देहरादून: ऊर्जा निगमों के 3500 कर्मचारियों की माँगों पर चार साल से पीठ फेरे बैठी सरकार ने हड़ताल शुरू हुए 17 घंटे बीते नहीं और सरेंडर कर दिया। अपनी 14 सूत्रीय मांगों को लेकर ऊर्जा निगम के साढ़े तीन हज़ार कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा के बैनर तले मध्य रात्रि 12 बजे से हड़ताल पर चले गए थे। बिजली कर्मियों की हड़ताल से प्रदेश में बिजली की व्यवस्था चरमरा गई थी और उत्पादन रुकने के साथ साथ कई जगह से पॉवर कट की ख़बरें आने लगी थी।
हालात पूरी तरह से हाथों से निकलते देख नौकरशाहों के भरोसे मुद्दा छोड़कर कहीं और मशगूल मुख्यमंत्री और ऊर्जा मंत्री को फ़्रंटफुट आने को मज़बूर होना पड़ा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विभागीय मंत्री हरक सिंह रावत को मामले के समाधान तक पहुँचने को कहना पड़ा।
अब तक कर्मचारियों को नेतागीरी न करने की नसीहत दे रहे ऊर्जा मंत्री हरक सिंह ने कर्मचारी नेताओं को वार्ता के लिए आमंत्रित किया और अंतत: हड़ताली कर्मियों की मांगों के आगे राज्य सरकार को झुकना पड़ा। ऊर्जा मंत्री हरक सिंह रावत और संयुक्त संघर्ष मोर्चा पदाधिकारियों के बीच करीब एक घंटे की वार्ता हुई जो सकारात्मक रही और हड़ताल कॉल ऑफ़ हो गई।
बैठक के बाद संयुक्त संघर्ष मोर्चा पदाधिकारियों ने हड़ताल वापस लेने का ऐलान कर दिया। बैठक में निर्णय लिया गया कि धामी सरकार एक महीने के भीतर संयुक्त संघर्ष मोर्चा की मांगों को पूरा करेगी।
बैठक में संयुक्त मोर्चा पदाधिकारियों को ऊर्जा मंत्री हरक सिंह रावत ने कहा कि उन्हें ऊर्जा विभाग की जिम्मेदारी अभी कुछ समय पूर्व ही मिली है और ऊर्जा निगम को एमडी और सचिव भी हाल ही में मिले हैं। ऐसे में विभाग को समझने का थोड़ा समय मिलना चाहिए ताकि माँगों पर अमल को लेकर उचित क़दम उठाए जा सकें।
ऊर्जा निगम कर्मियों की माँगें
ऊर्जा निगम के कार्मिक पिछले चार सालों से एसीपी की पुरानी व्यवस्था मांग रहे
उपनल के माध्यम से कार्योजित कार्मिकों के नियमितीकरण की मांग
समान कार्य हेतु समान वेतन को लेकर लगातार सरकार से वार्ता
22 दिसंबर 2017 को कार्मिकों संगठनों तथा सरकार के बीच द्विपक्षीय समझौता हुआ था
पर आज तक समझौते पर नहीं हो पाई कोई कार्यवाही
ऊर्जा निगम कार्मिकों की मांग सातवें वेतन आयोग में पुरानी चली आ रही 9-5-5 की एसीपी व्यवस्था बहाल हो
उत्तर प्रदेश के समय से ही मिल रहीं थी ये एसीपी व्यवस्था
पे मैट्रिक्स में छेड़खानी करने का आरोप
संविदा कार्मिकों को समान कार्य के बदले समान वेतन पर
कार्यवाही नहीं हुई
ऊर्जा निगमों में इंसेंटिव एलाउंसेस का रिवीजन नहीं हुआ