दिल्ली: चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर (PK) की कांग्रेस में एंट्री होते-होते फिर अटक गई है। 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद से लगातार यह अटकलें लगाई जाती रही हैं कि प्रशांत किशोर कांग्रेस का दामन थाम लेंगे। लेकिन कांग्रेस में एंट्री को लेकर मीडिया हाइप और फिर कांग्रेस का रीत-नीत की आलोचना कर पीके खुद को पार्टी से दूर करते दिखाई दिए। अबके मिशन 2024 को लेकर पीके की कांग्रेस में एंट्री तय हो चुकी थी और उन्होंने 600 स्लाइड्स का एक पॉवर पॉइंट प्रेजेंटेशन भी पेश किया लेकिन इसी मैराथन पॉवर पॉइंट प्रेजेंटेशन की दो स्लाइड्स पर सारा पेंच फंस गया और पीके की एंट्री पर फिर ब्रेक लग गया।
दरअसल, कांग्रेस के साथ पीके की शादी से पहले ही तलाक वाली स्थिति इसलिए भी पैदा हुई क्योंकि प्रशांत किशोर ‘एम्पावर्ड एक्शन ग्रुप 2024’ के साथ मिलकर लोकसभा चुनाव की व्यूहरचना बनाने को ज्यादा व्यावहारिक नहीं लगा। लेकिन शायद पीके ज्यादा आजादी के साथ कांग्रेस में बदलाव की बंयार बहाने का मन बनाकर बैठे थे।
इससे भी बड़ी दिक्कत पीके द्वारा पेश किए गए 600 स्लाइड्स के पॉवर पॉइंट प्रजेंटेशन की 2 स्लाइड्स के चलते पैदा हुई। प्रशांत किशोर कांग्रेस में शामिल होने को लेकर पूरी तैयारी किए बैठे थे और 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की व्यूहरचना कैसी हो इसका भी खाका खींचकर बैठे थे। लेकिन 600 स्लाइड्स की मैराथन पॉवर पॉइंट प्रजेंटेशन में 2 स्लाइड्स को देखकर कांग्रेसी नेता बिफर गए। कांग्रेस सूत्रों ने दावा किया है कि पीके ने एक स्लाइड में जनरल सेक्रेटरी प्रियंका गांधी वाड्रा को कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने का सुझाव दिया था। जबकि कांग्रेस का एक बड़ा धड़ा राहुल गांधी को ही अध्यक्ष की ज़िम्मेदारी देने की पैरवी कर रहा है। पीके का सुझाव था कि कांग्रेस अध्यक्ष और प्रधानमंत्री उम्मीदवार दो अलग-अलग नेता होने चाहिए।
प्रशांत किशोर ने दूसरी स्लाइड में सुझाव दिया कि कांग्रेस बिहार, महाराष्ट्र और जम्मू-कश्मीर जैसे कुछ अहम राज्यों में अपने पुराने गठबंधन सहयोगियों से अलग हो जाए। जाहिर है कांग्रेस का एक बड़ा धड़ा प्रियंका को अध्यक्ष बनाने के बाद गठबंधन को लेकर पीके के प्लान से सकते में आ गया। रही सही कसर तेलंगाना में कांग्रेस के राजनीतिक विरोधी मुख्यमंत्री के० चन्द्रशेखर राव की टीआरएस (TRS) के साथ पीके की कम्पनी IPAC की चुनावी जीत दिलाने को लेकर हुई डील ने पूरी कर डाली।
बहरहाल, इस बार फिर पीके की कांग्रेस में एंट्री होते-होते रह गई लेकिन क्या 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस और प्रशांत किशोर की जुदा राहें फिर एक होंगी?