Research Report: विकसित देशों की एक लंबी श्रृंखला द्वारा UNO के नियमों की अनदेखी की वजह से वर्ष 2020 के अंत तक लगभग 8 करोड़ लोगों को वैश्विक स्तर पर अपना ठिकाना छोड़ना पड़ा है। लंदन की IRDR यूनिवर्सिटी में मास्टर्स की डिग्री कर रहे उत्तराखंड काडर के IAS अधिकारी सविन बंसल ने अपनी रिपोर्ट में यह चिंता जाहिर की है कि अगर भविष्य में युद्ध, हिंसा, आतंकवाद, गरीबी, भुखमरी और प्राकृतिक आपदाओं सहित मानवता के खिलाफ जारी जंग में अगर विकसित देशों द्वारा विकासशील और प्रभावित देशों के शरणार्थियों को अपने यहां पनाह नहीं दी तो हालात आने वाले समय में अत्यंत भयानक हो सकते हैं।
IAS सविन बंसल ने ऐसे संवेदनशील मामलों में UNO द्वारा जारी गाइडलाइंस और नियमों का अपने शोधपत्र में हवाला देते हुए कहा कि ऐसे हादसों की वजह से हर साल लाखों लोग अंतरराष्ट्रीय देशों की सीमा पर बिना अन्न और जल के ही दम तोड़ देते हैं जिसकी चिंता शायद ही आज तक किसी ने की हो। मानवता की बड़ी-बड़ी बातें करने वाले और अपने को फर्स्ट दुनिया कहने वाले देश अभी तक इन मुद्दों पर संवेदनहीन ही दिखे हैं। अब समय आ गया है कि संयुक्त राष्ट्र संघ को इसमें मज़बूत दखल देकर ऐसे मासूम और निर्दोष लोगों के अंदर सुरक्षा का भाव पैदा करने की जरूरत है।
अपनी रिपोर्ट में IAS बंसल ने जिक्र किया कि वैश्विक स्तर पर सबसे पहले हमें मानवता विरोधी तमाम मुद्दों पर संवेदनशील होना पड़ेगा। अगर प्राकृतिक आपदाओं और वैश्विक महामारी की वजह से हालात बेकाबू होते हैं तो प्रभावित देशों से पलायन करने को मजबूर लोगों को सुरक्षित ठिकानों में जाने के UNO के नियमों को अधिक मजबूत आधार देने की जरूरत है।
संयुक्त राष्ट्र संघ ने जल्द ही इस दिशा में कदम नहीं उठाए तो हालात जबरन घुसने वाले होंगे जिसका असर न केवल विकसित देशों के पर्यावरण और आर्थिकी पर पड़ेगा बल्कि वैश्विक स्तर पर भी इसके दुष्प्रभाव सामने आएंगे। विकसित देशों को भी यू एन ओ के नियमों का सम्मान और अपना दिल बड़ा करते हुए ऐसे शरणार्थियों और रिफ्यूजी को अपने यहां शरण देने की जरूरत है
लेखक सविन बंसल उत्तराखंड काडर के IAS अधिकारी हैं, जो यूनाइटेड किंगडम कॉमनवेल्थ स्कॉलरशिप 2021-2022 में चयनित होने वाले एकमात्र भारतीय आईएएस हैं। उत्तराखंड के अल्मोड़ा और नैनीताल जिले में सविन बंसल बतौर जिलाधिकारी काफी लोकप्रियता अर्जित कर चुके हैं। नैनीताल में DM रहते हुए उनके ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ अभियान की राष्ट्रीय स्तर पर सराहना की गई थी।