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Uttarakhand: कैबिनेट मंत्री पद से प्रेमचंद अग्रवाल का इस्तीफ़ा, राज्यपाल ने किया मंजूर, विवादों से पुराना नाता

रविवार को प्रेमचंद अग्रवाल ने इधर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को इस्तीफ़ा सौंपा और उधर शाम होते होते राज्यपाल ने इसे मंजूर भी कर लिया।

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Premchand Agarwal Resignation: उत्तराखंड की राजनीति में ठीक होली के बाद तेजी से बदले घटनाक्रम के चलते पुष्कर सिंह धामी सरकार में कैबिनेट मंत्री प्रेमचन्द अग्रवाल को पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा है। उत्तराखंड के वित्त, शहरी विकास और संसदीय कार्य जैसे अहम विभाग संभाल रहे प्रेमचंद अग्रवाल को पहाड़ी समुदाय पर की गई अमर्यादित टिप्पणी के चलते कुर्सी गंवानी पड़ी है। रविवार को प्रेमचंद अग्रवाल ने इधर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को इस्तीफ़ा सौंपा और उधर शाम होते होते राज्यपाल ने इसे मंजूर भी कर लिया। हालांकि यह पहला मौक़ा नहीं जब प्रेमचंद अग्रवाल बदज़ुबानी के चलते विवादों में घिरे हों, अलबत्ता सियासी अंजाम पहली बार भुगतना पड़ा है।

ज्ञात है कि विधानसभा के बजट सत्र के दौरान सदन में विपक्ष के हंगामे के बीच संसदीय कार्य मंत्री होने के बावजूद प्रेमचंद अग्रवाल ने पहाड़ी समाज असंसदीय व अमर्यादित टिप्पणी कर दी थी और मुख्यमंत्री की समझाईश के बावजूद हाथ जोड़कर लोगों से माफ़ी मांगने की बजाय वे हीलाहवाली और अपने ख़िलाफ़ राजनीतिक साज़िश जैसे कुतर्क गढ़ते रहे। इसका नतीजा ये रहा कि उनका विरोध तेज होता गया और विपक्ष इस मुद्दे को धार देकर बीजेपी के लिए स्थिति असहज करने लगा था। यही वजह रही कि होली के तुरंत बाद प्रेमचंद अग्रवाल के लिए इस्तीफ़ा देने के निर्देश दिल्ली आलाकमान की तरफ से आ गए।

रविवार को मुख्यमंत्री आवास जाकर इस्तीफ़ा देने से पहले प्रेमचंद अग्रवाल ने अपने सरकारी आवास में मीडिया का जमावड़ा लगा कर इस्तीफे की घोषणा की और इससे पहले वे अपनी पत्नी के साथ उत्तरप्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में रामपुर तिराहा स्थित शहीद स्मारक पहुंचे और राज्य आंदोलनकारी शहीदों को श्रद्धांजलि दी। इस पूरे प्रकरण में लगातार प्रेमचंद ख़ुद को आंदोलनकारी बताते रहे हैं और इस्तीफे से पहले भी सियासी तौर पर विक्टिम कार्ड खेलने से बाज नहीं आए।

दरअसल, फरवरी में हुए विधानसभा के बजट सत्र के दौरान सदन में पहाड़ी समझ को लेकर की गई टिप्पणी के बाद कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल चौतरफा विवादों में घिर गए थे। मुख्यमंत्री के निर्देश और विवाद बढ़ता देख प्रेमचंद अग्रवाल ने सदन के अंदर और बाहर खेद ज़रूर प्रकट किया लेकिन अपने तमाम किंतु – परंतु के तर्कों – कुतर्कों के साथ। इसी का नतीजा रहा कि इससे मचे सियासी घमासान ने भाजपा को असहज कर दिया था और विपक्षी दलों खासकर तीसरी ताकतों के हमलावर तेवरों ने स्थिति बेकाबू होने के संकेत दिए। इस्तीफे से पहले डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश के तौर पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने प्रेमचंद अग्रवाल को पार्टी मुख्यालय में तलब कर स्पष्टीकरण मांगा था। लेकिन इसी दौरान भट्ट के बयान भी आग में घी डालने वाले साबित होते रहे।

प्रेमचंद का ये बचाव महेंद्र भट्ट को भी भारी पड़ता दिख रहा तो स्पीकर ऋतु खंडूरी का मंत्री प्रेमचंद के बयान के बाद प्रतिकार करते कांग्रेस विधायक लखपत बुटोला को सदन में डपटना भी लोगों को नागवार गुज़रा। यही वजह है कि सोशल मीडिया से लेकर विपक्ष के निशाने पर महेंद्र भट्ट और स्पीकर ऋतु खंडूरी लगातार बने हुए हैं।

रामपुर तिराहा स्थित शहीद स्मारक पहुंच कर राज्य आंदोलनकारियों को श्रद्धांजलि देने के बाद लौटे अग्रवाल ने यमुना कालोनी स्थित अपने सरकारी आवास पर मीडिया का भारी जमावड़ा लगाया और प्रेसवार्ता में ख़ुद को राज्य निर्माण आंदोलनकारी बताते हुए इस्तीफे की घोषणा कर दी। इस दौरान अग्रवाल भावुक होकर फफक भी पड़े। उन्होंने कहा कि उनके जैसे व्यक्ति को साबित करना पड़ रहा है कि उत्तराखंड के लिए क्या योगदान दिया। सदन में उनके बयान को तरोड़ मरोड़ कर पेश किया गया है, इससे वह आहत हैं।

प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा, राज्य आंदोलन के दौरान मैंने लाठियां खाई हैं। घटनाओं और लोगों का जिक्र किया कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने मुजफ्फरनगर कांड, मसूरी गोली कांड से लेकर राज्य आंदोलन से जुड़ीं कई घटनाओं का उल्लेख किया। उन्होंने राज्य आंदोलन की लड़ाई के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री स्व.अटल बिहारी वाजपेयी, उत्तराखंड के गांधी इंद्रमणि बडोनी, पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी, मनोहरकांत ध्यानी, पूर्व राज्य सभा सदस्य मालती शर्मा से जुड़े स्मरण साझा किए।
प्रेमचंद ने बताया कि मुजफ्फरनगर में गोली चल रही थी, इसके बाद भी वे ट्रक में बैठ कर पहुंचे थे। मसूरी पहुंचे तो हाथ जोड़कर लोगों ने कहा कि यहां से चले जाएं, वर्ना आप का एनकाउंटर हो जाएगा या फिर एनएसए लग जाएगा।

बहरहाल प्रेमचंद अग्रवाल को कौन समझाए कि अगर वे राज्य आंदोलनकारी हैं भी तो इससे उनको कोई अधिकार नहीं मिल जाता कि वे क्षेत्रवादी नज़रिए से एक वर्ग विशेष को गाली दें! खैर बीजेपी आलाकमान ने प्रेमचंद अग्रवाल की अमर्यादित टिप्पणी को गंभीरता से लेते हुए उनको सरकार से चलता कर दिया है और इसी के साथ धामी कैबिनेट में चार कुर्सियां पहले से खाली थी अब एक कुर्सी और खाली हो गई है। यही वजह है कि अब चौतरफा यही चर्चा है की कैबिनेट में फेरबदल और विस्तार पर फैसले की घड़ी आने में कितना समय शेष है।

विवादों का विष उगलते आए प्रेमचंद अग्रवाल

विधायक प्रेमचंद अग्रवाल अब ख़ुद के अग्रवाल होने पर सजा मिलने का विक्टिम कार्ड भले खेल रहे हों लेकिन चार बार चुनावी जीत के साथ विधानसभा में उनकी मौजूदगी इस बात का सबूत है कि भाजपा के सिंबल पर चुनाव लड़ते हुए उनको सभी वर्गों का वोट मिला जिससे वे लगातार जीत हासिल करते रहे। अलबत्ता विवादों ने उनका पीछा कभी नहीं छोड़ा। विधानसभा अध्यक्ष से लेकर कैबिनेट मंत्री बनने तक विवादों से घिरे रहे। वर्तमान में उनके पास वित्त, राज्य कर व संसदीय कार्य की जिम्मेदारी थी।

सदन में क्षेत्रवाद को लेकर दिए बयान से विवादों में आए। उनके इस बयान से भाजपा को असहज होना पड़ा। ऋषिकेश विधानसभा क्षेत्र से 2007 में पहली बार प्रेमचंद अग्रवाल ने विस चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। इसके बाद यहां से चौथी बार के विधायक हैं। 2017 से 2022 तक विधानसभा अध्यक्ष रहे। विधानसभा अध्यक्ष पद पर रहते हुए उन पर विधानसभा सचिवालय में बैकडोर से नियम विरुद्ध तदर्थ नियुक्तियां करने के आरोप लगे। पूर्व आईएएस डीके कोटिया समिति की जांच रिपोर्ट के आधार पर विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण ने 2016 से 2021 के बीच की गई 228 नियुक्तियां रद्द कर कर्मचारियों को बर्खास्त किया था। उस समय भी विपक्ष की ओर से अग्रवाल पर इस्तीफा देने का दबाव बनाया जा रहा था।

उपनल के माध्यम से बेटे की नियुक्ति का विवाद

2018 में विधानसभा अध्यक्ष पद पर रहते हुए प्रेमचंद अग्रवाल पर बेटे को उपनल के माध्यम से जल संस्थान में सहायक अभियंता के पद पर नियुक्ति दिलाने के मामले में सवाल उठे। विवाद गहराया तो अग्रवाल के बेटे को जल संस्थान से हटाया गया। विपक्ष के साथ विभिन्न संगठनों से आरोप लगाते हुए सवाल उठाए थे कि उपनल के माध्यम से पूर्व सैनिकों व उनके आश्रितों को नौकरी दी जाती है। ऐसे में मंत्री के बेटे को कैसे नियुक्ति दी गई।

भगत राम कोठारी से हुई तीखी झड़प

13 जून 2019 केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ऋषिकेश में चल रहे नमामि गंगे परियोजना के कार्यों का जायजा लेने के लिए पहुंचे थे। इस दौरान प्रेमचंद अग्रवाल और दर्जाराज्य मंत्री भगतराम कोठारी के बीच गाली गलौज तक की नौबत आ गई थी। तब प्रेमचंद अग्रवाल विधानसभा अध्यक्ष थे। यह मामला केंद्रीय नेतृत्व तक पहुंचा था।

सरेआम सड़क पर हाथापाई और मुक्केबाजी

2 मई 2023 में बतौर कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल कोयल घाटी में एक युवक से भिड़ गए थे। दोनों के बीच हाथापाई हो गई थी। यह वीडियो सोशल मीडिया में भी जमकर वायरल हुआ था। वीडियो में मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल सड़क पर एक युवक के साथ हाथापाई और मुक्केबाजी करते नज़र आए थे।

कांग्रेस विधायक बिष्ट को कहा शराब पीकर सदन में आए

बजट सत्र में प्रेमचंद अग्रवाल ने गर्मागर्मी बहस के बाद आरोप लगाया कि कांग्रेस विधायक मदन सिंह बिष्ट विधानसभा सदन में शराब पीकर आए हैं। इस पर बिष्ट और कांग्रेस ने खूब हंगामा किया।

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