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आर्य पिता-पुत्र के जाने पर शायराना हुए CM धामी: कांग्रेस तोड़ रही भाजपा को अबके मिला करारा जवाब, कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य, विधायक संजीव आर्य ने छोड़ी भाजपा, अब ये नेता भी क़तार में, आर्य की घरवापसी बाग़ियों के लिए कहीं सीढ़ी न बन जाए!

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आर्य पिता-पुत्र के जाने पर शायराना हुए सीएम पुष्कर

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विधायक संजीव आर्य

दिल्ली/देहरादून: भाजपा दशहरा पर कांग्रेस को कुमाऊं से तगड़ा झटका देने की पटकथा लिखकर बैठी थी, लेकिन कांग्रेस ने उससे पहले ही कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य और उनके विधायक पुत्र संजीव आर्य को तोड़कर करारा हमला बोल दिया है। यशपाल आर्य धामी सरकार में कैबिनेट मंत्री थे और उनका जाना भाजपा में भूचाल लेकर आया है। पार्टी का शीर्ष नेतृत्व सकते में है कि आखिर जब कांग्रेस विधायक टूटकर भाजपा में आ चुके, एक और विधायक को तोड़ा जा रहा है, दो निर्दलीय भी सत्ताधारी दल के हो चुके तब एक काबिना मंत्री सहित दो विधायक कांग्रेस कैसे ज्वाइन कर सकते हैं?


आखिर ऐसी क्या वजह रही कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की ब्रेकफ़ास्ट डिप्लोमेसी भी काम नहीं आई और राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष से लेकर प्रभारी और प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक प्रदेश के सबके बड़े दलित चेहरे आर्य की नाराजगी को नहीं भाँप पाए। भाजपा का राष्ट्रीय पार्टी नेतृत्व इसे कतई हल्के में नहीं लेना चाहेगा क्योंकि यह महज यशपाल आर्य और उनके बेटे संजीव आर्य के चले जाने भर का मामला नहीं है बल्कि चुनाव से पहले की ये विदाई पगडंडी या सीढ़ी बन सकती है और दूसरे कांग्रेसी बैकग्राउंड के नेता भी इस रास्ते हो सकते हैं।

सोमवार को धामी कैबिनेट के मंत्री यशपाल आर्य और उनके विधायक बेटे संजीव आर्य ने सबसे पहले राहुल गांधी के आवास पहुंचकर उनसे मुलाकात की। इस दौरान यशपाल आर्य और संजीव आर्य के साथ न केवल प्रदेश प्रभारी देवेन्द्र यादव मौजूद रहे बल्कि पूर्व सीएम हरीश रावत, नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह और प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल भी हाज़िर रहे। राहुल गांधी से मुलाकात के बाद करीब साढ़े 11 बजे कांग्रेस भवन में प्रेस वार्ता कर आर्य पिता-पुत्र ने कांग्रेस में घर वापसी कर ली। दरअसल ऐसी अटकलें काफी समय से चल रही थी कि कांग्रेसी गोत्र के कई कद्दावर नेता नाराज चल रहे हैं और चुनाव से पहले पालाबदल कर भाजपा को झटका दे सकते हैं।

सवाल अब आर्य के बाद कौन?

सियासी गलियारे में हल्ला तो मंत्री हरक सिंह रावत और विधायक उमेश शर्मा काऊ की नाराजगी को लेकर ज्यादा मचा था लेकिन पहले बाजी मार गए यशपाल आर्य और संजीव आर्य। अहम इसकी वजह भले किसान आंदोलन को बताया जाए लेकिन भाजपा के लिए टूट का खतरा अभी भी बरक़रार है। अभी भी कम से कम तीन ऐसे चेहरे हैं जिनकी नाराजगी गाहे-बगाहे सामने आती रही है। मंत्री हरक सिंह रावत की नाराजगी कई मौक़ों पर दिख चुकी है तो विधायक काऊ भी पार्टी के बाहर अपना संगठन-ग्रुप होने की चेतावनी दे ही चुके हैं। मंत्री सतपाल महाराज धामी को सीएम बनाए जाने के बाद से जिस सदमे में हैं वह किसी से छिपा नहीं है। सवाल है कि क्या भाजपा आर्य पिता-पुत्र के झटके का जवाब कुमाऊं से ही देगी और अगली टूट को रोक पाएगी?


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