कांग्रेस ने किशोर से पिंड छुड़ाया भाजपा ने विधायक धन सिंह नेगी से मुक्ति पाई, दोनों को नई नवेली पार्टियों ने टिकट भी थमाया, बड़ा सवाल दिनेश धनै को टक्कर कौन दे पाएगा?

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टिहरी/देहरादून: विधानसभा चुनाव है लिहाजा दलबदलुओं की भरमार है। आज पूर्व पीसीसी चीफ किशोर उपाध्याय ने भाजपा ज्वाइन कर ली। हालांकि किशोर के भाजपा में जाने के चंद घंटों पहले कांग्रेस ने उनको छह साल के लिए निष्कासित कर दिया था। इधर किशोर भाजपा में गए तो टिहरी से पार्टी विधायक धन सिंह नेगी भी कांग्रेस में शामिल हो गए। यानी आयाराम गयाराम की राजनीति में पूरी तरह से ‘गिव एंड टेक’ फ़ॉर्मूले पर काम हो रहा। एक नेता इधर भाग रहा तो उसके विरोध में दूसरा नेता इधर आ रहा। ऊपर से जिनको टिकट नहीं मिला वे अलग बगावत बवंडर मचाए पड़े हैं। कहीं भाजपा विधायक राजकुमार ठुकराल इस्तीफा दे रहे तो कहीं से कांग्रेसियों में कलह कुरुक्षेत्र छिड़ने की खबर आ रही।

अभी हाल में भाजपा को झटका देकर हरक सिंह रावत कांग्रेस में शामिल हुए थे और बुधवार को पूर्व विधायक ओम गोपाल रावत ने भी कांग्रेस का दामन थामा। लेकिन जिस तरह से किशोर उपाध्याय कांग्रेस छोड़कर गए और उसी दौरान भाजपा विधायक धन सिंह नेगी पार्टी छोड़कर कांग्रेस पहुँच गए, उसे क्या दोनों दलों के लिए झटका माना जाए या फिर अंदरूनी हकीकत यह है कि न भाजपा धन सिंह नेगी को टिकट देने के मूड में थी और ना ही कांग्रेस किशोर के बूते टिहरी की सियासी झील से अपनी वैतरणी पार लगाने का आत्मविश्वास महसूस कर रही थी। कहीं न कहीं दोनों तरफ से अपने अपने नेताओं से पिंड छुड़ाने की बांट देखी जा रही थी।

अब सवाल है कि भाजपा ने किशोर को टिहरी से टिकट दे दिया है, अगर कांग्रेस ने भी भाजपा से आए विधायक धन सिंह नेगी को टिकट थमा दिया, तो क्या मुकाबला इन्हीं दोनों नेताओं में ही होगा? या फिर उत्तराखंड जन एकता पार्टी बनाकर 2012 में निर्दलीय विधायक चुनकर आए पूर्व कैबिनेट मंत्री दिनेश धनै मुकाबले तो त्रिकोणीय बना देंगे? टिहरी की राजनीति की समझ रखने वालों के अनुसार इस सीट पर एक छोर पर मजबूती से दिनेश धनै ही डटे हैं, जबकि एक ही दिन में पार्टी बदलकर टिकट पा गए किशोर उपाध्याय और धन सिंह नेगी में से वो कौनसा प्रत्याशी होगा जो दूसरे छोर से मुकाबले में आ पाते हैं?


दूसरा कांग्रेस में विजय बहुगुणा और किशोर उपाध्याय में छत्तीस का आंकड़ा रहा, अब देखना होगा भाजपा में दोनों नेता टिहरी की सियासत को लेकर एक-दूसरे से कैसे पटरी बिठाते हैं। क्या दोनों अपना साझा सियासी दुश्मन हरदा के खिलाफ दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है वाले अंदाज में एक होंगे!

ज्ञात हो कि दिनेश धैने ने 2012 में निर्दलीय चुनाव लड़कर जीत हासिल की थी और 2017 की मोदी सूनामी में भी कांग्रेस नहीं बल्कि दिनेश धैने ही निर्दलीय के तौर पर भाजपा प्रत्याशी धन सिंह नेगी के सामने खड़े रह पाए थे और करीब छह हजार वोटों से चुनाव हार गए थे। अब दिनेश धनै निर्दलीय की बजाय अपनी पार्टी उत्तराखंड जन एकता पार्टी बनाकर खुद टिहरी और बेटे को ऋषिकेश से चुनाव लड़ा रहे हैं। पौड़ी, धनौल्टी जैसी कुछ और सीटों पर भी धैने की पार्टी चुनाव लड़ रही है लेकिन असल मुकाबला टिहरी में ही होना है।
सवाल है कि क्या किशोर टिहरी में अपनी सियासी वैतरणी पार लगा पाएंगे? क्या भाजपा छोड़कर आए विधायक धन सिंह नेगी कांग्रेस की उम्मीदों पर खरा उतरेंगे? या फिर एक बार फिर दिनेश धनै दोनों राष्ट्रीय दलों पर भारी पड़ेंगे?


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