कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत का है। कोटद्वार विधायक डॉ हरक कई बार पहले भी सीएम के लिए सीट ऑफ़र का बयान दे चुके हैं। पूर्व सीएम जनरल बीसी खंडूरी की पुत्री और यमकेश्वर विधायक ऋतु खंडूरी भूषण भी सीट छोड़ने को तैयार हैं। लैंसडौन विधायक महंत दलीप रावत ने भी सीएम के लिए अपनी सीट छोड़ने का ऑफ़र दिया है। बदरीनाथ विधायक महेन्द्र भट्ट और धर्मपुर विधायक विनोद चमोली भी सीएम को अपनी सीट ऑफ़र कर रहे हैं।
संवैधानिक बाध्यता के चलते 10 सितंबर से पहले पहले सीएम तीरथ रावत को किसी न किसी सीट से उपचुनाव लड़कर विधानसभा की सदस्यता लेनी होगी। सवाल है कि क्या कोटद्वार से तीरथ ताल ठोकेंगे या यमकेश्वर से? डॉ हरक कई बार कह चुके हैं कि सीएम कोटद्वार से लड़ें लेकिन सामने सुरेन्द्र नेगी रहते हैं और मेयर चुनाव भी बीजेपी वहाँ से हार चुकी है, खुद खंडूरी वहाँ ‘गैर-जरूरी’ हो गए थे 2012 में ऐसे में रिस्क कम लेना चाहेंगे सीएम तीरथ। वैसे कोटद्वार के लिए मेडिकल कॉलेज माँगा है सीएम तीरथ रावत ने तो क्या ये एक जेस्चरिंग पार्ट है!
हालाँकि उनकी पुरानी सीट तो चौबट्टाखाल है जहां से पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज विधायक हैं महाराज सीट छोड़ने को तैयार नहीं है। ऐसे में यमकेश्वर से तीरथ ताल ठोकते हैं तो जनरल खंडूरी की परम्परागत संसदीय सीट रही पौड़ी गढ़वाल उस पर ऋतु खंडूरी का दावा होगा। यानी सीएम के उपचुनाव की सीट 2022 ही नहीं 2024 का संकेतक भी होगी।
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